बैगलेस का तमगा, बदतर हालात, हिंदी में पढ़ रहे अंग्रेजी के छात्र
प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत बेहद खराब है। भवन जर्जर हैं। स्कूलों में किताबों नहीं हैं।
पंकज आत्रेय, कैथल
प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत देखनी है? देवीगढ़ के राजकीय मिडिल स्कूल आएं। इसे प्रदेश के पहले बैगलेस स्कूल का सम्मान मिला हुआ है। हालात इतने खराब हैं कि बारिश के पानी के साथ छत का लैंटर भी गिर रहा है। कुछ माह पहले छठी कक्षा तक अपग्रेड कर दिया गया। अंग्रेजी माध्यम के इस स्कूल के बच्चे हिंदी किताबों से पढ़ाई कर रहे हैं।
सन् 1972 में स्थापित देवीगढ़ स्कूल में 240 विद्यार्थी हैं। यह राज्य के बैगलेस स्कूलों की पहली ही सूची में शामिल था। पाचवीं कक्षा तक दो-दो सेक्शन (खंड) थे। 12 कमरों के स्कूल में एक हेड टीचर और एक स्टाफ रूम के लिए उपयोग में आ रहा था। हेड टीचर समेत 10 शिक्षकों का स्टॉफ था। इसलिए खुद हेड टीचर भी एक कक्षा की इंचार्ज थीं। पिछले शिक्षा सत्र में अपग्रेड कर छठी कक्षा तक का मिडिल स्कूल बना दिया गया। एक गेस्ट टीचर भेज दी गई। अब हेड टीचर, स्टाफ रूम और आफिस एक ही कमरे में आ गया है।
छठी कक्षा के 22 विद्यार्थी जिस कमरे में पढ़ रहे हैं, उसकी छत का सरिया बाहर दिख रहा है। कभी भी दुघर्टना हो सकती है। हेड टीचर राजबाला ने कहना है कि छुट्टियों के दौरान बारिश में छत पर पानी जमा होने के कारण सीमेंट के टुकड़े नीचे गिरने लगे थे। स्कूल खुला तो इसका पता चला। अब ऊपर छतों की सफाई करा दी गई है। सरपंच को भी बुलाकर दिखाया है। जल्द ही छत की मरम्मत भी करा दी जाएगी। खतरे जैसी कमरे में कोई बात नहीं है। एक टीचर फुल इंचार्ज
प्राथमिक स्कूल में एक शिक्षक ही पूरी कक्षा का इंचार्ज होता है। वही हर विषय बच्चों को पढ़ाता है। छठी कक्षा से विषयों के अनुसार अलग-अलग शिक्षक नियुक्त किए जाते हैं। स्टॉफ नहीं बढ़ाए जाने की स्थिति में प्राइमरी कक्षाओं के अध्यापक ही मिडिल कक्षाओं को भी पढ़ाते हैं। प्राइमरी स्कूल में गैर-शिक्षण स्टाफ की सुविधा नहीं होती है। दूसरे काम भी अध्यापक को ही करने होते हैं। स्कूल को अपग्रेड हुए छह महीने बीत चुके हैं। कायदे से एक सफाई कर्मचारी और लिपिक मिलना चाहिए। मिडिल स्कूल में पीटीआइ, एसएस मास्टर, गणित-विज्ञान और हिंदी-संस्कृत के लिए एक-एक अध्यापक होते हैं। अंग्रेजी माध्यम की पुस्तकें नहीं पहुंची
स्कूल को बैगलेस तो बना दिया गया, लेकिन किताबों की व्यवस्था नहीं की गई। किसी कक्षा के लिए अंग्रेजी माध्यम की किताबें नहीं पहुंची हैं। अंग्रेजी माध्यम में बदले गए जिले के दूसरे चार सरकारी स्कूलों की स्थिति भी यही है। कहीं किताबें नहीं हैं।
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फिलहाल कोई शिकायत या जानकारी नहीं है। जहा छत के सरिये दिख रहे हैं और सीमेंट के टुकड़े गिरने का भय बना हो वहा बच्चों को नहीं बैठाना चाहिए। स्कूल इंचार्ज को जब तक कमरे की मरम्मत का कार्य नहीं हो जाता है अन्य वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश दिए जाएंगे। जहा किताबों का सवाल है, एक साथ ही आनी हैं। अभी आई नहीं हैं।
- डॉ. रामकुमार फलसवाल, जिला शिक्षा अधिकारी कैथल।
--------- सरकार स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए लगातार कदम उठा रही है। इस वर्ष हिंदी और अंग्रेजी भाषा का संपूर्ण ज्ञान देने के लिए रीडिंग गारंटी प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है। 238 स्कूलों को बैग फ्री अंग्रेजी मीडियम बनाने की योजना है। छह इंग्लिश लैंगवेज लैब बनाई जाएंगी। नौवीं कक्षा से ही इंग्लिश मीडियम में गणित व साइंस विषय पढ़ाने शुरू होंगे। अटल टिंकरिंग लेबोरटरी की स्थापना होगी। स्टूडेंट असेसमेंट टेस्ट हर दो महीने में कराए जाएंगे। इसके अतिरिक्त अध्यापकों को विशिष्ट विषयों में और विशेष रूप से विकलागों बच्चों को शिक्षा देने के लिए भी ट्रेनिंग देने पर जोर दिया जा रहा है। इसके बावजूद यदि कोई खामी संज्ञान में आएगी तो उन्हें तुरंत प्रभाव से दूर किया जाएगा।
- धीरा खंडेलवाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, हरियाणा