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कोरोना की तीसरी लहर में क्‍यों उद्यमियों ने कर दिया उत्पादन आधा, मिंक इंडस्ट्री धड़ाम

कोरोना की तीसरी लहर से उद्यमियों को चिंता सता रही है। कोरोना की वजह से उत्‍पादन पर असर पड़ा है। सबसे ज्‍यादा मिंक इंडस्‍ट्री प्रभावित हुई है। मिंक इंडस्ट्री की एक ही शिफ्ट चल रही। वहीं मकर संक्रांति के बाद गर्म कपड़ों की भी मांग कमजोर हो जाएगी।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 04:14 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 04:14 PM (IST)
कोरोना की तीसरी लहर में क्‍यों उद्यमियों ने कर दिया उत्पादन आधा, मिंक इंडस्ट्री धड़ाम
कोरोना की वजह से पानीपत इंडस्‍ट्री प्रभावित।

पानीपत, जागरण संवाददाता। मकर संक्रांति के साथ ही देश में यह आम धारणा है कि सर्दी का मौसम गया। इसके साथ ही कंबल की दिसावरी ग्राहकी कम हो जाती है। ग्राहकी कम होने के साथ ही कंबल उद्यमी उत्पादन कम करने पर मजबूर हो जाते हैं। कंबल की घटती मांग को देखते हुए मिंक कंबल व्यापारियों ने एक ही शिफ्ट चलाना शुरू कर दिया है। अर्थात उत्पादन आधा हो गया है। उद्यमियों ने बताया कि यह सीजन कंबल विशेषकर मिंक कंबल के लिए नुकसानदायक साबित हुआ।

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कंबल के सीजन की शुरुआत से ही कच्चे माल, पोलियस्टर यार्न, केमिकल, रंग रसायन के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी रही। सीजन की शुरुआत में ही कंबल की कम मांग रही। कम मांग होने के कारण भाव नहीं बढ़ सके। दीपावली के माह में कंबल की मांग अच्छी निकली। इसी बीच प्रदूषण को लेकर उद्योगों पर प्रतिबंध लागू हो गया। इससे पहले किसान आंदोलन के कारण दिल्ली के रास्ते क्लीयर न होने का नुकसान कंबल उद्योग को उठाना पड़ रहा है। उसके बाद उद्योगों को दो दिन बंद करने के आदेश जारी हुए।

175 रुपये किलो थोक में बिका मिंक कंबल

बापौली जोन इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रधान नवीन बंसल ने बताया कि पोलियस्टर यार्न के दामों में कोई गिरावट दर्ज नहीं की गई, भाव 112-113 रुपये किलो चल रहे हैं। जबकि तैयार मिंक कंबल के भाव 175 रुपये किलो ग्राम थोक में चल रहे हैं।

नए प्लांट आने पर रोक

घाटे की स्थिति को देखते हुए इस वर्ष कुछ नए प्लांट कंबल के आने थे उन्होंने भी अपना विचार बदल दिया। मिंक कंबल बनाने के स्थान पर ओपन एंड धागे बनाने के प्लांट लगाने पर रुख कर लिया। पानीपत के उद्यमियों ने रिकार्ड मिंक कंबल उत्पादन कर चीन से आने वाले कंबल की राह रोकने में सफलता हासिल की। यहां करोडों रुपये का मिंक कंबल चीन से आ रहा था। चीन से ही मशीनरी लाकर यहां मिंक कंबल का उत्पादन किया गया। अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बंदिशों से यह घरेलू उद्योग परेशानी में है। पोलर उद्यमी भीम राणा, रामप्रताप का कहना है कि इन प्रतिबंधों से घरेलू इंडस्ट्री को धक्का लगना है। सरकार को चाहिए कि वह इस उद्योग का सहयोग करे ताकि विदेशी मुद्रा को बाहर जाने से रोका जा सके।


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