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अमेरिका और ईरान की लड़ाई से चावल निर्यातकों पर संकट, विदेशी खरीदार हो रहे डिफाल्टर

अमेरिका और ईरान की लड़ाई के कारण प्रदेश के चावल निर्यातक भी संकट में आ गए हैं। निर्यात माल का भुगतान किस करेंसी में होगा तय नहीं होने से पेमेंट अटक गई है।

By Edited By: Published: Tue, 21 May 2019 07:05 AM (IST)Updated: Tue, 21 May 2019 01:58 PM (IST)
अमेरिका और ईरान की लड़ाई से चावल निर्यातकों पर संकट, विदेशी खरीदार हो रहे डिफाल्टर
अमेरिका और ईरान की लड़ाई से चावल निर्यातकों पर संकट, विदेशी खरीदार हो रहे डिफाल्टर

पानीपत, [महावीर गोयल]। अमेरिका और ईरान की लड़ाई के कारण प्रदेश के चावल निर्यातक भी संकट में हैं। निर्यात माल का भुगतान किस अंतरराष्‍ट्रीय करेंसी में होगा, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं पाई है। ऐसे में भुगतान का संकट बना हुआ है। वहीं, विदेशी खरीदारों के डिफाल्टर होने से बासमती चावल के साथ हैंडलूम उत्पाद और कृषि यंत्रों के निर्यातकों को पैसे का भुगतान नहीं हो पा रहा है। बता दें कि अकेले पानीपत से 100 करोड़ से अधिक का तौलिया निर्यात किया जाता है।

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84 करोड़ के क्लेम जारी 
विदेशों में निर्यात होने वाले माल पर बीमा सुविधा देने वाली एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन (ईसीजीसी) ने 84 करोड़ के क्लेम बैंकों को दिए हैं। इनमें 73 करोड़ रुपये अकेले बासमती निर्यातक कंपनियों का दिया गया है। 

निर्यात से पहले बरतें ये सावधानी
निर्यात से पहले अब निर्यातकों को विदेशी ग्राहक की क्रेडिट स्थिति की जानकारी लेनी होगी। ईसीजीसी यह जानकारी उपलब्ध करवा रहा है। जिस विदेशी खरीदार की क्रेडिट स्थिति अच्छी नहीं हैं, उसे ईसीजीसी के अधिकारी माल नहीं देने का सुझाव देते हैं। ऐसी फर्म के साथ लेनदेन का बीमा भी नहीं होता। यदि अच्छी फर्म किसी कारण से डूबती है तो उसका क्लेम दिया जाता है। 

इस वर्ष दिए क्लेम 
निर्यातक                      क्लेम राशि
अभियाशमी इंटरनेशनल      11 करोड़ 
त्रिपुति बासमती तरावड़ी      60 करोड़
बेसिक इंडिया लिमिटेड      13 करोड़
बेरी उद्योग करनाल            3.60 करोड़
(नोट: ईसीजीसी ने यह क्लेम राशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक, कैनरा बैंक को दी है। )

अमेरिका-ईरान की लड़ाई भी पड़ रही भारी
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध से भी बासमती चावल निर्यातकों की मुश्किल बढ़ गई है। अप्रैल तक यूरो में लेनदेन हो रहा था। मई माह में अभी भुगतान की करंसी तय नहीं है। इस कारण बासमती निर्यातकों की ङ्क्षचता बढ़ी हुई है। नई सरकार के गठन के बाद स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है। प्रदेश से सबसे अधिक बासमती चावल का निर्यात ईरान को होता है। निर्यात का लगभग 30 फीसद चावल ईरान में जाता है। 

अमेरिकी-ईरान विवाद के चलते लेन-देन की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हुई है। स्थिति स्पष्ट होने के इंतजार में बासमती निर्यातक हैं। यदि भुगतान यूरो डालर में नहीं होता है तो निर्यातकों को अन्य विकल्प तलाशने होंगे
पीवी बनर्जी, शाखा प्रबंधक, ईसीजीसी, पानीपत 

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