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17 हजार एकड़ का मालिक गोवंश, फिर भी बेसहारा

जागरण संवाददाता पानीपत जिले में सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी किसकी है। इस सवाल पर सबसे सटीक जवाब

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 08:37 AM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 08:37 AM (IST)
17 हजार एकड़ का मालिक गोवंश, फिर भी बेसहारा
17 हजार एकड़ का मालिक गोवंश, फिर भी बेसहारा

जागरण संवाददाता, पानीपत : जिले में सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी किसकी है। इस सवाल पर सबसे सटीक जवाब दिया था पार्षद अनिल बजाज ने। हर गांव में गोचरान भूमि है। यह भूमि गोवंश की है। इसके बावजूद इन पर बेसहारा का टैग लग गया है। जिले के 164 गांवों में 17000 एकड़ से अधिक गोचरान भूमि पड़ी है। पंचायत इसे लीज पर देकर हर वर्ष करोड़ों रुपये का राजस्व कमा रही है। कुछ गांव में गोचरान भूमि पर कब्जा भी हो चुका है। गोचरान भूमि के आय को देखते हुए पंचायतों की जिम्मेवारी है कि वह गोवंश की संभाल करे। उनके लिए गोचरान भूमि पर चारे और पानी की सुविधा उपलब्ध करवाए। गोचरान भूमि पर तालाब बनवाए जाए। पंचायत गोवंश को संभाल नहीं रही। दो-तीन साल में अमेरिकन गाय दूध देना बंद कर देती हैं। उन्हें सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। शहर में डेयरी उद्योग के लिए प्लाट काट दिए गए हैं। डेयरी शिफ्ट नहीं हो पा रही। नगर निगम में घायल पशु के इलाज के लिए चिकित्सक की पोस्ट है। वह भी खाली पड़ी हुई है।

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जिले में 25 गोशालाओं में 16 हजार गोवंश को आश्रय

जिले में गोवंश के लिए 25 गोशालाएं बनी हुई हैं। इनमें 16 हजार गोवंश को आश्रय मिला हुआ है। जिले के 70 फीसद गांव के पास गोचरान भूमि उपलब्ध है।

बढ़ते दबाव में नैन गोअभयारण्य बना

सड़़कों पर बेसहारा पशुओं के पक्ष में जब सामाजिक संगठनों आवाज उठाई तो जिले में नैन गांव में गोअभयारण्य बना दिया गया। इस गांव में 250 एकड़ जमीन गोचरान की है। इसमें से 25 एकड़ जमीन गोवंश के आश्रय के लिए दी गई। पिछले साल नगर निगम ने 1693 बेसहारा गोवंश को सड़कों से पकड़ कर यहां छोड़ा। इसके बाद यहां भी बेसहारा गोवंश को लेने से इंकार कर दिया गया। नैन गो अभयारण्य में भी खाने और शेड की कमी रही। आवारा कुत्तों का गोवंश शिकार बना। इसके बाद सामाजिक संगठन आगे आए। दान एकत्र कर इसे चलाया गया।

शहर में पांच किलोमीटर में 71 बेसहारा पशु

पानीपत में शहर के बीचों-बींच निकलने वाले सनौली-हरिद्वार मार्ग, सेक्टर 24, सब्जी मंडी के आसपास पांच किलोमीटर के दायरे में 70 बेसहारा पशु मिले। जीटी रोड हो या असंध रोड, जाटल रोड हो या बरसत रोड पर बेसहारा पशु घूमते रहते हैं। हादसे का कारण बन रहे हैं।

एक पशु पर 65 से 100 रुपये खर्च

एक पशु पर रोजाना खाने पीने का 65 से 100 रुपये खर्च आता है। बेसहारा पशु कूड़े-कर्कट पर निर्भर है।

डीसी को पत्र लिखकर गोवंश सुरक्षित स्थान पर भेजने की मांग

एडवोकेट इरफान ने सड़कों पर घूम रहे बेसहारा गोवंश को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए डीसी से मांग की। उन्होंने कहा कि बेसहारा पशु कूड़े में मुंह मार रहे हैं। इससे उन्हें बीमारी लग रही है। सड़़कों पर बैठे रहते हैं और आपस में लड़ते हैं। जिससे हादसे हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें सुरक्षित स्थान उपलब्ध करवाया जाए। सामाजिक संगठन भी इसमें प्रशासन का सहयोग देने के लिए तैयार है।

अभी कोई व्यवस्था नहीं की जा रही : महिपाल

नगर निगम के अधीक्षण अभियंता महिपाल का कहना है कि अभी बेसहारा पशुओं के लिए व्यवस्था नहीं की जा रही है। निगम की बैठक में यह मामला रखा जाना है।


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