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लड़कियां पहलवानी करें, इसलिए मेरे पिता ने मुझे दंगल में भेजा

सोनिका कालीरमण मलिक बुधवार को दैनिक जागरण पानीपत के फेसबुक लाइव के माध्यम से पाठकों से रूबरू हुईं।

By Edited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 08:46 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 08:46 AM (IST)
लड़कियां पहलवानी करें, इसलिए मेरे पिता ने मुझे दंगल में भेजा
लड़कियां पहलवानी करें, इसलिए मेरे पिता ने मुझे दंगल में भेजा

पानीपत, जेएनएन।  सोनिका कालीरमण मलिक ने बताया कि उनके पिता और गुरु चंदगीराम ने कुश्ती में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए घर से शुरुआत की। ताकि दूसरे प्रेरित हों। बेटियों को घर से बाहर निकालें और खेलों में भागीदारी को प्रेरित कर सके। इसके लिए हरियाणा के साथ उत्तर-प्रदेश, मध्य-प्रदेश और बंगाल तक उन्होंने दंगल खेले। भारत केसरी खिताब जीतने वाली देश की पहली महिला पहलवान सोनिका कालीरमण मलिक बुधवार को शाम पांच से छह बजे तक दैनिक जागरण पानीपत के फेसबुक पेज पर लाइव रहीं। इस दौरान सैकड़ों लोगों ने उनकी बात सुनी। अपने सवाल पूछे।

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सोनिका ने कहा कि उनके पिता चंदगीराम ही उनके गुरु भी थे। कुश्ती में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना चाहते थे। तब तक कोई भी लड़की कुश्ती नहीं खेलती थी। उन्होंने मुझ से ही महिला कुश्ती की शुरुआत की। बुआना में होने वाले वार्षिक दंगल में जरूर भाग लेती थी। कुश्ती में कामयाब होने लगी तो पिताजी मेरी कमाई से भी अन्य लड़कियों की डाइट पूरी करते रहे। उन्होंने वर्तमान में कुश्ती में प्रदेश और देश का नाम कर रही महिला पहलवानों के लिए प्लेटफार्म तैयार किया। सोनिका से जम्मू-कश्मीर समेत देश के कोने-कोने से लोग जुड़े।

जीतने के बाद भी खाने पड़े पत्थर

सोनिका ने बताया कि 1997 में कुश्ती की शुरुआत करने के बाद 1998 में पलवल के एक गांव में दंगल खेलने गई। कुछ ही समय में अपनी प्रतिद्वंदी को हरा दिया। इसके बाद भी लोगों ने उनपर पत्थर बरसाए। लोग महिलाओं की कुश्ती को लेकर गुस्सा थे। ऐसा ही एक हादसा बरेली में कुश्ती के दौरान जाते हुए हुआ। वहां दो समुदायों में झगड़ा चल रहा था। एक समुदाय को जैसे पता लगा कि महिलाएं कुश्ती के लिए आ रही हैं तो एक समुदाय के लोगों ने उन्हें मारने की योजना बनाई। मुश्किल से जान बच पाई।

पौष्टिक आहार व व्यायाम से दें कोरोना को मात

कोरोना पर पहलवान सोनिका ने कहा कि जब तक इसकी कोई दवाई नहीं बनती तब तक शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना ही उपाय है। इसके लिए पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम की आदत डालें।

लोग दंगल नहीं, लड़कियों के कपड़े देखने आते थे

समय के साथ लोगों की सोच बदली है। सोनिका ने बताया कि शुरुआत में लोग लड़कियों के दंगल के स्थान पर उनके कपड़े देखने आते थे। तब कुश्ती के समय कपड़ों को लेकर बड़ी परेशानी थी। इसके लिए विशेष कपड़े डिजाइन कराने पड़े। अब लोगों की सोच बदल चुकी है।

देश को नंबर वन बना सकती हैं महिलाएं

एक पाठक ने पंचायती चुनाव में महिलाओं के आरक्षण पर सवाल पूछा तो सोनिका ने कहा कि महिलाओं को हर क्षेत्र में बराबरी मिलनी चाहिए। महिला मुश्किल परिस्थितियों में भी अपने घर को बेहतर ढंग से संभालती हैं। इस प्रकार वह देश को नंबर वन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

आरक्षण के पक्ष में नहीं पहलवान

सोनिका ने कहा कि वह जाति आधारित आरक्षण के पक्ष में नहीं हैं। मेहनत से बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। आरक्षण केवल आर्थिक आधार पर मिलना चाहिए। शिक्षा जरूरी है। उन्हें स्पो‌र्ट्स कोटे से दिल्ली विश्वविद्यालय में आरक्षण मिला था, लेकिन उन्होंने एडमिशन नहीं लिया।

गुरुचरणप्रीत थी बड़ी प्रतिद्वंदी

अपने मुकाबलों को याद करते हुए सोनिका ने बताया कि पंजाब की गुरुचरणप्रीत उनकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी थीं। गुरुचरणप्रीत से मुकाबला जीतने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता था।


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