कुरुक्षेत्र के किसान का फॉर्मूला विदेशियों को भाया, इस तरह खेती में बचाते बिजली-पानी Panipat News
कुरुक्षेत्र के किसान कर्णजीत को इंडोनेशिया में अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिलेगा। गुमथला गढू के किसान ने खेती के दौरान बिजली और पानी बचाने की तकनीकी इजाद की।
पानीपत/कुरुक्षेत्र, [विनोद चौधरी]। पानी की सबसे ज्यादा खपत करने वाली जीरी की फसल को जब गांव गुमथला गढू के किसान ने सूक्ष्म सिंचाई विधि से जोड़ा तो विश्व भर के लोगों की निगाह इस विधि पर ठहर गई। खास बात यह है कि इस प्रगतिशील किसान कर्णजीत सिंह ने एक साथ बिजली और पानी दोनों की बचत का फार्मूला अपनाया है। बिजली की बचत के पूरे सिस्टम को सोलर पावर प्रोजेक्ट से जोड़ा गया और पानी की बचत के लिए सूक्ष्म सिंचाई विधि को अपनाया। किसान की यही विधि इंटरनेशनल ड्रेनेज एवं सिंचाई संस्था (आइसीडीआइ) को भा गई। इसके लिए आइसीडीआइ की ओर से चार सितंबर को बाली इंडोनेशिया में कर्णजीत को अंतरराष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। यह अवार्ड साल में एक बार एक ही व्यक्ति को दिया जाता है।
खेती नहीं छोड़ सकता है किसान, तरीके बदलना जरूरी
किसान कर्णजीत ने कहा कि किसान खेती नहीं छोड़ सकता। खेती में पानी की सबसे ज्यादा लागत होती है और पानी धरती से खत्म हो रहा है। ऐसे में जरूरी है कि हमें खेती का तरीका बदलना होना। वर्ष 2018 में उन्होंने ने भी तरीका बदला। खेत में धान प्रदर्शन प्लांट लगाया तो धान का उत्पादन लगभग 2.5 क्विंटल बढ़ा और पानी की बचत लगभग 50 प्रतिशत हुई। सफलता मिलने के बाद सरकार ने प्लांट को 2019-20 में भी जारी रखने की मंजूरी दी। यह पायलट प्रोजेक्ट कैनाल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (काडा) के तहत लगाया गया था।
पूरा सिस्टम सोलर पावर प्रोजेक्ट पर आधारित
कैनाल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (काडा) के कार्यकारी अभियंता नीरज शर्मा ने बताया कि पूरा प्रोजेक्ट सोलर पावर पर आधारित है। इस विधि से धान की सीधी बिजाई और सूक्ष्म सिंचाई विधियों को अपनाया जाता है।
विशेषज्ञों ने किया निरीक्षण
प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे देखने के लिए प्रदेश-देश ही नहीं विदेश के प्रतिनिधि भी आए। इसी कड़ी में इंटरनेशनल ड्रेनेज एवं सिंचाई संस्था भी पहुंची थी। बता दें कि सीएम मनोहर लाल ने पिहोवा में सूक्ष्म सिंचाई प्रोजेक्ट की आधारशिला 17 मई 2016 को रखी थी। गुमथला गढू में मिली सफलता के बाद सरकार ने प्रदेश में कुल 14 प्रोजेक्ट स्थापित किए गए हैं, जिन पर करीब 30 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।