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स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की बड़ी कार्रवाई, जींद में भ्रूण लिंग जांच का भंडाफोड़, अस्‍पताल संचालिका फरार

जींद के शशि शर्मा अस्पताल में बच्चे का लिंग बताने को 55 हजार रुपये में अल्ट्रासाउंड किया। स्वास्थ्य विभाग ने डिकॉय बनाकर भेजी महिला। बिना रिकॉर्ड ही कर दिया उसका अल्ट्रासाउंड। छापेमारी की भनक लगते ही अस्पताल संचालिका बचकर निकली। विभाग जांच में जुटा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 09:17 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 09:17 AM (IST)
स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की बड़ी कार्रवाई, जींद में भ्रूण लिंग जांच का भंडाफोड़, अस्‍पताल संचालिका फरार
जींद के शशि शर्मा अस्पताल में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम।

पानीपत/जींद, जेएनएन। लिंग जांच की सूचना पर मंगलवार दोपहर बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बाल भवन के सामने स्थित शशि शर्मा अस्पताल पर छापेमारी की। छापेमारी की भनक लगते ही अस्पताल की संचालिका डा. शशि शर्मा वहां से निकल गई। विभाग ने जिस गर्भवती महिला को डिकॉय बनाकर भेजा हुआ था, उसको बिना कागजात लिए ही अल्ट्रासाउंड कर दिया। विभाग की टीम ने जब अल्ट्रासाउंड केंद्र के रिकार्ड को चेक किया तो उसका नाम कहीं पर भी दर्ज नहीं मिला। सिविल सर्जन डा. मनजीत सिंह की देखरेख में विभाग की टीम ने अल्ट्रासाउंड मशीन व कमरे को सील कर दिया। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल संचालिका के खिलाफ कार्रवाई के लिए शहर थाना पुलिस को लिखित में शिकायत दी है। 

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सिविल सर्जन डा. मनजीत सिंह ने बताया कि विभाग के पास शशि शर्मा अस्पताल में लिंग जांच करने की शिकायतें लगातार मिल रही थी। इस पर विभाग की टीम ने एक गर्भवती महिला को डिकॉय बनाया और उस महिला के माध्यम एक दलाल से संपर्क किया। दलाल ने उनको बताया कि लिंग जांच के लिए 55 हजार रुपये लगेंगे और महिला ने 55 हजार रुपये दे दिए।

मंगलवार को दलाल ने फोन करके बताया कि दोपहर बाद उसका अल्ट्रासाउंड शशि शर्मा अस्पताल में होगा। इसका पता चलते ही विभाग की टीम सक्रिय हो गई और सिविल सर्जन डा. मनजीत सिंह खुद टीम के साथ बाल भवन रोड पर पहुंच गए और दलाल महिला को अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए अस्पताल के अंदर ले गया। जहां पर बिना कागजात लिए ही महिला को अल्ट्रासाउंड रूम में ले गए और वहां पर मौजूद महिला चिकित्सक ने उसका अल्ट्रासाउंड कर दिया। जब महिला ने उससे गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग के बारे में पूछा तो महिला चिकित्सक ने कह दिया कि इसके बारे में जो उसको लेकर आया है, उसको बता देंगे।

इसी दौरान इशारा मिलते ही विभाग की टीम अस्पताल में चली गई, लेकिन महिला चिकित्सक चकमा देकर वहां से निकल गई। विभाग की टीम ने जब अल्ट्रासाउंड केंद्र के रजिस्टर की जांच की तो उसमें उसका नाम दर्ज नहीं था और अल्ट्रासाउंड करने से पहले जो एफ फार्म भरा जाता है वह भी नहीं मिला। इस पर अल्ट्रासाउंड मशीन को सील कर दिया। 

सीसीटीवी कैमरे मिले बंद 

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जिस कमरे में अल्ट्रासाउंड मशीन लगी हुई है उस कमरे के जब सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को देखना चाहा तो वह खराब मिला। कमरे में लगे सीसीटीवी कैमरों के तार को हटाया हुआ था। जब वहां पर तैनात स्टाफ से पूछा तो उन्होंने बताया कि कैमरे तो कई दिनों से खराब पड़े हैं। कैमरे बंद मिलने पर विभाग की टीम का शक गहरा गया। 

छह अल्ट्रासाउंड का मिला रिकार्ड

सिविल सर्जन डा. मनजीत सिंह ने बताया कि पीएनडीटी एक्ट के तहत सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों को किसी भी गर्भवती का अल्ट्रासाउंड करने से पहले उसका नाम रजिस्टर में दर्ज करना होता है और एफ फार्म में उस महिला की पूरी डिटेल भरनी होती है। इसके अलावा महिला के साथ उसके पति के किसी भी आइडी की फोटो कॉपी देनी होती है। जब उसके रिकार्ड को चेक किया गया तो छह अल्ट्रासाउंड का रिकार्ड दर्ज मिला, जबकि विभाग ने जिस गर्भवती महिला को भेजा था उसका कोई भी रिकार्ड नहीं मिला। अब विभाग इंजीनियर को बुलाकर अल्ट्रासाउंड की जांच करवाई जाएगी और पता लगाया जाएगा कि मंगलवार को कितने अल्ट्रासाउंड हुए हैं। 

छापेमारी की चिकित्सक को पहले ही लग गई थी भनक 

अस्पताल की संचालिका डा. शशि शर्मा को स्वास्थ्य विभाग की छापेमारी की भनक पहले ही लग गई थी। विभाग ने जिस महिला को डिकॉय बनाकर भेजा हुआ था तो उसने बताया कि जब वह अंदर गई तो महिला चिकित्सक अपने कमरे में बैठी हुई थी। उसका अल्ट्रासाउंड करते ही हड़बड़ाहट में हो गई और यह कहते हुए निकल गई कि उसके बच्चे का लिंग उसको लेकर आने वाला दलाल को बता देंगे। ऐसे में महिला चिकित्सक को विभाग की छापेमारी की पहले से भनक लग गई और मौका पाते ही वहां से निकल गई।


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