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टेक्सटाइल नगरी के कारोबारियों का बड़ा फर्जीवाड़ा, ऐसे लगाया जीएसटी का चूना

पानीपत में 500 करोड़ की फर्जी बिलिंग का मामला सामने आया है। इसमें 5 से 12 फीसद वाले स्लैब में फर्जीवाड़ा के ज्यादा केस है। अब कराधान एवं आबकारी विभाग 15-50 फीसद पेनल्टी वसूल करेगा।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Thu, 27 Dec 2018 02:35 PM (IST)Updated: Fri, 28 Dec 2018 10:53 AM (IST)
टेक्सटाइल नगरी के कारोबारियों का बड़ा फर्जीवाड़ा, ऐसे लगाया जीएसटी का चूना
टेक्सटाइल नगरी के कारोबारियों का बड़ा फर्जीवाड़ा, ऐसे लगाया जीएसटी का चूना

पानीपत [अरविन्द झा]। टेक्सटाइल हब पानीपत में 500 करोड़ से अधिक की फर्जी बिलिंग का मामला सामने आया है। इससे सरकार को 25 करोड़ (पांच फीसद) जीएसटी का चूना लगा। सब कुछ जानते हुए भी कराधान एवं आबकारी विभाग कुछ नहीं कर पा रहा। सिर्फ ऐसी कंपनियों की मॉनिटिरंग करने और नोटिस भेजने की बात कही जा रही है। 

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पानीपत में धागे से चादर, दरी, तौलिये और बाथमैट बनाने का कारोबार है। मिंक और पोलर सहित अन्य दूसरी वेराइटी के कंबल भी बनते हैं। कुछ लोग बाकायदा फर्म बनाकर फर्जी बिलिंग कर रहे हैं। व्यापारियों का पांच फीसद टैक्स बचाने पर ये कंपनियां 2 प्रतिशत कमीशन लेती हैं और 3 प्रतिशत की बचत व्यापारियों को होती है। 

धागे पर पांच फीसद जीएसटी

धागे पर पांच फीसद जीएसटी है। बिलिंग कंपनियां कुल टैक्स का दो फीसद लेकर गलत तरीके से बिल काट देती हैं। 12 फीसद टैक्स में 3-4 फीसद पर गुमराह करती हैं। 200-300 करोड़ का बिल जेनरेट करने के बाद दूसरी कंपनी खोल कर बिल बनाने लगते हैं।

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ऐसे हुआ पर्दाफाश

व्यापारियों ने जब रिर्टन भरी तो पता चला कि कोई जीएसटी जमा ही नहीं  कराया गया। पोर्टल पर सिर्फ दिखावे के लिए होता है। 5 और 12 फीसद वाले स्लैब में सर्वाधिक मामले उजागर हुए हैं। टैक्स राशि की 50 फीसद फर्जी बिलिंग की जा रही है।  

बैंक में फर्जीवाड़े की एंट्री

खास बात यह है कि बैंक भी इससे अछूते नहीं रहे। बैंक के जरिए बिलिंग की एंट्री हो रही है। बिल का चेक भी बैंक में जमा कराया जा रहा है। चेक जमा कराने वाले का खाता और  आधार नंबर से मेल नहीं खाता है। ऐसे में खाताधारक को कोई एजडस्टमेंट नहीं मिलता है।

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चोरी में पकड़े जाने पर सजा  

कर चोरी में किसी फर्म की फर्जी बिलिंग पकड़ी जाती है तो उसे 40 दिनों के भीतर केस निपटाना पड़ता है। जो फर्म ऐसा नहीं करती है उसके मालिक के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया जा सकता है। जितना जीएसटी लगा है वह 12 फीसद ब्याज सहित जमा कराना होगा। 15 से 50 फीसद पेनल्टी अलग है।    

डोर-टू-डोर सर्वे में हो रहा पर्दाफाश

जीएसटी में वैट की तुलना में तीन गुणा अधिक रजिस्ट्रेशन हुई हैं। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन देना होता है। सेल्स टैक्स और एक्साइज विभाग की टीमें सर्वे कर रही हैं। कुछ मामले मिले हैं जिनमें रजिस्ट्रेशन के मुताबिक फर्म का पता ही नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच चल रही है। कितनी फर्में फर्जी हैं, डाटा तैयार हो रहा है।

 

वैट के सी-फार्म में हुआ था 800 करोड़ का फर्जीवाड़ा

वैट के सी-फार्म के तहत प्रदेश में 800 करोड़ से अधिक का फर्जीवाड़ा हुआ था। इसमें पानीपत के दो अधिकारियों को हेड ऑफिस भेज दिया गया था। इस मामले की जांच भी अभी चल रही है। बताया जा रहा है कि जांच विजिलेंस को सौंपी जा सकती है।

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ई-वे बिल का भी फर्जीवाड़ा

दो महीने पहले कराधान विभाग ने जीटी रोड पर दिल्ली से हिमाचल के बद्दी जा रहा ट्रक पकड़ा था। ट्रक खाली था, जबकि ई-वे बिल में माल लोड था।

केंद्र और राज्य सरकार का अच्छा कदम

कर चोरी रोकने और स्वस्थ व्यापारिक परंपरा बनाए रखने के लिए वस्तुओं पर निर्धारित जीएसटी व्यापारियों को देना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकार का यह अच्छा कदम है। टैक्स चोरी करने वाली फर्मों को फर्जीवाड़े से बचना चाहिए। 

मनीष अग्रवाल, सचिव, हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स पानीपत चैप्टर।

उद्यमियों को सतर्क किया था

चैंबर ऑफ कॉमर्स की जनरल मीटिंग में इस तरह के केस सामने आने पर उद्यमियों को सतर्क किया था। सेल-पर्चेज वाली ट्रेडिंग कंपनियां फर्जी डाक्यूमेंट के सहारे इस तरह का काम कर रही हैं। जांच पूरी होने के बाद राशि का पर्दाफाश करेंगे।

राजाराम नैन, डीईटीसी, पानीपत।


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