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Hariyali Teej 2021: हरियाणा में हरियाली तीज की धूम, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

हरियाली तीज श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। हरियाली तीज के शुभ मुहूर्त पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Tue, 10 Aug 2021 09:04 PM (IST)Updated: Wed, 11 Aug 2021 07:13 AM (IST)
Hariyali Teej 2021: हरियाणा में हरियाली तीज की धूम, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था।

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र। हरियाली तीज का पर्व आज मनाया जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। हरियाली तीज का पर्व हर साल श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसे श्रावणी तीज भी कहते हैं।

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कुरुक्षेत्र के गायत्री ज्योतिष अनुसंधान के संचालक डा. रामराज कौशिक ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसलिए हरियाली तीज पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं और भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं। पूजा में श्रृंगार की वस्तुएं मां पार्वती को चढ़ाई जाती हैं। इसके बाद हरियाली तीज की कथा सुनकर सास या अपने से बड़ी महिलाओं का आशीर्वाद लेकर उन्हें उपहार भेंट करती हैं। 

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त

तृतीया तिथि 10 अगस्त को शाम 6:03 बजे से शुरू होकर 11 अगस्त को शाम 5:01 बजे तक होगी। डा. रामराज कौशिक ने बताया कि 11 अगस्त को पूजा करने के कई शुभ योग बन रहे हैं। पहला ब्रह्ममुहूर्त में सुबह 4:24 से 5:17 बजे तक है। दूसरा विजया मुहूर्त में दोपहर बाद 2:30 से 3:07 बजे तक है। इसके अलावा, रवि योग सुबह 10:42 बजे शुरू होकर रात तक रहेगा।    

हरियाली तीज के व्रत के नियम 

हरियाली तीज के व्रत को करने के दौरान कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य है। व्रत करते समय किसी पर भी क्रोध न करें। दूसरों के प्रति मन में नकारात्मक विचार न लाएं। व्रत के दौरान किसी का भी अपमान न करें। इस व्रत में दूध का सेवन न करें। नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को निर्जला ही रखें। इस दौरान सोना नहीं चाहिए। इसके अलावा भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान और जाप कर सकते हैं।

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