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सुपारी किलर ने ही कर दिया सुपारी देने वाले का कत्ल, महंत रामभज हत्या मामले में बड़ा खुलासा

महंत रामभज दास मर्डर केस में बड़ा खुलासा हुआ है। महंत ने खुद एक अन्य महंत की हत्या केे लिए सुपारी दी थी लेकिन एडवांस रकम पर सहमति न बनने से वह खुद मारा गया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 11:43 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 12:20 PM (IST)
सुपारी किलर ने ही कर दिया सुपारी देने वाले का कत्ल, महंत रामभज हत्या मामले में बड़ा खुलासा
सुपारी किलर ने ही कर दिया सुपारी देने वाले का कत्ल, महंत रामभज हत्या मामले में बड़ा खुलासा

जेएनएन, कैथल। यहां के नजदीकी सांघन गांव के महंत रामभज दास की हत्या के मामले में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। महंत रामभज दास ने एक अन्य मंदिर के महंत राघव दास शास्त्री की हत्या की पांच लाख रुपये में सोनीपत के हिस्ट्रीशीटर गैंग को सुपारी दी थी। एडवांस पैसों पर सहमति नहीं बनी, इसलिए बदमाशों ने महंत रामभज दास को ही पीट-पीट कर मार डाला।

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पुलिस ने मामले में पांच आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है। हत्याकांड को सोनीपत और जींद के गिरोह ने अंजाम दिया था। पुलिस ने जींद के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है। लगभग सभी पर पहले ही कई मुकदमे दर्ज हैं। एसपी शशांक कुमार ने बताया कि महंत रामभज दास एक अन्य मंदिर के महंत राघव दास शास्त्री को मारना चाहता था। उसने इसके लिए पांच लाख रुपये में सोनीपत के हिस्ट्रीशीटर गैंग को सुपारी दी थी, लेकिन सुपारी के एडवांस पैसों को लेकर गैंग व रामभज दास में सहमति नहीं बन पाई। इस पर बदमाशोंं रामभज दास को पीट-पीट कर मार डाला। 

पत्रकारों से बातचीत करते एसपी शशांक कुमार।

एसपी ने बताया कि मृतक महंत रामभज दास शहर के प्राचीन हनुमान मंदिर पर कब्ज़ा करने की साजिश रच रहा था। रामभज दास बेलरखा (नरवाना) के अपने साथी कुलबीर की माध्यम से बदमाश अजय मेहरा और सोनीपत के गैंगस्टरों के संपर्क में था। प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत राघव दास 92 वर्ष के हैं। रामभज दास ने उनकी हत्या की सुपारी पांच लाख रुपये में दी थी। 

हत्या मामले में पकड़े गए बदमाश।

रामभज दास बदमाशों के संपर्क में रहता था। प्राचीन हनुमान मंदिर की 60- 70 करोड़ करोड़ रुपये की संपत्ति पर रामभज दास की नजर थी। रामभज दास ने कम आयु में ही श्रृंगी आश्रम की गद्दी संभाल ली थी। चकाचौंध ने उसका दिमाग खराब कर दिया था। गांव टटियाना के महंत छवि राम दास का नाम भी एफआइआर में शामिल था, लेकिन उनका मामले से कोई लेना-देना नहीं मिला। रामभज दास छविराम दास को अपना प्रतिद्वंद्वी मानता था। राघव दास के बाद गद्दी पर कहीं वह न बैठ जाए, इसलिए रामभज दास ने मरने से पहले छवि राम दास का नाम लिया था।

ये है मामला

आश्रम के 28 वर्षीय महंत रामभज दास को 24 जून की सायं बेलरखां गांव निवासी कुलबीर आश्रम से बुलाकर लेकर गया था। रामभज दास ने आश्रम से जाते समय सेवादारों से बताया था कि वह कैथल जूस पीने के लिए जा रहा है। वह जल्द ही वापस आ जाएगा, रात को करीब 11 बजे महंत पर हमले की सूचना ग्रामीणों को मिली। रामभज दास को सिविल अस्पताल कैथल में दाखिल कराया गया। जहां से उसे चंडीगढ़ पीजीआइ रेफर कर दिया गया, जहां उसकी मौत हो गई। मौत से पहले उसने बयान भी दिए थे। 


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