Haryana DGP-IG controversy: पुलिस मुख्यालय ने एससी एक्ट में दर्ज मुकदमों का दो साल का मांगा ब्योरा
डीजीपी बहरियाणा के डीजीपी मनोज यादव और अंबाा रेंज के आइजी रहे वाई पूर्ण कुमार का विवाद शांत नहीं हुआ है। आइपीएस वाई पूर्ण कुमार ने कई बिंदुओं पर आरटीआइ के तहत पुलिस मुख्यालय से जानकारी मांगी है। अधिकारी इसका जवाब देने में जुट गए हैं।
अंबाला, जेएनएन। हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मनोज यादव और अंबाला रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आइजी) रहे वाई पूर्ण कुमार के बीच उभरे विवाद के बीच पुलिस मुख्यालय ने प्रदेश के सभी एसपी, पुलिस कमिश्नर और एसपी रेलवे से पिछले दो सालों में दर्ज हुए एससी/एसटी एक्ट मामलों का ब्योरा मांगा है। सभी आइपीएस अधिकारियों को वायरलेस के माध्यम से मैसेज देकर मोस्ट अरजेंट का हवाला देते हुए चौबीस घंटे में जानकारी देने के लिए सभी अधिकारियों को ईमेल दी गई है। आइपीएस अधिकारी वाई पूर्ण कुमार ने सूचना अधिकार के तहत भी कई बिंदुओं पर डीजीपी कार्यालय और अंबाला एसपी कार्यालय से जानकारी मांगी है। अधिकारी इसका जवाब देने में जुट गए हैं।
बता दें कि वाई पूर्ण कुमार ने डीजीपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई 2 जुलाई को होगी। अंबाला छावनी डीएसपी रामकुमार ने जांच कर डीजीपी को क्लीन चिट दे दी थी। अब यह रिपोर्ट पुलिस हाईकोर्ट में पेश करेगी। आइपीएस अधिकारी का कहना है कि इस एक्ट में सीधे एफआइआर दर्ज करने का प्रावधान है, जबकि अभी तक केस दर्ज नहीं हुआ है। इसके बाद वाई पूर्ण कुमार ने अपने ही महकमे में आरटीआइ के तहत सबूतों को जुटाना शुरू कर दिया है।
कई मामलों में अधिकारियों में शुरू हुई थी खींचतान
गौतलब है कि हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मनोज यादव और अंबाला रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आइजी) रहे वाई पूर्ण कुमार के बीच कई मामलों में खींचतान शुरू हुई थी। किसान आंदोलन को लेकर भी पंजाब से दिल्ली की ओर किसानों ने जब कूच किया, तो भी डीजीपी और आइजी के बीच में कागजी जंग हुई। आइजी वाई पूर्ण कुमार से जब डीजीपी ने जवाब तलब किया, तो आइजी का तर्क था कि पंजाब से हरियाणा में छह जगहों से किसानों की एंट्री हुई। लेकिन हिसार रेंज के जींद, फतेहाबाद, सिरसा से जवाब तलब नहीं किया गया। अंबाला और करनाल रेंज तथा सोनीपत एसपी से जवाब तलबी की गई। जबकि यहां पर भी रोहतक रेंज के आइजी से पत्राचार नहीं हुआ। इसी को लेकर डीजीपी पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया।
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