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हरीश शर्मा ने तहसील कैंप को भाजपा का गढ़ बनाया, अब कांग्रेस की नजर

पूर्व पार्षद हरीश शर्मा की मौत के बाद अभी भी पुलिस प्रशासन और सरकार के खिलाफ लोगों का रोष कम नहीं है। वहीं राजनीतिक गलियारों में भी इसकी चर्चा चोरों पर हैं। ऐसे में कांग्रेस इसे पूरी तरह से भुनाने में लग गई है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 04:33 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 04:33 PM (IST)
हरीश शर्मा ने तहसील कैंप को भाजपा का गढ़ बनाया, अब कांग्रेस की नजर
पूर्व पार्षद हरीश शर्मा के घर पहुंचे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा।

पानीपत, जेएनएन। भाजपा के पूर्व पार्षद हरीश शर्मा का तहसील कैंप में रुतबा था। वह भाजपा के बगैर भी चुनाव लड़े। अपने दम पर जीते भी, लेकिन उनका समर्थन भाजपा के साथ ही रहा। अब हरीश शर्मा की मौत के बाद कांग्रेस भी इस क्षेत्र में पैठ बनाना चाहेगी। इसके लिए चेहरा भी शर्मा की ही बेटी मौजूदा पार्षद अंजली शर्मा का इस्तेमाल करने की फिराक में हैं। शर्मा के परिवार को सांत्वना देने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला और स्थानीय कांग्रेस के बड़े नेता वीरेंद्र शाह उर्फ बुल्ले भी पहुंचे। अंजली को आश्वासन दिया कि वे हर मोर्चे पर उनके साथ हैं।  

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टूट गई रीढ़ की हड्डी

शहर विधायक प्रमोद विज को भी भलीभांति पता है कि हरीश शर्मा की तहसील कैंप में क्या पकड़ रही है। वह सभी समाज के लोगों के सुख-दुख के साथी रही हैं। हरीश की मौत के बाद विज ने कह भी दिया कि हरीश उनकी रीढ़ थे। अब वे नहीं रहे। रीढ़ भी टूट गई।

भाजपाइ हैं नाराज

हरीश शर्मा की मौत से भाजपाई नाराज हैं, खासकर हरीश शर्मा के समर्थक। समर्थकों का कहना है कि उनकी बेटी भाजपा से पार्षद हैं। हरीश शर्मा खुद भाजपाई थी। तहसील कैंप में भाजपा को मजबूत बनाया। इसके बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हुई। मुख्यमंत्री से लेकर 26 के 26 पार्षद भाजपा के हैं। तब भी प्रशासन ने नहीं सुनी तो आम लोगों का क्या होगा। संस्कार तक ये बातें होती रहीं। भाजपा को इस मामले में डैमेज कंट्रोल करना होगा। तभी तहसील कैंप का गढ़ बच सकेगा।

जानिए क्‍या था मामला

4 नवंबर को दीवाली की शाम सात बजे तहसील कैंप चौकी प्रभारी एसआइ बलजीत सिंह और ईएसआइ महाबीर फतेहपुरी चौक पर मास्टर की दुकान के बाहर पहुंचे। वहां पर चारपाई पर पटाखे बिक रहे थे। अन्य कई जगह भी पटाखे बेचे जा रहे थे। पिता हरीश शर्मा मौके पर पहुंचे और पटाखे बेचने वालों को डांटने लगे। शराब के नशे में बलजीत ने साजिश के तहत पिता के साथ धक्कामुक्की की और घर में घुसकर वीडियो बनाने लगे। वहां पर कई महिलाएं थीं। बलजीत ने उनके साथ भी बहस की और धक्का दिया। धमकी दी कि दो दिन में दिखा दूंगा कि उसकी ऊपर तक कितनी सेटिंग है। चौकी में शिकायत भी दी, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। अगले ही दिन उनके व पिता हरीश के खिलाफ 11 धाराओं के तहत मामला दर्ज कर दिया गया। ये सभी एसपी मनीषा चौधरी के दबाव में किया गया। उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया कि जैसे वे कोई आतंकवादी हों। एसपी, बलजीत व महाबीर का लगातार उन पर दबाव था। 14 से 18 नवंबर तक घर को पुलिस की गाड़ियां घेरे रहती थीं। परेशान पिता हरीश ने 19 नवंबर की सुबह 9 बजे बिंझौल नहर में छलांग लगाकर जान दे दी। पिता के दोस्त राजेश शर्मा भी पिता की जान बचाने के लिए नहर में कूद गए थे।


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