ग्रीन केमेस्ट्री से समाज में बदलाव की उम्मीद, इंडस्ट्री में इसकी जरूरत
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इनोवेशन इन साइंस इंजीनियरिग एंड टेक्नोलॉजी पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस शुरू
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति में विद्यार्थियों ने मोहा मन नंबर गेम
500 शोधार्थियों ने प्रस्तुत किए शोधपत्र
02 दिन चलेगी अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस जागरण संवाददाता, पानीपत: आज के समय में सभी पर्यावरण प्रदूषण से प्रभावित हैं। इससे औद्योगिक क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित है। जिस गति के साथ परिवेश बदल रहा है। उसी तेजी के साथ ग्रीन केमेस्ट्री से समाज में बदलाव लाने की जरूरत है। इसके बिना किसी तरह की समस्या का समाधान नहीं हो सकता। यही नहीं सॉलिड सतह पर पानी और तैलीय पदार्थों के प्रभाव को रोके जाने की भी जरूरत है।
यह सब आर्य पीजी कॉलेज में इनोवेशन इन साइंस, इंजीनियरिग एंड टेक्नोलॉजी पर दो दिवसीय अंतररष्ट्रीय कांफ्रेंस के पहले शनिवार को विशेषज्ञों के प्रस्तुत शोधपत्रों में निकलकर सामने आया। कॉलेज के रसायन विभाग ने इंडियन साइंस कांग्रेस एसोशिएशन रोहतक, रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री (लंदन), नॉर्थ इंडिया सेक्शन, जीसीएनसी, डिपार्टमेंट ऑफ केमिस्ट्री यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली और उच्चतर शिक्षा निदेशक के सहयोग से कांफ्रेंस कराई। प्रात:कालीन सत्र में उद्घाटन कार्यक्रम के बाद विशेषज्ञों ने अपने शोध प्रस्तुत किए और शाम को कॉलेज के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।
मुख्य अतिथि पीडीएम विश्वविद्यालय बहादुरगढ़ से वाइस चांसलर प्रो. एके. बख्शी, प्रो. आरके शर्मा, प्रो. थेरी डर्मनीन, डॉ. रमेश एल गरदास, प्रो. अमलेंदु पाल, डॉ. अरविद कुमार, प्रो. एसपी खटकड़ और प्रो. मोहम्मद युसुफ ने दीप प्रज्वलित कर कांफ्रेंस का शुभारंभ किया। इससे पहले कॉलेज की प्रबंधन समिति के कोषाध्यक्ष पीयूष आर्य, वरिष्ठ सदस्य विरेंद्र सिगला और प्राचार्य डॉ. जगदीश गुप्ता ने सबका स्वागत किया। मंच संचालन डॉ. सोनिया सोनी ने किया। कांफ्रेंस विवरणिका का विमोचन किया और विज्ञान प्रदर्शनी भी लगाई।
प्रो. एके बख्शी ने क्वालिटी साइंस एजुकेशन फॉर इनोवेशन एंड एक्टिविटी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी पर अपनी प्रस्तुति दी। प्रो. थेरी डर्मनीन ने बायो इन स्पार्यड सरफेसेज फ्रॉम सुपर हाइड्रोफोबिक टू सुपर ओलियोफोबिक विद नैनो टयूबलर डिजाइन विषय पर अपना शोध प्रस्तुत किया। उन्होंने सॉलिड सतह पर पानी और तैलीय पदार्थों के प्रभाव को रोके जाने की स्टेज के बारे में विस्तार से बताया।
प्रो. आरके शर्मा ने ग्रीन केमेस्ट्री टू रिडयूसिग वेस्ट एंड इंप्रूविग एनवायरमेंट विषय पर अपना शोध प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि किस तरह इंडस्ट्रीज क्षेत्र में बढ़ रहे प्रदूषण को नियंत्रित कर वातावरण को ग्रीन बनाया जा सकता है। बदलते परिवेश में ग्रीन केमिस्ट्री से समाज में बदलाव लाने की जरूरत पर जोर दिया।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास के केमेस्ट्री विभाग से प्रो. रमेश एल गरदास ने आयोनिक लिक्विड्स और द्रव लवण के स्वरूप पर चर्चा की। उन्होंने बताया यह कार्बनिक व अकार्बनिक का मिश्रण है। जो पर्यावरण में संतुलन बनाता है। उन्होंने इसमें सबके सहयोग की आवश्यकता और चुनौतियों का डटकर मुकाबला करने की जरूरत पर जोर दिया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के रसायन विभाग से प्रो. अमालेंदू पाल ने स्टडीज ऑफ एक्वस सोल्यूशन ऑफ वेरियस सरफेक्टटेंटस इन लोनिक लिक्विड विषय पर अपना शोध प्रस्तुत किया।
प्राचार्य डॉ. जगदीश गुप्ता ने कहा कि कॉलेज में समय-समय पर सेमिनार व कांफ्रेंस का आयोजन किया जाता है। इससे विद्यार्थियों का ज्ञान बढ़ता है। उन्होंने कहा कि शोध में गुणवत्ता होनी चाहिए। विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल वर्मा ने आगंतुकों का आभार जताया। इस मौके पर उप प्रधान यशपाल मित्तल, महासचिव सीए कमल किशोर, वाइस प्रिसिपल डॉ. संतोष टिक्कू, डॉ. हरविदर कौर, डॉ. बलकार सिंह, डॉ. गीतांजलि धवन, डॉ. शिवनारायण, डॉ. संदीप गुप्ता, प्रो. राजेश गर्ग, प्रो. उमेद सिंह, डॉ. सुदेश, प्रो. स्वाति घनघस और प्रो. साक्षी सैनी मौजूद रहे।