बदली सोच तो टूटे मिथक, पेश हुई सौहार्द की मिसाल, दिल्ली में दरगाह और मंदिर में लगा रक्तदान शिविर
करनाल की सामाजिक संस्था नेशनल इंटिग्रेटेड फ़ोरम आफ आर्टिस्ट्स एंड एक्टिविस्टस निफा ने शहीद दिवस (23 मार्च) पर रक्तदान शिविरों ( Blood donation camp) का आयोजन किया। रक्तदान की राष्ट्रव्यापी मुहिम में मुस्लिम युवा भी बड़ी संख्या में सहभागी बने।
करनाल [पवन शर्मा]। रक्तदान को लेकर सोच बदल रही है। वे तबके भी इस नेक काम के लिए आगे आ रहे हैं, जो अमूमन ऐसा करने से हिचकते थे। करनाल की सामाजिक संस्था नेशनल इंटिग्रेटेड फ़ोरम आफ आर्टिस्ट्स एंड एक्टिविस्टस निफा ने शहीद दिवस यानि 23 मार्च को पूरे देश में रक्तदान के प्रति जागरुकता की अलख जगाई तो इसमें मुस्लिम नौजवानों ने सक्रिय सहभागिता से शहीदों को अकीदत पेश की।
उन्होंने दरगाह परिसर में शिविर आयोजित किया तो मुस्लिम महिला तरन्नुम ने मंदिर में शिविर लगाकर सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दिया। ओडिशा व तेलंगाना में किन्नर समाज के लोगों ने रक्तदान किया तो पश्चिम बंगाल में 107 महिलाओं ने रक्तदान किया। मुंबई में पहली बार रक्तदान करने वाले युवाओं के लिए विशेष शिविर लगा। इससे यह श्रृंखला राष्ट्रीयता का भाव जगाने में भी बखूबी सहायक सिद्ध हुई।
इंसानियत के जज्बे से बढ़कर कुछ नहीं। यही सोच नुमायां करते हुए दिल्ली के महरौली क्षेत्र स्थित दरगाह हजरत शेख शहाबुद्दीन में मुस्लिम युवाओं ने उत्साह के साथ शिविर लगाया। संयोजन में निफा सहित आशिक अल्लाह नजरिया पीर ट्रस्ट व दरगाह के मुतव्वली सहभागी बने। निफा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर मोहम्मद इमरान व एम. अंसारी ने मुस्लिम युवाओं में रक्तदान को लेकर अलख जगाई।
कमोबेश यही संदेश दिल्ली के ही मालवीयनगर स्थित गीता भवन मंदिर में शिविर लगाने वालीं तरन्नुम नकवी, इमरान व अन्य मुस्लिम युवाओं ने दिया। यहां मुस्लिम महिला पुलिस कांस्टेबल नगमा भी रक्तदान के लिए आगे आईं। दरगाह के शिविर में मुन्ना अंसारी, शमीम अहमद, हमजा खान, वसीम, मोहम्मद फरमान और गीता भवन मंदिर के शिविर में नासिर, बिंदु प्रसाद, नगमा, आरिफ, अरुणिमा और रेडियो जॉकी नितिन शर्मा ने रक्तदान से सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दिया।
महिलाओं से लेकर किन्नर तक सहभागी
पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान ज़िले में 107 महिलाएं रक्तदान के लिए आगे आईं। बता दें, भारत दुनिया के उन 10 देशों में है, जहां महिला रक्तदान का औसत 10 प्रतिशत से भी कम यानि महज छह प्रतिशत है। वहीं, हैदराबाद में किन्नर समाज की ओर से शेख समीरा की अपील के फलस्वरूप ओडिशा के केउंझर व तेलंगाना में करीब 200 किन्नरों ने रक्तदान की मिसाल पेश की। इसी प्रकार मुंबई के प्रभादेवी में केवल पहली बार रक्तदान करने वाले युवाओं के लिए आयोजित शिविर में 80 से ज़्यादा यूनिट रक्त एकत्र हुआ।
देश-विदेश तक जगाई अलख
रक्तदान के प्रति रुझान की बात करें तो भारत में बेहतर हालात नहीं हैं। आलम यह है कि सर्वाघिक आबादी के लिहाज से विश्व में दूसरे नंबर का देश होने और इसमें 65 करोड़ युवाओं के बावजूद मात्र एक से डेढ़ प्रतिशत नौजवान ही रक्तदान करते हैं। नतीजतन, प्रतिवर्ष कुल आवश्यकता से बीस लाख यूनिट रक्त कम एकत्र होता है। कोरोना संकट में यह फासला और अधिक बढ़ गया।
शारीरिक दूरी और अन्य कारणों के साथ तमाम भ्रांतियों के चलते रक्तदान के लिए कम ही लोग आगे आए। इससे चिंतित निफा ने संवेदना अभियान के तहत 23 मार्च को शहीद दिवस पर देश भर में 1476 शिविर आयोजित करके 127675 रक्तदाताओं को पंजीकृत किया जबकि 97744 लोगों ने इस अवधि में रक्तदान का नया रिकार्ड बनाया। रूस के सेंट पीट्सबर्ग, जॉर्जिया, नेपाल और बंगलादेश में भी ये शिविर आयोजित हुए।