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हरियाणा: रंगीन शिमला मिर्च की खेती से किसान मालामाल, एक एकड़ में 12 से 14 लाख की पैदावार

कपड़ा कारोबारी छोड़कर खेती शुरू की। रंगीन शिमला मिर्च लगाना शुरू किया। एक एकड़ से 12 से 14 लाख कमा रहे हैं बी-काम पास बूड़िया के किसान रमनजीत सिंह। पाली हाउस में रंगीन शिमला मिर्च व खीरा की फसल लगाते हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 17 Nov 2021 05:36 PM (IST)Updated: Wed, 17 Nov 2021 11:34 PM (IST)
हरियाणा: रंगीन शिमला मिर्च की खेती से किसान मालामाल, एक एकड़ में 12 से 14 लाख की पैदावार
यमुनानगर के बूड़िया के किसान रमनजीत सिंह।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। बी-काम पास बूड़िया के किसान रमनजीत सिंह ने खेती के मायने बदल दिए हैं। सर्दी के मौसम में सब्जियों की फसलें बेहतरी से उगा रहे हैं। इन दिनों उनके पाली हाउस में रंगीन शिमला मिर्च व खीरा की फसल पर खूब रंगत आ रही है। जबकि सामान्य तौर पर शिमला मिर्च की फसल गर्मी के मौसम में तैयार की जाती है। इन दिनों उन्होंने दो एकड़ में शिमला मिर्च व चार एकड़ में खीरा उगाया हुआ है। दरअसल, रमनजीत सिंह ने 2012 में एक एकड़ से शुरुआत की थी। खास बात यह है कि इन सब्जियों में रासायनिक खाद की मात्रा न के बराबर होती है।

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तीन गुणा फसल आती है

ओपन में फरवरी माह में मिर्च की पौध लगती है और मार्च के अंतिम सप्ताह में फ्रूटिंग आती है। प्रति एकड़ करीब 200 क्विंटल निकलती है। लेकिन पाली हाउस में रंगीन मिर्च अगस्त के प्रथम सप्ताह में लगाई जाती है और अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में फ्रूटिंग होती है। आठ माह तक चलेगी। मतलब अप्रैल-मई तक। एक एकड़ से 12 हजार पौधे लगते हैं। एक पौधे पर तीन-चार किलो। एक एकड़ में 500 से 600 क्विंटल मिर्च तैयार करते हैं। 60-70 रुपये प्रति क्विंटल औसत रेट रहता है। एक एकड़ में 12-14 लाख की आमदन हो जाती है। इसका प्रयोग चाइनीज आइटम में अधिक होता है। दिल्ली व चंडीगड़ जैसे शहर में अधिक डिमांड है।

समय के साथ बदलाव जरूरी

रमनजीत का कहना है कि अब समय बदल रहा है। किसान का समय के साथ बदलना जरूरी है। खेती घाटे का सौदा नहीं है, यदि बेहतरी से और समय की मांग के अनुरूप किया जाए। उनका कहना है कि किसानों के लिए परंपरागत खेती से गुजारा संभव ही नहीं है। कुछ अलग करना होगा। इसीलिए उन्होंने पाली हाउस में शिमला मिर्च उगानी शुरू कर दी। वह भी आफ सीजन में। क्योंकि आफ सीजन में दाम अच्छे मिल जाते हैं।

कपड़े का व्यापार छोड़ चुनी किसान की राह

दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान रमनजीत सिंह ने बताया कि बी-कॉम करने के बाद उन्होंने दिल्ली में कपड़े का कारोबार शुरू किया था। पिता सरदार जगजीत सिंह छाबड़ा गांव में खेती करते थे। वर्ष-2012 में उन्हें खेती का ख्याल आया। पसली हाउस बना सब्जियों की काश्त शुरू की। शुरुआती दौर मे टमाटर व खीरे की खेती की। गत वर्ष खरबूजे की फसल भी उगाई। अच्छा लाभ मिला। कृषि में उल्लेखनीय कार्य करने पर रमनजीत प्रदेश स्तर पर सम्मानित हो चुके हैं। पूर्व कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने सम्मानित किया था।

पौषक तत्व अधिक

जिला उद्यान अधिकारी डा. कृष्ण कुमार का कहना है कि रंगीन शिमला मिर्च में पोशक तत्वों की मात्रा अधिक होती है। सब्जी के साथ-साथ इसे सलाद के तौर पर भी खाया जा सकता है। पाली हाउस में उगाए जाने के कारण रासायनिक खादों का प्रयोग न के बराबर होता है।


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