मदद के लिए दौड़ते रहे, मिली धमकी...हाथ आए तीन मासूमों के शव
पानीपत के रजवाहे से तीन मासूम बच्चों के शव मिले। मृतक अरुण के पिता का आरोप- एसआइ ने उन्हें कहा कि बच्चों को खुद ढूंढ लें आरोपितों की गाड़ी में घूमता रहा।
पानीपत, [विजय गाहल्याण]। मासूम वंश, अरुण और लक्ष्य की तलाश में स्वजन बदहवास गांव में दर गांव भटक रहे थे। ब्लीच हाउस भी पहुंचे। एक बार तो उन्हें अंदर ही नहीं घुसने नहीं दिया। धमकाकर भगा दिया गया। आखिरी उम्मीद आठ मरला चौकी पुलिस से थी। वहां पहुंचे तो उन्हें ब्लीच हाउस मालिक व जमीन मालिक कुर्सियों पर बैठे मिले। इन्होंने स्वजनों को ही धमकाया। एसआइ भी मालिकों की तरफदारी करते रहे।
चौकी से बाहर निकाल दिया। किसी तरह गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की। उन्हें कहा, जाओ खुद बच्चों को ढूंढ लें। इसके बाद एसआइ मालिकों की गाड़ी में बैठे। उनके साथ घूमते रहे। पीडि़त परिवार के लोग ही सारी रात रजवाहे में मासूमों को ढूंढते रहे। रजवाहे से तीनों बच्चों के शव निकाले। मृतक अरुण के पिता जयकुमार और दूसरे स्वजनों ने अस्पताल में प्रशासन पर सवाल उठाते हुए ये कहानी बताई। बार-बार कह रहे थे कि उनके बच्चों की हत्या कर दी गई। उनकी मदद की बजाय उनके साथ ही गुनहगार जैसा सलूक किया।
सूचना देने के दो घंटे बाद पहुंची पुलिस
लक्ष्य के परिवार में बड़ी बहन शिवानी (13), छोटी बहन शिवांगी (9) और छोटा भाई वैभव (6) है। पिता जयकुमार की गांव के मोड़ पर पंखे व मोटर ठीक करने की दुकान है। जयकुमार ने बताया कि शाम सात बजे पत्नी शकुंतला ने कॉल कर बताया कि लक्ष्य घर से बाहर खेलने गया था। घर नहीं लौटा। वह ग्रामीणों के साथ मिलकर लक्ष्य व अन्य दो बच्चों को ढूंढने के लिए भादड़, जाटल सहित पांच गांवों में गया। रात 12 बजे वह ब्लाक समिति सदस्य नीरज व अन्य ग्रामीणों के साथ आठ मरला चौकी पहुंचे। वहां पर हरिओम गुप्ता और अश्वनी ने उन्हें धमकाया। उन्होंने सिंचाई विभाग के एक्सईएन से कहकर रजवाहे के पानी का बहाव कम कराया और ग्रामीणों की मदद से रजवाहे में बच्चों को शवों को ढूंढे। सूचना देने के दो घंटे बाद पुलिस रजवाहे पर पहुंची।
पिता फैक्ट्री में थे, मां बेटे को ढूंढती रही
अरुण के परिवार में छोटा भाई अंशु (9) है। पिता बिजेंद्र सिवाह चौटाला रोड पर एक फैक्ट्री में काम करते हैं। बिजेंद्र ने बताया कि वह फैक्ट्री में गया था। पत्नी सुनीता और दोनों बेटे घर पर थे। अरुण घर से बाहर खेलने गया था। पत्नी ने बेटे को गांव में ढूंढा। आठ बजे सुनीता ने उसे कॉल की। वह भी सारी रात बेटे की तलाश करता रहा।
अब वंश नहीं लौटेगा
वंश के परिवार में बड़ा भाई साहिल (12), छोटा भाई मनीष (9) और गोद ली बहन गूंजन है। पिता अशोक कुमार रेहड़ी लगाकर सब्जी बेचते हैं। अशोक ने बताया कि पत्नी निर्मल खेत में मजदूरी के लिए गई थी। वह बच्चों को घर छोड़कर खेत में घास लेने चला गया। शाम छह बजे घर लौटा तो पड़ोसी बिजेंद्र की पत्नी सुनीता ने कहा कि वंश और अरुण घर नहीं लौटे हैं। वह ग्रामीणों के साथ ब्लीच हाउस पर गया तो उन्हें अंदर नहीं घुसने दिया। एसआइ कर्मबीर तो आरोपित हरिओम और अश्वनी की गाड़ी में घूमते रहे। रजवाहे से बेटे वंश का शव मिला। वे रोते हुए कह रहे थे कि अब बेटा घर नहीं लौटेगा।
पोस्टमार्टम व विसरा रिपोर्ट पर आगे बढ़ेगी जांच
डाक्टर ने बताया कि तीनों बच्चों के शवों का छाती की हड्डी और स्वैब सैंपल मधुबन लैब में भेजे जाएगा। विसरा रिपोर्ट से भी पता चलेगा कि बच्चों के शरीर में जहर तो नहीं था। पुलिस को भी दोनों रिपोर्ट आने का इंतजार है। इसके बाद ही पुलिस आगामी कार्रवाई करेगी।
ऐसे चला घटनाक्रम
-सुबह 4 बजे स्वजनों ने 50 ग्रामीणों के साथ मिलकर मानव श्रृंखला बनाकर तीनों बच्चों के शव रजवाहे से बरामद किए।
-8 बजे शवों को सामान्य अस्पताल लाया गया।
-9 बजे स्वजनों, महिलाओं व करीब 100 लोगों ने हंगामा कर हत्या आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग की।
-10 बजे डीएसपी संदीप सिंह, डीएसपी वीरेंद्र सैनी और डीएसपी पूजा डाबला पहुंचे और स्वजनों को समझाया। उन्होंने शव लेने से इंकार कर दिया। स्वजनों को चारों ओर से पुलिस ने घेर रखा था, ताकि वे विरोध में जीटी रोड पर न बैठ सकें।
-11 बजे आठ वकील और कश्यप समाज के कई जिलों के प्रधान पहुंचे और पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाए। स्वजनों ने तीन बार शिकायत दी।
-1:17 बजे तहसीलदार कुलदीप सिंह, नायब तहसीलदार अनिल कौशिक पहुंचे।
-1:18 बजे लक्ष्य के पिता जयकुमार और अरुण की मां सुनीता बेहोश हो गईं।
-2:21 बजे स्वजन अशोक कुमार, बिजेंद्र, जयकुमार, एडवोकेट राजपाल कश्यप और बिंझौल के नीरज को थाना मॉडल प्रभारी सुनील कुमार अपना गाड़ी से मॉडल टाउन थाने पहुंचे। आरोपितों को मॉडल टाउन में बैठा देखा। आरोपित हरिओम गुप्ता को कुर्सी पर बैठे पुलिस पर भड़क गए।
-3:10 बजे स्वजन थाने से सिविल अस्पताल पहुंचे और हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की। पीडि़त जयकुमार के पुलिस ने धारा 161 के तहत बयान दर्ज किए।
-3:49 बजे स्वजन शवों को अस्पताल से घर ले गए।
- 5 बजे पुलिस की निगरानी में शवों का अंतिम संस्कार किया।
नीली शर्ट वाले ने वंश को थप्पड़ मारा
बाल कल्याण समिति को सागर ने बताया कि सचिन सबसे पहले ब्लीच हाउस में घुसा था। पीछे से वे अंदर गए। एक महिला ने उन्हें कहा था कि खराब पड़े धागे ले लो। फिर एक नीली शर्ट वाला व्यक्ति आया और वंश को थप्पड़ मारा। वंश वहीं गिर गया। इसके बाद वे भाग गए। खेत की मेड़ पर उसने लक्ष्य और अरुण को खड़ा देखा। उसने लक्ष्य की मां शकुंतला को घटना की जानकारी दी। इसके बाद ही उसके तीनों दोस्तों की तलाश की गई।
स्वजन बोले- बच्चों को तैरना आता था, वे डूब नहीं सकते
अरुण के पिता बिजेंद्र ने कहा कि उसके बेटे व अन्य दो बच्चों को तैरना आता था। फिर वे तीनों रजवाहे में डूब कैसे सकते हैं। उन्होंने सवाल किया कि बच्चों के मुंह से झाग क्यों आ रहा था। बच्चों के मुंह को केमिकल में डुबोया गया था। नाक से खून भी बह रहा था। आरोपित ने बच्चे को थप्पड़ मारने की बात स्वीकार की है। इसके बावजूद पुलिस मामले की लीपापोती कर रही है। पुलिस कह रही है कि बच्चे डर की वजह से रजवाहे में कूदे होंगे। ऐसे नहीं हो सकता।
एसआइ का जवाब, मैंने मदद की
एसआइ कर्मबीर का कहना है कि वह रात को ही सिंचाई विभाग के एक्सईएन के पास गए थे। रजवाहे से पानी का बहाव कम कराया। बच्चों के स्वजन गलत आरोप लगा रहे हैं।