बंदियों की मेहनत व बदलती सोच हैरान करने वाली, तैयार की फूलों की 10 लाख पौध
करनाल की जिला जेल में बंद कैदियों की मेहनत के चर्चे हर ओर हो रहे हैं। इन कैदियों ने न केवल 23 प्रकार के सीजनल फूलों की 10 लाख से अधिक पौध तैयार करने के गुर सीखे बल्कि अपने जीवन में भी ये नए रंग भर रहे है।
करनाल, [सेवा सिंह]। जिन हाथों ने हत्या से लेकर कई संगीन अपराधों को अंजाम दिया हो, अब उन्हीं हाथों से ऐसी पौध तैयार की जा रही है, जिनके फूलों से हर आंगन महक उठेगा। घर ही नहीं सामाजिक संस्था से लेकर सामाजिक व प्रशासनिक कार्यालय के आंगन की भी ऐसे फूलों से रौनक बढ़ेगी बल्कि खुशबू भी हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करेगी। इससे जिला जेल के बंदी व कैदियों के जीवन में आ रहे बदलाव भी दिखेगा। किन्हीं परिस्थितियों में अपने किए अपराध पर हालांकि इन्हें पछतावा हो रहा है तो वहीं बागवानी के प्रति अपनी जिंदगी में आए इस बदलाव से भी ये बेहद खुश है।
जेल प्रशासन ने प्रोत्साहित करते हुए मौका दिया तो इन बंदी व कैदियों ने न केवल 23 प्रकार के सीजनल फूलों की 10 लाख से अधिक पौध तैयार करने के गुर सीखे बल्कि आज इनके जज्बे व कड़ी मेहनत के चर्चे हर किसी की जुबान पर हैं। इनके द्वारा तैयार की गई फूलों की पौध की मांग प्रदेश के कौने-कौने से होने लगी है। यहीं नहीं करनाल जेल का भी हर कौना इन फूलों की महक से महकाने की तैयारी जोरों पर की जा रही है।
उम्र कैद तक की भुगत रहे सजा
फूलों की पौध तैयार करने वाली टीम की अगुवाई कर रहा राजस्थान के भरतपुर जिला के गांव ढाबनगला वासी गुलाब सिंह हत्या के मामले में वर्ष 2001 से उम्रकैद काट रहा है। करनाल जेल में 2014 से बंद हैं। उसके साथ राजस्थान के अलवर जिला के गांव कलसनी वासी रत्न सिंह है, जो 18 साल से हत्या के मामले में उम्रकैद सजायाफ्ता है और 2016 से करनाल जेल में है। राजपाल गांव हाबड़ी जिला कैथल का रहने वाला है, जो हत्या के मामले में 20 साल की कैद काट रहा है और 2007 से करनाल जेल में हैं। संदीप कुमार वासी समालखा 2019 से करनाल जेल में हैं और पोक्सो एक्ट के तहत जेल काट रहा है। पौध तैयार करने में उनके साथ अन्य संगीन मामलों से जुड़े कैदी व बंदी भी सहयोग करते हैं।
जेल से छूटे तो कर सकेंगे परिवार का गुजारा
पौध तैयार करने वाले कैदियों व बंदियों की मानें तो पहले उन्होंने न कभी फूलों की पौध के बारे में सोचा था और न ही ऐसा कार्य किया था, लेकिन कुछ माह पहले जेल अधीक्षक के नेतृत्व में उपाधीक्षक सोलाक्षी भारद्वाज ने उन्हें प्रोत्साहित किया तो जीवन ही बदल गया। उन्हें अपने किए अपराध पर पछतावा है, लेकिन यहां आकर उन्हें फूलों की पौध तैयार करने के इतने गुर सीख लिए हैं कि वे जेल से छूटने के बाद मुख्यधारा से जुड़ते हुए परिवार का आसानी से गुजारा चलाते हुए सम्मानपूर्वक जीवन जी सकते हैं।
इन फूलों की तैयार की गई पौध, ताकि महक से चहक उठे हर जन : सोलाक्षी
जेल उपाधीक्षक सोलाक्षी भारद्वाज का कहना है कि बंदी व कैदियों ने अथक मेहनत कर 23 से भी अधिक प्रकार के सीजनन फूलों की पौध तैयार की है। इनमें आइस, पेंजी, फ्लोक्स, एवरलास्टिंग, एलाज्म, गजानियां, स्टाक, स्वीट विलियम, शोवाय, लीफ फ्लावर, व्हाइट स्टाक, कैलेनडुला, होलीहाक, लारक्सपर, ढेलिया, पापी, शास्ता डेजी, कैलिफोर्निया पापी, कास्मास, स्वीट सुल्तान, कोरियोपसिस, पेटोनिया, एग्रोस्टिमा सहित अन्य प्रकार के फूलों की पौध शामिल है। जेल उपाधीक्षक ने बताया कि ये पौध निशुल्क वितरित की जा रही है और कोई भी व्यक्ति, संस्था व निजी व सरकारी कार्यालय की ओर से भी संपर्क किया जा सकता है। इसका मकसद यही है कि हर कौने में फूलों की महक से हर जन चहक उठे।
हर बंदी व कैदी को तैराशे जाने के किए जाते हैं प्रयास : अमित कुमार
जेल अधीक्षक अमित कुमार भादों का कहना है कि जेल में हर बंदी व कैदी को तराशे जाने का प्रयास किया जाता है, ताकि उसकी जिंदगी में सुधार लाया जा सके। जेल से छूटने के बाद वह अपना जीवन सम्मानपूर्वक जी सके। वहीं जेल उपाधीक्षक सोलाक्षी भारद्वाज का कहना है कि पहले काउंसलिंग कर बंदी व कैदियों के हुनर, पसंद व कार्य के बारे में जाना जाता है और फिर धीरे-धीरे उनकी सोच को इस ओर लाया जाता है कि वह उसी पसंदीदा काम में व्यस्त हो सके। इसके बाद धीरे-धीरे बेहद संगीन जुर्म करने वाले कैदियों के जीवन में भी बदलाव आ जाता है। जेल प्रशासन के साथ मिलकर उनका हर समय यही प्रयास रहता है।