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करनाल में बोले पूर्व सेनाध्यक्ष, कहा-कड़े परिश्रम से आगे बढ़ें, देश सेवा में दें योगदान

करनाल के सैनिक स्कूल में छात्र सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने भी शिरकत की। उन्होंने छात्रों को कड़े परिश्रम से आगे बढ़ने व देश सेवा में योगदान के लिए प्रेरित किया।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 20 Dec 2021 04:36 PM (IST)Updated: Mon, 20 Dec 2021 04:36 PM (IST)
करनाल में बोले पूर्व सेनाध्यक्ष, कहा-कड़े परिश्रम से आगे बढ़ें, देश सेवा में दें योगदान
करनाल के सैनिक स्कूल में पूर्व छात्र सम्मेलन का आयोजन।

करनाल,जागरण संवाददाता। करनाल के कुंजपुरा सैनिक स्कूल में रविवार को पूर्व छात्र सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर यहां पर 1961 के पहले बैच के छात्र रहे पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने कहा कि पूर्व छात्र अपने अध्ययनकाल की अविस्मरणीय स्मृतियों को सदा संजोए रखें और स्कूल की प्रगति में भरसक योगदान दें। उन्होंने छात्रों को कड़े परिश्रम से आगे बढ़ने व देश सेवा में योगदान के लिए प्रेरित किया। सम्मेलन में 1971 की जंग के योद्धाओं व कोरोना से लड़ने वालों को भी सम्मानित किया गया। इनमें स्कूल में कोरोना संक्रमित विद्यार्थियों का उपचार करने वाले चिकित्सक भी शामिल रहे।

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वीर शहीदों को दी श्रद्धांजलि

स्कूल के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि के साथ कुमार स्टेडियम में आरंभ हुए सम्मेलन में प्रधानाचार्य कर्नल विजय राणा और ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन के प्रधान मेजर जनरल बिशंभर दयाल ने सबका स्वागत किया। कार्यक्रम में 1971 की लड़ाई के योद्धाओं में शामिल लेफ्टिनेंट जनरल डीडीएस संधू, लेफ्टिनेंट जनरल अरुण नंदा, मेजर जनरल उमंग कपूर, विंग कमांडर एमएस लोहान, कर्नल पीएस ढिल्लों, कर्नल जेएस जोधा, कर्नल ओपी यादव, कर्नल मिलन चटर्जी और ङ्क्षवग कमांडर डीके भारद्वाज को सम्मानित किया गया। इसी क्रम में कोरोना योद्धाओं में शामिल अरुणा खरबंदा, आइजी सुरेश शर्मा और दीपाली सहित हरियाणा व दिल्ली पुलिस के अधिकारियों तथा डाक्टरों को सम्मानित किया गया। 

फाजिल्का में लंच करना चाहती थी पाकिस्तानी फौज, सरहद पर ही चबवा दिए नाकों चने 

कुंजपुरा सैनिक स्कूल के पूर्व छात्र सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे कर्नल चटर्जी ने जागरण को बताया कि वह स्कूल के पहले बैच के छात्र रहे हैं। अनुभव साझा करते हुए बताया कि 1971 की जंग में भारतीय सेना के जाबांज अधिकारियों ने बेहतरीन रणकौशल की बानगी पेश की। इन्हीं में शामिल थे कर्नल मिलन चटर्जी, जिन्हें फाजिल्का सीमा पर छह टैंक की कमान सौंपी गई थी। पाक फौज ने अचानक हमला किया तो कर्नल चटर्जी ने सीमित संसाधनों व  विपरीत परिस्थितियों के बावजूद डटकर सामना किया और पूरे 13 दिन हौसले से जंग लड़ी। नतीजतन, उनका एक भी टैंक नष्ट नहीं हुआ जबकि पाकिस्तान के कई सैनिक उन्होंने मार गिराए। तब पाकिस्तान का लक्ष्य फाजिल्का में लंच व अबोहर में डिनर करना था लेकिन कर्नल चटर्जी और उनके साथियों ने सरहद पर ही उसकी फौज को नाकों चने चबवा दिए। कर्नल चटर्जी ने बताया कि भारतीय सेना हर लक्ष्य फतह करने में सक्षम है।


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