परमात्मा का रचा संसार हम सबका आधार: सुदीक्षा
परमात्मा का रचा संसार हम सबका आधार है। ब्रह्मांड के कण-कण में परमात्मा का वास है। हृदय में इसे आत्मसात करने के बाद हमें किसी वस्तु अथवा व्यक्ति में फर्क नजर नहीं आता है। मन में सदाचार की भावना पैदा होती है। समस्त संसार एक परिवार की तरह नजर आता है।
जागरण संवाददाता, समालखा : परमात्मा का रचा संसार हम सबका आधार है। ब्रह्मांड के कण-कण में परमात्मा का वास है। हृदय में इसे आत्मसात करने के बाद हमें किसी वस्तु अथवा व्यक्ति में फर्क नजर नहीं आता है। मन में सदाचार की भावना पैदा होती है। समस्त संसार एक परिवार की तरह नजर आता है। इसी धारणा से जीवन में उन्नति संभव है। यह उद्गार निरंकारी माता सुदीक्षा ने जीटी रोड पर भोड़वाल माजरी स्थित आध्यात्मिक स्थल पर अपने वर्चुअल संत समागम के दौरान व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता के ²ष्टिकोण से वास्तविक रूप में सबका आधार परमात्मा ही है, जो हमारे विश्वास और भक्ति की बुनियाद है। उनकी कृपा से हम अपनत्व के भाव को धारण करके एक दूसरे के साथ सद्भावपूर्ण व्यवहार करते हैं। हर एक के प्रति मन में सदैव प्रेम की भावना जागृत रखने के लिए सद्व्यवहार जरूरी है। किसी की मदद में भी हमें सेवा भाव दिखाई देना चाहिए, अहसान नहीं। परमात्मा पर विश्वास की बात को स्पष्ट करते हुए सुदीक्षा महाराज ने कहा कि जब हम इस परम सत्ता को ब्रह्मज्ञान द्वारा जान लेते हैं, तो फिर इस पर विश्वास करने से ही हमारी भक्ति सही अर्थों में सु²ढ़ और सफल होती है।
प्रवचन से पूर्व सत्संग में भाग ले रहे देश-विदेश के वक्ताओं, गीतकार एवं कवियों ने अपने-अपने व्याख्यान, गीत एवं कविताओं से 'विश्वास, भक्ति, आनंद' पर रोशनी डाली। श्रद्धालुओं को जीवन के तीनों सत्य से अवगत कराया।