प्लाईवुड उद्योग को मिलेगी रफ्तार, तैयार होगी उन्नत किस्म की फसल, यमुनानगर में बनेगा फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट
Forest Research Institute हरियाण में एग्रोफोरेट्री पर किशनपुरा में शोध हो सकेंगे। फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआइ) के लिए जमीन चिन्हित की गई। 35 एकड़ में फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट बनाने की योजना है। वन विभाग अपने नाम ट्रांसफर करवाएगा जमीन।

यमुनानगर, [संजीव कांबोज]। एग्रो फोरेस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से उठा कदम जल्द मंजिल तक पहुंचेगा। इसके लिए कवायद शुरू हो गई है। वन विभाग ने खंड प्रतापनगर के गांव किशनपुरा में फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के लिए 35 एकड़ जमीन इसके लिए चिन्हित कर ली है। अब इस जमीन को विभाग अपने नाम ट्रांसफर करवाएगा। यदि सब कुछ योजना के मुताबिक चलता रहा तो जल्द ही प्रदेश को पहला फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट मिल जाएगा। इसके यहां बनने से न केवल प्लाइवुड उद्योग को संजीवनी मिलेगी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। किसानों को भी उन्नत किस्में मिल सकेंगी।
यह होगा फायदा
अब तक फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट केवल देहरादून में ही है। हालांकि हरियाणा के यमुनानगर में इंस्टीट्यूट बनाए जाने की मांग कई बार उठी है, लेकिन इस ओर किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। यहां फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट न होने के कारण एग्रो फोरेस्ट्री के क्षेत्र में नए शोध नहीं हो पा रहे हैं। न तो पापुलर जैसी फसल की नई किस्में इजाद हो पा रही हैं और न ही पुरानी किस्मों के कीटों व बीमारियों का सही उपचार हो पा रहा है। जबकि यमुना नगर में बड़े पैमाने पर पापुलर की खेती की जाती है। प्लाइवुड उद्योग होने के कारण यहां इसकी डिमांड भी है।
15 मई को सीएम ने की थी घोषणा
15 मई को सीएम मनोहर लाल ने प्रगति रैली में इसकी घोषणा की थी। इस पर 50 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की योजना है। कारोबारी लंबे समय से इसकी मांग करते आ रहे थे। वन मंत्री कंवरपाल व विधायक घनश्याम दास अरोड़ा इसके लिए काफी प्रयासरत रहे। व्यापारियों को काम के लिए रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून में दौड़ लगानी पड़ती थी। बता दें कि जिले का प्लाइवुड उद्योग विख्यात है। इसमें पापुलर को कच्चे माल के तौर पर प्रयोग किया जाता है। यहां इसकी आपूर्ति न केवल प्रदेश के विभिन्न जिलों से बल्कि उप्र से भी काफी मात्रा में पापुलर पहुंच रहा है। व्यवसायियों के मुताबिक यहां के प्लाइवुड उद्योग को भी आक्सीजन की जरूरत है। फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट बन जाए तो यह प्लाइवुड उद्योग के लिए आक्सीजन का काम करेगा। क्योंकि यहां का प्लाइवुड उद्योग अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। यह एमएसएमई के अंतर्गत आता है और लाखों लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।
जल्दी शुरू होगा योजना पर काम
एफआरआई के लिए पंचायती जमीन चिन्हित की गई है। इसको वन विभाग के नाम ट्रांसफर करवाने की प्रक्रिया चल रही है। उम्मीद है जल्दी ही योजना पर काम शुरू हो जाएगा। जिले के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी। पापुलर उत्पादक किसानों के साथ-साथ व्यवसायियों को भी फायदा होगा।
सूरजभान, जिला वन अधिकारी।
Edited By Anurag Shukla