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क्‍या है एस्‍मा, हरियाणा में हुआ लागू, सरकार के सामने क्‍यों आई ये नौबत

हरियाणा में एस्‍मा लागू कर दिया गया है। एक्‍समा यानी अवसेंशियल सर्विसेस मेंटेनेन्‍स एक्‍ट को हरियाणा सरकार ने लागू किया गया है। तत्‍काल प्रभाव से इस आदेश को मानने को कहा गया। आइए जानते हैं क्‍यों आई ऐसी नौबत।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 12 Jan 2022 08:39 AM (IST)Updated: Wed, 12 Jan 2022 08:39 AM (IST)
क्‍या है एस्‍मा, हरियाणा में हुआ लागू, सरकार के सामने क्‍यों आई ये नौबत
हरियाणा में एस्‍मा लागू कर दिया गया।

पानीपत, [डिजिटल डेस्‍क]। क्‍या है एस्‍मा। हरियाणा में अचानक से इसे क्‍यों लागू किया गया। सरकार को आखिर इसे लागू करने की नौबत क्‍यों आई। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में। दरअसल, हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने ट्वीट किया है कि हरियाणा में एस्‍मा लागू कर दिया गया है। यह कदम कोरोना के रोकथाम में बाधा डालने के लिए डाक्‍टरों को एक समूह द्वारा हड़ताल पर चले जाने के कारण उठाया गया है।

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हरियाणा सरकार कोरोना को लेकर गंभीर

कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से सबक लेते हुए तीसरी लहर को लेकर हरियाणा सरकार गंभीर है। सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों को मोर्चे पर लगा दिया है। इसके साथ ही सरकार ने आवश्यक सेवा अधिनियम (असेंशियल सर्विसेस मेंटेनेन्स एक्ट) एस्मा को भी लागू कर दिया है। सरकार के इस एक्ट को छह महीने तक लागू किया है। गृहमंत्री अनिल विज ने डाक्‍टरों की हड़ताल को देखते हुए यह कदम उठाया। आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत अगले छह महीने तक प्रदेश में हड़ताल पर पाबंदी बरकरार रहेगी।

इसका ये असर होगा

हरियाणा में छह महीने तक एस्मा लागू होने के कारण अब कोई भी सरकारी कर्मी, प्राधिकरण कर्मी या फिर निगम कर्मी छह महीने तक हड़ताल नहीं कर सकेगा। छह महीने तक हड़ताल पर रोक लगा दी गई है। हरियाणा के सभी सरकारी विभागों, प्राधिकरणों, निगमों आदि में एस्मा के तहत अब छह माह के लिए हड़ताल पर रोक लगी है।

इस वजह से उठाना पड़ा कदम

हरियाणा में विभिन्‍न मांगों को लेकर 11 जनवरी को डाक्‍टरों ने ओपीडी बंद कर हड़ताल कर दी थी। कोरोना संक्रमण की वजह से चिकित्‍सीय सुविधा में बाधा होने की वजह से मरीज परेशान हो रहे थे। इसे देखते हुए हरियाणा सरकार ने गंभीर कदम उठाया और एस्‍मा लागू कर दिया।

जानें क्या है एस्मा

एस्मा भारतीय संसद से पारित एक अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था। केन्द्र सरकार अथवा कोई भी राज्य सरकार इस कानून को अधिकतम छह महीने के लिए लगा सकती है। कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी कर्मचारी को बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है।


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