भक्तों के कल्याण के लिए भगवान लेते अवतार
जब-जब देश और संस्कृति पर खतरा आया और धर्म ही हानि हुई तो हमारे देवी देवताओं ने किसी न किसी रूप में अवतार लेकर दुष्टों का दलन किया।
जागरण संवाददाता, समालखा : कथावाचक अरुण कौशल ने बताया कि भक्तों की रक्षा, कल्याण और दुष्टों के विनाश करने के लिए भगवान हर युग में अवतार लेते रहे हैं। जब-जब देश और संस्कृति पर खतरा आया और धर्म ही हानि हुई तो हमारे देवी देवताओं ने किसी न किसी रूप में अवतार लेकर दुष्टों का दलन किया। साधु-संतों और समाज की रक्षा की। वह चुलकाना धाम स्थित चुनकट महर्षि लकीसर बाबा मंदिर में राम कथा के तीसरे दिन पुरुषोत्तम राम के जन्म के बारे में श्रोताओं को बता रहे थे।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को भी माता कौशल्या बनने का प्रयास करना चाहिए तभी उनके घर में भगवान श्री राम जैसे महान तेजस्वी संतान पैदा होगी। उन्होंने कहा कि हम आधुनिकता की आड़ में पश्चिमी सभ्यता की ओर भाग रहे हैं। वहीं पश्चिम के लोग हमारी संस्कृति और सभ्यता को अपना रहे हैं। हमें अपनी संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए। अपने बच्चों को भी संस्कृति के बारे में ज्ञान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सतयुग में राजा चकवा बैन जैसे बलशाली ने उस समय के तपस्वी लकीसर बाबा यानि चुनकट महर्षि का अपमान किया। उन्हें युद्ध के लिए ललकारा तो राजा की सेना को तपस्वी के सामने नतमस्तक होना पड़ा। चुलकाना की पावन धरती इसकी गवाह बनी। उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु ने भी दुष्टों के संहार करने राम अवतार लिए। इस अवसर पर पिकी शर्मा, राकेश शर्मा, बिट्टू शर्मा, कृष्णपाल छोकर, सोनू शर्मा छदिया, मदन शर्मा सरपंच, मुकेश ठेकेदार, गुलशन सरोहा, नकली राम, अमित पुजारी मौजूद रहे। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मिलेंगे भगवान : अनूप शास्त्री
जासं, पानीपत : कथा वाचक पंडित अनूप शास्त्री ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के सुनने मात्र से जीवन बदल जाता है। जन्म जन्म पाप कट जाते हैं। अनूप शास्त्री गांव मोहाली में श्रीमद् भागवत ज्ञान कथा सुना रहे थे। निरालाधाम मंदिर में विश्व कल्याण को लेकर इस कथा का आयोजन किया गया।
कथा के पहले दिन कलश यात्रा निकाली गई। यात्रा ने गांव की परिक्रमा की। 150 महिलाओं ने कलश उठाया। पहले दिन श्रीमद्भागवत के महात्म पर बोलते हुए कथा वाचक अनूप शास्त्री ने कहा कि भावना से श्रद्धा उत्पन्न होती है। जब तक भावना नहीं होगी। धर्म में रुचि जागरूक नहीं होगी। धर्म के लिए भावना होने चाहिए। इसके लिए धार्मिक कार्य कथा होनी चाहिए।
उन्होंने गोकर्ण और धुंधकारी का दृष्टांत सुनाते हुए कहा कि दोनों एक ही घर में पैदा हुए। गोकर्ण महान पंडित बना धुंधकारी दुष्ट प्रवृत्ति में लिप्त हो गया। भागवत में कर्म की महत्ता बताई गई है। गोकर्ण ने अच्छे कर्म किए वह महान व्यक्ति बन गया। हमें सदैव भागवत कथा और रामचरित मानस का श्रवण करना चाहिए। कथा में सरपंच राजबाला, भूषण गल्होत्रा यजमान रहे।