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पांच वर्ष का 'जेम्स बॉन्ड', पढि़ए दिमाग में कैसे छाप लेता है भूगोल

जेम्स बांड तो आपको याद होगा। जी हां, हॉलीवुड अभिनेता डेनियल क्रेग। लेकिन आप इस इंडियन जेम्स को देख उसे भूल जाएंगे। ये एक्शन हीरो नहीं बल्कि दिमागी कीड़ा है। आखिर क्या है खास।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 01:02 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 09:18 AM (IST)
पांच वर्ष का 'जेम्स बॉन्ड',  पढि़ए दिमाग में कैसे छाप लेता है भूगोल
पांच वर्ष का 'जेम्स बॉन्ड', पढि़ए दिमाग में कैसे छाप लेता है भूगोल

जेएनएन, पानीपत : जेम्स की प्रतिभा हर किसी को हैरान कर देने वाली है। स्टंट से नहीं बल्कि अपने दिमाग की काबिलियत दिखाकर आपको कहने पर मजबूर कर देगा, माइंड ब्लोइंग। जानने के लिए पढि़ए ये खबर।

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कैथल के गांव बुढाखेड़ा का पांच वर्षीय बच्चा जेम्स बैनीवाल एक अजीब प्रतिभा को अपने अंदर समेटे हुए है। महज पांच वर्ष दो महीने व 20 दिन की उम्र में जेम्स ने उन सब चीजों के बारे में जानकारी हासिल कर ली है, जिनकी सामान्य बच्चे कल्पना भी नहीं करते। लोग तो उसे जेम्स बॉन्ड भी कहने लगे हैं। 

एक बार सुन लिया तो भूलता नहीं
जेम्स का जन्म 19 अगस्त 2013 को गांव में हुआ था, लेकिन अब परिवार के सदस्य कैथल शहर में रह रहे हैं। नक्शा देखकर भारत व इसके आसपास के करीब 20 देशों के भूगोल की जानकारी देने वाला यह बच्चा एक बार जो बात सुन लेता है उसे भूलता नहीं।  

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जेम्स बैनीवाल।

ढाई साल में मां के हाथ से छीनी किताब
मात्र ढाई वर्ष की उम्र में किताबों से लगाव बढ़ा तो पढऩे के लिए मां के हाथ से किताब छीन ली। पढऩे की जिज्ञासा को देख अभिभावकों ने बच्चे का ज्ञान विस्तार करने में रुचि दिखानी शुरू कर दी। घर में विश्व का नक्शा, अंग्रेजी व हिंदी के चार्ट और बच्चों के पढऩे की किताबें लाकर रख दी। इस समय जेम्स अंग्रेजी के पांच सौ से ज्यादा शब्दों को अर्थ सहित बता देता है। शरीर के अंगों के नाम हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में याद हैं। 

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मोबाइल और कंप्यूटर चलाने में भी मास्टर 
मोबाइल और कंप्यूटर को चलाने में जेम्स को महारथ हासिल है। कंप्यूटर और मोबाइल के बारे में जेम्स के माता-पिता भी इतना नहीं जानते, जितनी जानकारी बच्चे को है। मोबाइल पर नेट चलाना, गेम खेलना, वाइ फाइ ऑन कर कंप्यूटर को मोबाइल से जोडऩा और नए-नए एप डाउनलोड करके देखना इस प्रकार की चीजों से लगाव है। कई बार तो बिजली से संबंधित औजार लेकर कंप्यूटर को खोलने की कोशिश करता है। वो भी सिर्फ ये देखने के लिए कि इसके अंदर क्या है? पशु-पक्षियों, फल व सब्जियों के नाम झट से बता देता है।  

अंग्रेजी बोलना बनी आदत 
हालांकि जेम्स हिंदी व अंग्रेजी भाषा के साथ हरियाणवी बोली भी बोलता और समझता है, लेकिन लोगों के साथ अंग्रेजी में बात करना अपनी आदत बना ली है। 500 से ज्यादा अंग्रेजी शब्दों व उनके अर्थ का पूरा ज्ञान जेम्स को है। जेम्स के पिता सुरेंद्र बैनीवाल ने बताया कि जेम्स की मां नीलम देवी एमफिल कर रही हैं। उसकी किताबों को वह साथ में बैठकर पढ़ता है। इस संबंध में कोई प्रश्न पूछते हैं तो बड़ी सरलता से उसका जवाब देता है। 

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अब तक कई मंचों पर हो चुका सम्मानित
जेम्स शहर के एक निजी स्कूल में यूकेजी में पढ़ रहा है। अब तक यह बच्चा कई बड़े मंचों पर सम्मानित हो चुका है। 2016 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के डॉ. राधाकृष्णन सदन में हुए राष्ट्र स्तरीय कार्यक्रम में जेम्स को हिंदुस्तान गौरव सम्मान से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा देश, प्रदेश व जिला स्तर पर हुए कार्यक्रमों में भी कई बार सम्मानित हो चुका है। 

होनहार के साथ गुणवान बनाना चाहते हैं माता-पिता
पिता सुरेंद्र व मां नीलम ने बताया कि स्कूल में दाखिला दिलाने के बाद अब वे जेम्स से केवल स्कूल का होमवर्क ही ज्यादा करवाते हैं। उनका उद्देश्य है कि वे जेम्स को एक अच्छा इंसान बनाएंगे। उसकी सीखने की आदत को और विस्तार देने के लिए हर सुविधा उपलब्ध करवाएंगे। होनहार होने के साथ-साथ उसे गुणवान भी बनाएंगे। मनोचिकित्सक सुदेश खुराना का कहना है कि कई बच्चों में जन्मजात ऐसी प्रतिभा होती है। उनका आइक्यू स्तर, दूसरे बच्‍चों से अधिक होता है। वैसे अगर माता-पिता अपने बच्‍चों के सवालों का सही से जवाब दें तो भी बच्चा प्रतिशाली बन सकता है। अगर हम बच्चों के सवाल को इग्नोर करेंगे तो उसमें जानने की इच्छा मर जाएगी। 


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