Karnal Lathi Charge: बयान दर्ज करवाने पहुंचे चढ़ूनी, कहा- बसताड़ा टोल प्लाजा पर पुलिस ने की थी बर्बरता
करनाल लाठीचार्ज मामले में बयान दर्ज करवाने पहुंचे गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि बसताड़ा टोल प्लाजा पर पुलिस ने बर्बरता दिखाई थी। पुलिस ने सभी नियमों को भी ताक पर रखकर लाठीचार्ज करने की चेतावनी दी थी और वाटर कैनन का भी प्रयोग किया गया था।
करनाल, जागरण संवाददाता। भारतीय किसान यूनियन नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस पहुंचे हैं जहां वे बसताड़ा टोल प्लाजा लाठीचार्ज प्रकरण को लेकर न्यायिक जांच आयोग के समक्ष अपने बयान दर्ज करवाएंगे। इससे पहले वह 2 नवंबर को भी अपने बयान दर्ज करवा चुके और उन्हें आयोग के चेयरमैन सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसएन अग्रवाल ने 10 नवंबर को फिर बयान दर्ज करवाने के लिए कहा था। जिसके चलते गुरनाम सिंह रेस्ट हाउस पहुंच गए और कोर्ट में आयोग ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी।
गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने आते ही अपने एडवोकेट से विस्तार पूर्वक बातचीत की और वह तथ्य एकत्रित किए जो आयोग के समक्ष पेश करने है। उन्होंने बताया कि वे पहले भी लाठीचार्ज प्रकरण को लेकर आयोग के समक्ष पुख्ता सबूत दे चुके हैं और आज फिर कुछ सबूत सौंपे जाएंगे। उन्होंने आयोग की जांच पर उम्मीद जताई है और कहा है कि सही जांच हो तभी आयोग बनाए जाने का भी फायदा होगा। उनके साथ जगदीप सिंह सहित कई अन्य समर्थक भी पहुंचे है।
पुलिस ने की थी बर्बरता
भारतीय किसान यूनियन नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि 28 अगस्त को बसताड़ा टोल प्लाजा पर आंदोलन चला रहे किसानों पर बर्बरता से लाठियां बरसाई थी। पुलिस ने इतनी निर्दयता दिखाई थी कि सभी नियमों को भी ताक पर रखकर लाठीचार्ज करने की चेतावनी दी थी और वाटर कैनन का भी प्रयोग किया गया था। इसके अलावा पुलिस ने आंदोलन कर रहे लोगों के सिर पर भी लाठियां भांजी इसमें एक किसान की मौत भी हो गई थी। पुलिस की इस बर्बरता से आयोग को तथ्य बार अवगत कराया जाएगा और सुबूत भी पेश किए जाएंगे। न्यायधीश को वे पहले भी बयान दर्ज करवा चुके हैं जिस में भी बताया था कि किस प्रकार पुलिस ने मनमाने तरीके से लाठीचार्ज किया था। 2 नवंबर को दर्ज कराई गई इन बयानों के दौरान भी उन्होंने कई सबूत पेश किए थे।
दिल्ली बार्डर पर हुई बैठक
गुरनाम सिंह ने कहा कि मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की दिल्ली बॉर्डर पर बैठक हुई थी। जिसमें 26 नवंबर को आंदोलन का 1 साल पूरा होने पर विस्तार से चर्चा की गई। इसमें निर्णय लिया गया कि 29 नवंबर को शुरू हो रहे संसद के सत्र के दौरान बड़ी संख्या में लोग संसद की ओर कूच करेंगे उन्होंने कहा कि सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है इतने लंबे समय से तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं इसके बावजूद सरकार मानने को तैयार नहीं। गुरनाम सिंह ने कहा कि संयुक्त मोर्चा की बैठक के दौरान संसद कूच का निर्णय लिया गया और वह अपनी पूरी बैठक के बाद ही बाहर निकले थे वह बैठक छोड़कर बीच में नहीं गए थे और अपनी पूरी बात भी रखी थी ।
सरकार नहीं कर रही डीएपी का प्रबंध
चढ़ूनी ने कहा कि किसान डीएपी के संकट से भी जूझ रहा है लेकिन सरकार ना तो इस कमी को मानने को तैयार है और ना ही डीएपी का प्रबंध किया जा रहा। यहां तक की कंपनियां डीएपी के साथ सल्फर व अन्य सामान भी किसानों को लेने के लिए मजबूर कर रही है। सरकार इस पर भी अंकुश नहीं लगा पा रही। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानून रद्द होने तक ना किसानों का आंदोलन कमजोर होगा और ना ही किसान पीछे हटेंगे।