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राजकीय स्कूलों में टीचरों की कमी को लेकर शिक्षामंत्री ने दी राहत, पंचायतों पर छोड़ा फैसला Panipat News

हरियाणा के शिक्षा मंत्री ने कहा कि पंचायतें तीन माह तक अपने स्तर पर स्कूल में टीचर रख सकेंगी। पंचायत मानदेय देने में असमर्थ है तो शिक्षा विभाग देगा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 30 Dec 2019 12:43 PM (IST)Updated: Mon, 30 Dec 2019 12:45 PM (IST)
राजकीय स्कूलों में टीचरों की कमी को लेकर शिक्षामंत्री ने दी राहत, पंचायतों पर छोड़ा फैसला Panipat News
राजकीय स्कूलों में टीचरों की कमी को लेकर शिक्षामंत्री ने दी राहत, पंचायतों पर छोड़ा फैसला Panipat News

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। राजकीय स्कूलों में टीचरों की कमी को ग्राम पंचायतें अपने स्तर पर पूरा कर सकेंगी। पंचायत गांव से ही पढ़े लिखे युवक को स्कूल में पढ़ाने के लिए रखेंगी। इसके लिए पंचायत उन्हें मानदेय भी देंगी। यदि कोई पंचायत मानदेय देने में असमर्थ है तो उसका मानदेय शिक्षा विभाग देगा। फिलहाल इनकी सेवाएं केवल मार्च माह तक यानि तीन माह के लिए ही होंगी। क्योंकि मार्च में विद्यार्थियों की फाइनल परीक्षाएं होती हैं।

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लंबे अरसे से राजकीय स्कूलों में टीचरों की काफी कमी है, जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। 10वीं व 12वीं बोर्ड कक्षाओं का वार्षिक परिणाम तो काफी नीचे जा रहा है। इसके अलावा प्रशासन द्वारा ली जा रही लगातार मीङ्क्षटग के कारण भी टीचर बच्चों का सिलेबस पूरा नहीं करवा पाते, जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे भी अभिभावक हैं जिन्होंने टीचरों की कमी के चलते अपने बच्चों को राजकीय स्कूलों से निकाल कर प्राइवेट स्कूलों में भेजना शुरू कर दिया है। क्योंकि अब सभी कक्षाओं की फाइनल परीक्षाओं में केवल तीन माह का समय बचा है। टीचरों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई पर असर न पड़े इसके लिए शिक्षा विभाग ने पंचायत के माध्यम से ही टीचरों को रखने का निर्णय लिया है। गांव के जो भी सबसे च्यादा पढ़ा लिखे युवक-युवती होंगे उनकी योग्यता के अनुसार कक्षा पढ़ाने को दी जाएगी।

पहले पहुंचेगी किताबें, फिर होगा दाखिला 

नए शैक्षणिक सत्र में दाखिला होने के कई माह बाद भी बच्चों को किताबें नहीं मिलती। इसके लिए भी शिक्षा विभाग ने तैयारी कर दी है। शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में बच्चों को किताबों की किल्लत नहीं होगी। इस बार पहले स्कूलों में किताबें पहुंचेगी और फिर दाखिले होंगे। 


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