ई-उपचार! यूनिक आइडी से किसी भी सरकारी अस्पताल में इलाज
सिविल अस्पताल में मिलने वाली ई-उपचार सेवा को स्वास्थ्य विभाग के डिजीटलीकरण की ओर बढ़ते कदमों के रूप में देखा जा रहा है।
पानीपत, जेएनएन। सिविल अस्पताल में मिलने वाली ई-उपचार सेवा को स्वास्थ्य विभाग के डिजीटलीकरण की ओर बढ़ते कदमों के रूप में देखा जा रहा है। खास बात यह है कि ओपीडी ब्लॉक, लैब आदि का कार्य पेपरलेस हो जाएगा। मरीज को मिलने वाले 12 डिजिट के यूनिक आइडी नंबर से वह हरियाणा के किसी भी सरकारी अस्पताल में इलाज करा सकेगा।
अस्पताल के एमएस डॉ. आलोक जैन ने बताया कि फिलहाल रजिस्ट्रेशन विंडो और इमरजेंसी में ट्रायल रन के लिए कंप्यूटर लगाए गए हैं। वाह्य रोगी और भर्ती होने वाले मरीजों का नाम-पता, बीमारी, प्रदान किया गया इलाज आदि सॉफ्टवेयर में अपलोड होगा। क्लाउड बेस्ड हॉस्पिटल मैनेजमेंट एंड सिस्टम के जरिए मरीज की पर्ची पर यूएचआइडी (यूनिक हेल्थ आइडेंटिटी रिकॉर्ड) और ईएचआर (इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकार्ड) नंबर दिया जाएगा।
दवा की पर्ची गुम होने पर घबराने की जरूरत नहीं
मरीज से दवा पर्ची गुम हो जाती है तो उसे अपना यूनिक आइडी नंबर बताना होगा। यूनिक आइडी नंबर भी न हो तो दवा स्लिप पर चस्पा स्टीकर को स्कैन करने से मरीज का पूरा डाटा कंप्यूटर की स्क्रीन पर दिखने लगेगा। मरीज को कौन सा रोग है, क्या इलाज मिला, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, डायलिसिस सहित लैब की रिपोर्ट भी कंप्यूटर स्क्रीन पर देखी जा सकेगी। प्रदेश के अन्य जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में इसी यूनिक आइडी नंबर से मरीज इलाज की सुविधा ले सकेंगे। हालांकि, ओपीडी और लैब में कंप्यूटर-प्रिंटर लगने के बाद ही इसका पूरा लाभ मिल सकेगा।
अब अचानक छुट्टी नहीं ले सकेंगे डॉक्टर
सिविल अस्पताल के डॉक्टर अब अचानक अवकाश नहीं ले सकेंगे, बल्कि एक दिन पहले बताना होगा। अस्पताल प्रशासन ने यह आदेश मंगलवार को जारी किया है। कोई डॉक्टर छुट्टी पर होंगे तो उनकी ओपीडी का परचा नहीं बनाया जाएगा। ओपीडी ब्लॉक में एक बोर्ड पर उपस्थित डॉक्टरों के नाम पढ़ने को मिलेंगे। डिप्टी एमएस डॉ. अमित पोडिया ने पुष्टि करते हुए बताया कि ओपीडी इंचार्ज कृष्णा भाटिया को इसकी जिम्मेदारी दे दी गई है।
केस की सुनवाई दो बजे के बाद हो
माय लॉर्ड सिविल अस्पताल में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए अस्पताल प्रशासन अब अदालतों से मदद मांगेगा। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के माध्यम से सेशन जज से अपील की जाएगी कि डॉक्टरों से जुड़े केसों की सुनवाई अपराह्न 2 बजे के बाद हो, ताकि ओपीडी बाधित न हो। कोर्ट में तारीख कहकर ओपीडी से गायब रहे वाले डॉक्टरों पर भी निगरानी रखी जाएगी।