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Haryana Kurukshetra Gita Jayanti 2019: हरियाणवी संस्कृति से सराबोर अंतराष्‍ट्रीय गीता महोत्‍सव का मंच

Haryana Kurukshetra Gita Jayanti 2019 के पुरुषोत्तमपुरा बाग में हरियाणवी संस्कृति की अनूठी छटा देखने को मिल रही है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 05:23 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 12:02 PM (IST)
Haryana Kurukshetra Gita Jayanti 2019: हरियाणवी संस्कृति से सराबोर अंतराष्‍ट्रीय गीता महोत्‍सव का मंच

पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। Haryana Kurukshetra Gita Jayanti 2019 धूम मची हरियाणे की, बीन बांसली ढ़ोल नगाड़े गूंज सुणो इस गाणे की . . .। इस दमदार हरियाणवी गीत की प्रस्तुति अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में सजे पुरुषोत्तमपुरा बाग के मंच से कलाकार डॉ. हरङ्क्षवद्र राणा ने दी। उनकी इस प्रस्तुति से पुरुषोत्तमपुरा बाग हरियाणवी संस्कृति से सराबोर हो उठा। इस मौके पर विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के छात्र-छात्राओं ने एक से बढ़कर एक हरियाणवी समूह नृत्य की प्रस्तुतियां दी हैं। युवा एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग कुरुक्षेत्र में कार्यरत डा. हरविंद्र राणा के निर्देशन में मनोहारी प्रस्तुतियां दी गई, जिनका दर्शकों ने जोरदार तालियों से स्वागत किया। मंच की कमान भी डॉ. राणा ने स्वयं संभाली। 

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सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत गीता ज्ञान का संदेश देने वाली सुनो गीता का ज्ञान से हुई। इसके पश्चात तदोपरांत आर्य पीजी कालेज पानीपत के छात्र-छात्राओं ने रसिया की मनोहारी प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। एसडी स्नातकोत्तर कालेज पानीपत के विद्यार्थियों ने माहौल में नया जोश भरते हुए हरियाणवी धमाल की धमाकेदार प्रस्तुति दी, जिसके बाद यूटीडी कुरुक्षेत्र के छात्र-छात्राओं ने भजन और लोकगीतों की मधुर प्रस्तुतियां दी। जनता कालेज कौल द्वारा रिचुअल प्रस्तुति से समां बांधा गया। अंत में डा. राणा ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी। हरियाणवी संस्कृति को समर्पित समारोह में दमदार हरियाणवी प्रस्तुतियों ने लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। बच्चे, बूढ़े, जवान, महिला-पुरुष सब झूमते नजर आये।

 Kurukshetra Geeta Festival

बुजुर्गों की रस्सा-कस्सी भी रही आकर्षक 

इस महोत्सव में बृहस्पतिवार को हरियाणावी पवेलियन में बुजुर्गों के बीच रस्सा-कस्सी मुकाबला करवाया गया। इस मुकाबले का शुभारंभ डीसी डॉ. एसएस फुलिया ने किया। 

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महोत्सव के मुख्य पंडाल में आज पहुंचेंगे कवि कुमार विश्वास

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में शुक्रवार को मुख्य पंडाल कवि सम्मलेन का आयोजन किया जाएगा। इस कवि सम्मेलन में प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास व गजेंद्र सोलंकी पहुंचेंगे। इसके साथ ही गीता महोत्सव में सुबह साढ़े दस बजे गीता की जन्मस्थली ज्योतिसर में गीता का पाठ आयोजित किया जाएगा। इसके पश्चात सुबह 11 बजे पुरुषोत्तमपुरा बाग में मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर के कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी। सायं पांच बजे मुख्य पंडाल में सांस्कृतिक कार्यक्रम में भजन प्रस्तुति होगी और इसके पश्चात कवि सम्मेलन आयोजित होगा। इसी के साथ-साथ ब्रह्मसरोवर के घाट पर साढ़े पांच बजे वाटर लेजर शो का आयोजन किया जाएगा। शाम छह बजे पुरुषोत्तम पुरा बाग में महाआरती और भजन संध्या होगी। 

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ब्रह्मसरोवर के घाटों पर जमा संस्कृति और कला का संगम

 अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के घाटों पर संस्कृति और कला का संगम नजर आ रहा है। महोत्सव में देश भर के अलग-अलग राज्यों से पहुंचे कलाकार अपनी लोक संस्कृति का प्रचार कर रहे हैं तो देश भर से पहुंचे पर्यटक इनका लुत्फ उठा रहे हैं। महोत्सव के जोश में पर्यटक भी लोक कलाकारों के साथ वाद्य यंत्रों धुनों पर झूम रहे हैं। 

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महोत्सव का 13वां दिन

महोत्सव के 13वें दिन सरस और क्राफ्ट मेले का आनंद लेने और खरीदारी करने के लिए भीड़ उमड़ी। इस महोत्सव में बढ़ती भीड़  इशारा कर रही है कि शनिवार और रविवार को भीड़ ज्यादा बढ़ सकती है। विभिन्न प्रदेशों की लोक और शिल्प कलाओं को देखकर पर्यटक महोत्सव की ओर ङ्क्षखचे आ रहे हैं। शिल्प और सरस मेले का आनंद लेने के साथ-साथ पर्यटक विभिन्न प्रदेशों के व्यंजन राजस्थान के चूरमे, पूणे की अंगूरी चाय, गोहाना की जलेबी और हरियाणवी खान-पान का स्वाद चख रहे हैं। 

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डीसी भी पहुंचे

डीसी डॉ. एसएस फुलिया सहित अन्य अधिकारियों ने भी सरस और शिल्प मेले का अवलोकन किया। इस दौरान खामियां मिलने पर तुरंत प्रभाव से ठीक करने के निर्देश दिए गए। डीसी सहित तमाम अधिकारियों ने हरियाणा पवेलियन में जाकर आन-बान-शान की प्रतीक पगड़ी को पहना और पवेलियन में हरियाणा की पारंपरिक रस्सा-कस्सी प्रतियोगिता का भी आनंद लिया। प्रतियोगिता में बुजुर्गों ने पूरे दमखम के साथ रस्सा-कस्सी प्रतियोगिता में अपना जोश दिखाया। सभी अधिकारियों और दर्शकों ने इन बुजुर्गों का तालियां बजाकर उत्साह बढ़ाया।

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पवित्र गीता महान ग्रंथ, 5156 वर्षों बाद भी प्रासंगिक : ज्ञानानंद

जिओ गीता के संस्थापक स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता एक महान ग्रंथ है और यह 5156 वर्षों के बाद उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी महाभारत युद्ध से पहले थी। गीता का ज्ञान विश्व के कोने-कोने व जन-जन तक पहुंचे इसके लिए मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।  ज्ञानानंद महाराज कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में श्रीमद्भागवत गीता का शाश्वत दर्शन एवं सार्वभौमिक कल्याण विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर संबोधित कर रहे थे। 

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गीता नश्वर और अलौकिक ग्रंथ

उन्होंने कहा कि यह नश्वर व अलौकिक ग्रंथ है। इसका अध्ययन व मनन जो व्यक्ति करता है उसका जीवन निश्चित रूप से आलौकित होता है। श्रीमद्भागवत गीता का संदेश सर्वकल्याणकारी है। इससे पहले कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुवि कुलपति डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए श्रीमदगवदगीता का अध्ययन बहुत ही आवश्यक है। वर्तमान जीवन में हर तरह की सुख-सुविधाओं बाद भी लोग दुखी हैं, असंतोषी हैं। इन समस्याओं का समाधान श्रीमद्भागवत गीता है। इससे पूर्व अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में विभिन्न विभागों की तरफ से आयोजित आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनीकी सत्रों के बारे में सभी संयोजकों ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। संगोष्ठी की संयोजिका प्रो. मंजूला चौधरी ने संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत की। समापन सत्र में प्रो. एसएस बूरा सभी का स्वागत किया और प्रो. मोङ्क्षहद्र चांद ने सभी का धन्यवाद किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. नीता खन्ना, प्रो. पवन शर्मा, प्रो. प्रदीप, प्रो. आरके देसवाल, प्रो. सुदेश, डॉ. संगीता सेठी मौजूद रहे।

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गीता जयंती महोत्सव में दिख रहे शिल्प कला के नमूने

 लकड़ी और लोहे का हर टुकड़ा हमेशा ही लाभकारी रहता है। इस बात को सिद्ध किया है उत्तर प्रदेश (सहारनपुर) के शिल्पकार मोहम्मद आरिफ ने। अपनी कलात्मक दृष्टि व शिल्पकला के सहारे वे लकड़ी व लोहे के ऐसे हर टुकड़े को एकत्रित करते हैं जिसे बेकार समझकर लोग कूड़े में फेंक देते हैं। एकत्रित टुकड़ों से वे गिफ्ट आइटम तथा रसोई की जरूरतों की आवश्यक वस्तुओं का निर्माण करते हैं। आरिफ की अनूठी कला को गीता जयंती महोत्सव में देखा जा सकता है। 

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कोई वस्तु बेकार नहीं

आरिफ कहते हैं कि वे किसी भी वस्तु को बेकार नहीं समझते हैं। लकड़ी की कीमत उन्हें बखूबी मालूम है। बेशकीमती लकडिय़ों तथा लोहे के टुकड़ों को लोग बाहर फेंक देते हैं, जो उनके बहुत काम आती है। वे पिछले लंबे समय से इस कार्य में जुटे हुए हैं। मात्र 20 रुपये कीमत से उनके द्वारा तैयार की गई वस्तुओं की शुरुआत होती है। उनके पास 20 हजार रुपये से लेकर सवा लाख रुपये तक के सोफा सेट है। 

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गर्मियों के पुराने साथी बीजणे के संरक्षण में जुटी 70 वर्षीय बाला 

बीजणा(हाथ वाला पंखा) प्राचीनकाल से ही लोगों का गर्मियों में खास साथी रहा है। आधुनिक दौर में भी ग्रामीण अंचल में बीजणे का महत्व कम नहीं हुआ है। बीजणा बनाने में महारत रखने वाली वयोवृद्ध बाला देवी ने ब्रह्मसरोवर में हरियाणा पवेलियन में स्टॉल लगाकर आकर्षक बीजणों को प्रदर्शित किया है। अंबाला के गांव गनौर की मूल निवासी 70 वर्षीय बाला देवी बदलते स्वरूप में भी अपनी हस्तकला को बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने यहां देश की आजादी से पहले के बीजणे भी प्रदर्शित किए हैं। उनका कहना है कि आधुनिक दौर में बीजणों की मांग घटी है, लेकिन गांवों में इनका महत्व आज भी कायम है। बाला देवी ने खजूर, ऊन तथा कपड़े के बेहद आकर्षक रंग-बिरंगे बीजणे बनाए हैं जिनकी झलक प्रदर्शनी में देखी जा सकती है। वे लड़कियों को बीजणा बनाने का निशुल्क प्रशिक्षण भी देती हैं। उनका कहना है कि यह शिल्पकला है, जिसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए। स्व-रोजगार की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण है। हालांकि बाला देवी अपने द्वारा बनाए गए बीजणे बेचने का काम नहीं करती है। 

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पर्यटकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक कर रहा ग्रीन अर्थ संगठन संगठन

महोत्सव में ग्रीन अर्थ संगठन की टीम डीआरडीए कुरुक्षेत्र के साथ मिलकर संयुक्त रूप से प्रदर्शनी लगाकर पर्यावरण, स्वच्छता व स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चला रही है। प्रदर्शनी में आने वाले लोगों को पर्यावरण प्रदूषण एवं संरक्षण, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य, ठोस कचरा प्रबंधन, कचरे से जैविक खाद, पालीथिन, प्लास्टिक एवं थर्मोकोल डिस्पोजल के नुकसान तथा कूड़े व कृषि अवशेषों में आग के नुकसान के बारे में जागरूक किया जा रहा है। कार्यक्रम अधिकारी नीरज शर्मा ने बताया कि लोग सबसे ज्यादा रूचि छतों पर कीटनाशक व उर्वरक रहित वेस्ट आइटम में सब्जियां तैयार करने के स्टेयर व रूफ गार्डनिंग और होम कंपोङ्क्षस्टग के मॉडल में रुचि दिखा रहे हैं। इस अभियान का मकसद लोगों को पर्यावरण, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य तथा कचरा प्रबंधन बारे जागरूक करना है। उन्होंने लोगों से प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक व थर्मोकोल की डिस्पोजल आइटम्स का प्रयोग बंद करने की अपील की है।


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