दिल्ली लैब की भी रिपोर्ट, वजन नहीं सह सकता किला
जागरण संवाददाता पानीपत किला सुरक्षित नहीं है। रूढ़की के बाद इस बार दिल्ली की लैब ने भी ि
जागरण संवाददाता, पानीपत : किला सुरक्षित नहीं है। रूढ़की के बाद इस बार दिल्ली की लैब ने भी किले की मिट्टी को कमजोर माना है। यह किला प्राकृतिक नहीं है, इस कारण यह समस्या बनी है। किले की मिट्टी के रिपोर्ट आने के बाद यहां रह रहे परिवारों की धड़कन बढ़ गई है। किले में दरार आने के बाद दिल्ली की लैब में यहां के मिट्टी के सैंपल ले जाए गए थे। लैब के कर्मचारी किले पर अलग-अलग जगहों से मिट्टी के सैंपल लेने के लिए आए थे। मिट्टी की कमजोर स्थिति को देखते हुए नगर निगम किले पर रहे परिवारों को पहले ही नोटिस दे चुका है।
ऐतिहासिक किले पर लोग मकान बनाकर रह रहे हैं। उनका दावा है कि उनके पास रजिस्ट्री है। वहीं, ऊंचाई पर बने इन मकानों में दरारें आ गईं। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के विज्ञानियों से मौका मुआयना कराने बाद जब रिपोर्ट आई तो निगम के अधिकारी दरार के कारणों पर एकमत नहीं हुए थे।
विधायक प्रमोद विज के पास शिकायत पहुंची थी। उसके बाद निगम के अधिकारियों ने दिल्ली की एक निजी लैब ( मीनाक्षी जियो टैक्स) को बुलाकर मिट्टी के सैंपल दिए गए। लैब से आई सात सदस्यीय टीम ने किले के आसपास से सात जगहों से सैंपल लिए थे। सैंपल की जांच रिपोर्ट अब नगर निगम को मिली है। सितंबर माह में किले की मिट्टी की जांच की गई थी।
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किले की मिट्टी की दिल्ली लैब से जांच रिपोर्ट आ चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक किले की मिट्टी ज्यादा वजन वहन करने में असमर्थ है। अब यहां होने वाले निर्माण का नक्शा पास होगा। साथ ही अलग से डिजाइन के भवन ही यहां बन सकेंगे। जो पहले से मकान बने हुए हैं, उनको निगम ने नोटिस जारी कर चेतावनी दे दी है।
महिपाल सिंह, चीफ इंजीनियर, नगर निगम पानीपत। वर्ष 2019 से चल रहा मामला
:: वर्ष 2019 में 35 मकानों में दरार आने के बाद नगर निगम ने मकान मालिकों को नोटिस दिया था। शिफ्ट नहीं करने पर निगम का दस्ता जब तोडऩे पहुंचा तो विधायक प्रमोद विज के हस्तक्षेप से सीबीआरआइ से सैंपल जांच कराने पर सहमति बनी।
:: निगम की तरफ से 11 नवंबर 2019 को सीबीआरआइ को सूचित किया गया। सेवानिवृत्त कमिश्नर ओमप्रकाश के साथ 24 दिसंबर को वैज्ञानिक विनोथ व डा. गणेश ने किला क्षेत्र का मौका मुआयना किया।
:: दीवारों पर कहीं पर पांच एमएम तो कहीं पर 90 से 100 एमएम चौड़ी दरारें हैं।
:: किलेवासियों ने विज्ञानियों को बताया था कि 2017 में नगर निगम की तरफ से ड्रेन बनाई गई तो दरारें आनी शुरू हुई। कुछ घरों में 5000 लीटर तक पानी का रिसाव हो रहा है। किले के आसपास के ग्राउंड में मिट्टी की उप सतह प्रोफाइल जानने में विज्ञानी कामयाब नहीं हुए थे। अब कहा जा रहा है कि मिट्टी ज्यादा वजन नहीं सहन कर सकती। दरारों के ये तकनीकी कारण
-भारी बारिश, रिसाव से मिट्टी का सतही तनाव बदल गया। -किला एरिया में ड्रेन कुछ जगहों पर अपशिष्ट पदार्थों से भरी है, पानी रिसाव का एक कारण यह भी हो सकता है।
-भवन बनाने के दौरान मानकों का पालन नहीं किया गया। एक के बाद एक मंजिल की ऊंचाई बढ़ती चली गई। भवनों की ऊंचाई में एकरूपता नहीं है।