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अस्पताल प्रशासन और मरीजों-तीमारदारों की लापरवाही दे रही कोरोना को न्योता

सर्जरी ओपीडी से डाक्टर एक से अधिक समय तक घंटे नदारद रहे। इस अंतराल में मरीजों को इंतजार करना पड़ा। डिस्पेंसरी में मेडिसिन का अभाव रहा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 06:38 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 06:38 AM (IST)
अस्पताल प्रशासन और मरीजों-तीमारदारों की लापरवाही दे रही कोरोना को न्योता
अस्पताल प्रशासन और मरीजों-तीमारदारों की लापरवाही दे रही कोरोना को न्योता

जागरण संवाददाता,पानीपत : सिविल अस्पताल प्रशासन की सुस्ती कहें या मरीजों-तीमारदारों की बेफिक्री। ओपीडी और रेडियोलाजी ब्लॉक की भीड़ कोरोना संक्रमण को न्योता देती दिखी। शारीरिक दूरी का पालन करना तो दूर, तमाम मरीजों ने मास्क भी नहीं पहना था। थर्मल सेंसर से स्क्रीनिग और हैंड सैनिटाइजिग बंद है।

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दोपहर करीब 12 बजे। ओपीडी ब्लॉक में बहुत से मरीज व तीमारदार बिना मास्क के प्रवेश करते दिखे। उन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं था। कालांतर में हैंड सैनिटाइजिग के लिए मशीन लगाई थी, वह खराब हो चुकी है। ओपीडी स्लिप बनवाने के लिए रजिस्ट्रेशन विडो पर चार लंबी कतारें लगी दिखी। मरीज एक-दूसरे से सटकर खड़े थे।

अस्पताल के सुरक्षाकर्मी उन्हें समझाकर दूरी बनाने को कहते, चंद मिनट बाद पुन: पुरानी स्थिति बन जाती। ऐसे ही हालात, दवा विडो, सरल केंद्र, आयुष्मान भारत योजना विडो, अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे कक्ष के बाहर दिखे। मरीजों की सबसे अधिक भीड़ मेडिसिन ओपीडी के बाहर रही।

सर्जरी ओपीडी से डाक्टर एक से अधिक समय तक घंटे नदारद रहे। इस अंतराल में मरीजों को इंतजार करना पड़ा। डिस्पेंसरी में मेडिसिन का अभाव रहा। नतीजा, मरीजों को ओपीडी स्लिप पर लिखी सभी दवा नहीं मिली।

दवा स्टॉक कम होने की चुगली करते दिखे बोर्ड : ओपीडी ब्लॉक में दो बोर्ड टंगे हुए हैं। एक बोर्ड पर उन 201 दवाइयों के नाम लिखे हैं, जो अस्पताल की डिस्पेंसरी में होनी जरूरी है। इनमें से करीब 25 प्रकार की मेडिसिन ऐसी हैं, जो स्टॉक में नहीं हैं। इनके नाम भी दूसरे बोर्ड में लिखे दिखे। चार घंटे में दो मेडिसिन मिली

हरिनगर वासी आरती ने बताया कि सुबह आठ बजे घर से निकली थी। एलर्जी की शिकायत है। अब 12 बज चुके हैं। दवा विडो से दो ट्यूब तो मिल गई, दो तरह की गोली बाहर से खरीदनी होगी।

गरीब आदमी की मुसीबत

गोपाल कालोनी निवासी मामिना खातून ने बताया कि उसे जुकाम-एलर्जी रहती है। डाक्टर ने पर्चे पर चार तरह की दवा लिखी है, दो मिली हैं। सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं मिलने से गरीब आदमी की मुसीबत बढ़ जाती है।

कभी नहीं मिली पूरी दवाई

उरलाना कलां निवासी सतीश ने बताया कि हार्निया हो गया है। इसी अस्पताल से इलाज चल रहा है। एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि पूरी मेडिसिन यहां से मिल गई हो। आज भी एक दवा बाहर से खरीदनी होगी।


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