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Kisan Andolan: कुरुक्षेत्र पहुंचे गुरनाम सिंह चढ़ूनी, शाहाबाद में दलित-किसान महापंचायत में भरी हुंकार

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आंबेडकर जयंती पर दलित-किसान महापंचायत हुई। गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने सरकार पर हमला बोला। कहा कि गेहूं सीजन में भी आंदोलन बंद नहीं होगा। मांगें पूरी होने तक पीछे नहीं हटेंगे। किसान आंदोलन के बाद चढ़ूनी पहली बार शाहाबाद पहुंचे थे।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 01:57 PM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 01:57 PM (IST)
Kisan Andolan: कुरुक्षेत्र पहुंचे गुरनाम सिंह चढ़ूनी, शाहाबाद में दलित-किसान महापंचायत में भरी हुंकार
कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में दलित-किसान महापंचायत के मंच पर मौजूद गुरनाम सिंह चढ़ूनी और अन्य किसान नेता।

कुरुक्षेत्र/शाहाबाद, जेएनएन। भारतीय किसान यूनियन भारत रत्न बाबा भीमराव आंबेडकर के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में शनिवार को शाहाबाद में दलित-किसान महापंचायत की। इसमें भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी पहुंचे। वे किसान आंदोलन के बाद पहली बार शाहाबाद में पहुंचे। यहां यह उनकी पहली महापंचायत रही। इससे पहले पिछले दिनों अंबाला-हिसार हाईवे पर सैनी माजरा टोल पर किसान पंचायत में चढूनी पहुंचे थे। 

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गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हैं। सरकार ने कुछ बैठक बुलाकर आंदोलन को टालने का प्रयास किया, लेकिन सरकार का सकारात्मक रवैया न होने पर बैठक बेनतीजा रही। भाजपा सरकार किसानों की बात सुनने की बजाय चुनावों में लगी हुई है। जबकि गेहूं कटाई का सीजन शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलन को लंबा चलाकर तोड़ना चाहती है। किसान ऐसा नहीं होने देंगे। किसान एकजुट होकर अपनी मांगों की लड़ाई लड़ रहे हैं। 

सीजन में भी चलेगा आंदोलन 

चढूनी ने कहा कि सरकार गेहूं के सीजन में आंदोलन खत्म होने का इंतजार कर रही थी, लेकिन ऐसा नहीं होगा। किसान अपनी मांगों के लागू होने तक आंदोलन जारी रहेगा। सीजन में आंदोलन जारी रहेगा। मई महीने में संसद कूच की तैयारी है। तब तक किसान फसल उठाकर फ्री हो जाएंगे। इसके बाद आंदोलन को तेज किया जाएगा। किसानों की मांगें जायज हैं। सरकार को तीनों कृषि कानूनों काे वापस लेने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। 

दलित-किसान एक सरकार अलग न समझें

चढूनी ने कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में समाज का हर वर्ग एकजुट है। सरकार दलित व किसान को अलग-अलग न देखें। वे मिलकर लड़ाई लड़ रहे हैं और आगे भी आंदोलन इसी तरह एकजुट होकर तेज किया जाएगा। इससे सरकार की चिंता भी बढ़ रही है। किसान आंदोलन को बदनाम तक करने की साजिश रची जा रही है।

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