सरकार की बेरुखी से आंसू बहा रहा इतिहास, मिट गई मुगल कोस मीनार
भाजपा सरकार ने वर्ष 2015-16 में 2.79 करोड़ रुपये धरोहरों में खर्च किए। लेकिन 2018-19 में आधी धनराशि खर्च की गई। 78 धरोहरों पर एक रुपया भी नहीं खर्च किया गया।
पानीपत, [राज सिंह]। प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरें रिकॉर्ड से भी लुप्त होने लगी हैं। रखरखाव पर अधिक ध्यान देना था, लेकिन साल-दर-साल बजट में ही कटौती होती गई। जी हां, पुरातात्विक विभाग चंडीगढ़ कार्यालय से आरटीआइ के तहत मिली जानकारी यही बयां कर रही है। चंडीगढ़ सर्कल में कुल 89 ऐतिहासिक धरोहर हैं। वित्तीय वर्ष 2015-16 में इन धरोहरों के रखरखाव पर लगभग 2.79 करोड़ रुपये खर्च किए गए, वहीं 2018-19 में मात्र आधी धनराशि खर्च की गई।
सेक्टर 18 निवासी एडवोकेट अमित राठी ने भारतीय पुरातात्विक विभाग के चंडीगढ़ सर्कल कार्यालय से ऐतिहासिक धरोहरों की संख्या, नाम, जगह और गत चार वित्तीय वर्ष में रखरखाव पर खर्च की आरटीआइ एक्ट 2015 के तहत जानकारी मांगी थी। सर्कल कार्यालय ने 29 मार्च को दिए जबाव में ऐतिहासिक धरोहरों की संख्या 89 बताई।
- धरोहरों के रखरखाव पर खर्च
- वित्तीय वर्ष खर्च
- 2015-16 2 करोड़ 79 लाख 65 हजार 284 रुपये
- 2016-17 2 करोड़ 81 लाख 85 हजार 841
- 2017-18 2 करोड़ 23 लाख 63 हजार 27 रुपये
- 2018-19 1 करोड़, 35 लाख, 98 हजार 767 रुपये (फरवरी माह तक)
खस्ताहाल स्थिति में पानीपत में इब्राहिम लोधी का मकबरा।
78 धरोहरों पर एक धेला भी खर्च नहीं
केंद्र सरकार के अंतिम तीन वर्षों के अंतराल में ऐतिहासिक धरोहरों की सबसे अधिक दुर्दशा हुई है। 2018-19 में तो करीब 78 धरोहरें ऐसी रहीं, जिनके रखरखाव पर सरकार ने एक रुपया भी खर्च नहीं किया है। नतीजा, पर्यटन की दिशा में भी चंड़ीगढ़ सर्कल के जिले आगे नहीं बढ़ रहे हैं।
- ऐतिहासिक धरोहरों पर कब्जे
- धरोहर स्थान कब्जा
- पृथ्वीराज चौहान का किला हांसी 216 घर
- प्राचीन टीले, एक से चार तक हिसार 202 घर
- टीला सिरसा 2202 घर
- टेह टीला, सिवान कैथल 607 घर
- प्राचीन स्थल खोकरा कोट रोहतक 2405 घर
- प्राचीन टीला, नौरंगाबाद भिवानी 03
मुगल कोस मीनार का मिट गया अस्तित्व
पुरातात्विक विभाग की ओर से आरटीआइ के तहत दी गई जानकारी में एक चौंकाने वाली जानकारी मिली है। जिला कुरुक्षेत्र के शाहबाद स्थित मुगल कोस मीनार का जमीन से अस्तित्व ही मिट गया है।