कैथल में सेंट्रल बैंक से किया फर्जीवाड़ा, दूसरे की जमीन दिखा ले लिया करीब 16 लाख का लोन
दूसरे गांव की महिला की जमीन अपने नाम दिखा लोन लेकर सेंट्रल बैंक से 15.85 लाख की ठगी की। सेंट्रल बैंक आफ इंडिया से किसान क्रेडिट कार्ड की आड़ में एक करोड़ 43 लाख रुपये की ठगी के मामले अभी भी विचाराधीन।
कैथल, जागरण संवाददाता। कैथल शहर की टिंबर मार्केट स्थित सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की शाखा से किसान क्रेडिट कार्ड के नाम पर ठगी का एक और मामला सामने आया है। यह मामला भी वर्ष 2018 का है। इस बार गांव हरसौला निवासी मनोज कुमार पर आरोप है कि उसने गांव मानस की एक महिला की जमीन के दस्तावेज राजस्व रिकार्ड में जाली मुहर और हस्ताक्षर करके अपने नाम से बनवा कर बैंक से ऋण लिया। सात जून 2018 को बैंक से उसने 13 लाख रुपये का ऋण लिया था, जो अब 15 लाख 85 हजार 936 रुपये हो चुका है। यह राशि उसने बैंक को उसने लौटाई नहीं। बैंक प्रबंधक नरेश कुमार बारवाल की शिकायत पर आरोपित किसान मनोज कुमार और दो अज्ञात के विरुद्ध थाना शहर में केस दर्ज किया गया है।
बैंक प्रबंधक नरेश कुमार ने पुलिस को दी शिकायत में बताया है कि आरोपित मनोज ने चार जून 2018 को ऋण के लिए आवेदन किया था। उसने गांव हरसौला में खेवट नंबर 47, 50, 266, 275, 332, 446, 498, 660, 729 और 923 की जमाबंदी प्रस्तुत की थी, जो कि 2015-16 की जमाबंदी थी और इसे राजस्व विभाग से तीन अप्रैल 2018 और 10 अप्रैल 2018 में लिया गया था। इस जमाबंदी में दर्शाया गया था कि मनोज की गांव हरसौला में 94 कनाल तीन मरले कृषि भूमि है। चार जून 2018 को बैंक के पैनल अधिवक्ता ने भी इसकी सत्यापित रिपोर्ट जारी की थी, जिसके आधार पर बैंक ने उसके 13 लाख रुपये के कृषि ऋण का आवेदन स्वीकार कर लिया था।
सात जून 2018 को फिर मनोज ने जमीन पर मालिकाना हक की जाली रिपोर्ट बैंक को दी। बैंक ने जब दस्तावेजों की जांच कराई तो पता चला कि जिस खेवट की जमाबंदी उसने ऋण के लिए बैंक को दी है, वह तो उसके नाम है ही नहीं। जब बैंक ने राजस्व रिकार्ड निकलवाया तो पाया कि इस जमीन की मारगेज डीड तो गांव मानस की एक महिला रोशनी के नाम से थी, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर 1656 है। ऋण लेते समय गांव हरसौला के संदीप नाम के युवक ने मनोज की गारंटी दी थी।
राजस्व कार्यालय भी शक के दायरे में
सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के साथ जिस स्तर पर कृषि ऋण के नाम पर ठगी के मामले सामने आ रहे हैं, उससे राजस्व कार्यालय भी शक के दायरे में आ रहा है। इस बैंक के एक पूर्व प्रबंधक की मिलीभगत तो इस पूरे रैकेट में मिली ही है, लेकिन राजस्व विभाग की रिपोर्ट के बिना बैंक किसान को ऋण जारी नहीं करता है। इस मामले में भी राजस्व विभाग के रजिस्ट्रार की जाली मुहर और हस्ताक्षर से रिपोर्ट तैयार करके बैंक को दी गई, जिस पर 13 लाख रुपये का ऋण किसान को दिया गया।