Food and Supplies Department: यमुनानगर में अधिकारियों की नाकामी की भेंट चढ़ा सरकारी गेंहु, खुले में पड़े रहते हैं लाखों कट्टे
यमुनानगर में सरकारी गेहूं अधिकारियों की नाकामी से वह सड़ रहा है। अनाज मंडी में ही एक लाख से अधिक गेहूं के कट्टे खुले आसमान के नीचे रखे हैं। अधिकारियों का कहना है कि हालांकि उपरी परतें ठीक हैं लेकिन नीचे से अधिकांश बोरियां खराब निकल रही हैं।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर में सीजन में सरकार ने गेहूं के जिस एक-एक दाने की कीमत देकर खरीदा, अधिकारियों की नाकामी से वह सड़ रहा है। बदबू आ रही है। जगाधरी अनाज मंडी में ही एक लाख से अधिक गेहूं के कट्टे खुले आसमान के नीचे तिरपाल के नीचे रखे हैं। समय पर उठान न होने के कारण बारिश में भीग कर सड़ना शुरू हो गया है। हालांकि उपरी परतें ठीक हैं, लेकिन नीचे से अधिकांश बोरियां खराब निकल रही हैं। अब यह खाने लायक है या नहीं इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
मई-जून में लगा था स्टाक
भंडारण की क्षमता कम होने की वजह से अनाज मंडियों में खुले लगे प्लिंथ में गेहूं खराब होना शुरू हो गया है। न केवल जगाधरी अनाज मंडी बल्कि अन्य में भी गेहूं के लाखों कट्टे खुले में हैं। हालांकि बचाव के लिए तिरपाल से ढका गया है, लेकिन यह नाकाफी है। अलग-अलग अनाज मंडियों में डीएफएससी, हैफेड व वेयर हाउस के लाखों कट्टे ओपन प्लिंथ पर हैं। गेहूं की खरीद का सीजन पूरा होने के बाद मई-जून माह में खरीद एजेंसियों ने गेहूं को खुले में स्टाक कर लिया, क्योंकि सरकार के पास अनाज को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में गोदाम नहीं हैं। मंडियों से यह स्टाक आज तक नहीं उठ पाया। हालांकि डिमांड के मुताबिक अब उठना शुरू हुआ है, लेकिन बहुत ही धीमी गति से।
यह है भंडारण व्यवस्था
खाद्य और आपूर्ति विभाग के कार्यालय के परिसर : 8400 टन
जगाधरी : 10 हजार टन
जगाधरी स्टैंड : 10 हजार टन
छछरौली : 5 हजार टन
हर साल सड़ता है अनाज
भाकिसं के प्रदेश महामंत्री रामबीर सिंह चौहान का भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण हर साल हजारों कट्टे अनाज के सड़ जाते हैं। गरीब आदमी एक-एक निवाले को तरसता है, लेकिन अनाज मंडियों में अनाज हर साल खराब हो रहा है। सरकार भंडारण की व्यवस्था नहीं करवा पा रही है। किसान जो अनाज पैदा कर रहा है, सरकार उसको भी सुरक्षित नहीं रख पा रही है।
नए गोदाम बनाए सरकार
अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के जिला प्रधान शिव कुमार संधाला का कहना है कि हर साल भारी मात्रा में अनाज खराब हो जाता है। सरकार के पास भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं है। अनाज मंडियों में खुले में ही गेहूं की चट्टे लगाए जाते हैं। जितना अनाज गोदामों में रखा जाता है, उससे कई गुणा अधिक खुले आसमान के नीचे रहता है। नए गोदाम बनाए जाने की जरूरत है। सरकार के पास भंडारण की व्यवस्था पर्याप्त होनी चाहिए, ताकि अनाज महफूज रह सके।
अधिकारी के अनुसार
डीएफएससी कुशल बूरा ने बताया कि अनाज मंडी से उठान की प्रक्रिया जा रही है। निचली स्तह में कुछ कट्टे खराब हो जाती हैं। उस गेहूं दूसरे कट्टों में भरा जा रहा है।