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हरियाणा में बढ़ी आलू की आवक, दाम और पैदावार कम होने पर किसान मायूस

कुरुक्षेत्र में शाहाबाद लाडवा और बाबैन क्षेत्र में आलू की बिजाई की जाती है। इस बार जिला भर में 25 हजार एकड़ के करीब क्षेत्र में आलू की बिजाई की गई थी। किसान पिछले करीब डेढ़ माह से आलू लेकर मंडी में पहुंच रहे हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 05 Jan 2022 02:11 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jan 2022 02:11 PM (IST)
हरियाणा में बढ़ी आलू की आवक, दाम और पैदावार कम होने पर किसान मायूस
हरियाणा की मंडियों में बढ़ी आलू की आवक।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। कुरुक्षेत्र के पिपली की अनाज मंडी में पिछले करीब 15 दिनों से आलू की आवक तेज होने मंडी में आए दिन 20 हजार कट्टे पहुंचने लगे हैं। आलू की आवक तेज होने के साथ ही इसके दाम में भी गिरावट आने लगी है। दाम में कमी के साथ-साथ गत वर्ष के मुकाबले इस साल पैदावार भी कम होने पर आलू उत्पादक किसानों में मायूसी छाई हुई है। गत वर्ष इन दिनों आलू के दाम 600 से 700 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे थे, इस बार यही दाम 400 से 550 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रहे हैं। इसके साथ ही गत वर्ष की 100 से 120 क्विंटल प्रति एकड़ के मुकाबले पैदावार भी इस बार 80 से 100 क्विंटल प्रति एकड़ तक ही रह गई है। ऐसे में किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।

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25 हजार एकड़ में की आलू की बिजाई

कुरुक्षेत्र में शाहाबाद, लाडवा और बाबैन क्षेत्र में आलू की बिजाई की जाती है। इस बार जिला भर में 25 हजार एकड़ के करीब क्षेत्र में आलू की बिजाई की गई थी। किसान पिछले करीब डेढ़ माह से आलू लेकर मंडी में पहुंच रहे हैं। शुरुआत में किसानों को आलू के अच्छे दाम मिले। लेकिन पिछले करीब 15 दिनों से आलू के दामों में गिरावट चल रही है। शुरुआत में जहां आलू के दाम 1000 से 1300 रुपये प्रति क्विंटल तक रहे अब वही दाम घटकर 400 से 550 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। इस साल किसान को मंडी में आलू के दाम कम मिल रहे हैं। इसके साथ ही पैदावार भी कम हो रही है। गत वर्ष के मुकाबले इस साल 20 से 30 क्विंटल प्रति एकड़ की पैदावार कम होने पर किसान को आठ से 10 हजार रुपये तक कम मिल रहे हैं।

इस पर पैदावार कम होने से उठाना पड़ रहा नुकसान

हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष बनारसी दास ने बताया कि इस साल गत वर्ष के मुकाबले आलू की पैदावार कम निकल रही है। इसके साथ ही दाम भी लगातार घटते जा रहे हैं। ऐसे में किसान प्रति एकड़ आठ से 10 हजार रुपये कम मिल रहे हैं। दाम और पैदावार कम होने पर किसानों में मायूसी है।


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