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Engineers Day 2021: इंजीनियरिंग छात्रों का कमाल, बनाया भार उठाने वाला ड्रोन, लागत भी काफी कम

जींद के सफीदों के बीटेक एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग के छात्र ने भार उठाने वाला ड्रोन बनाया है। ड्रोन को पांच छात्रों की टीम ने तैयार किया है। वहीं छात्रों का कहना है कि इस ड्रोन में और भी बदलाव कर रहे हैं ताकि रडार भी इसे न पकड़ सके।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 03:15 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 03:15 PM (IST)
Engineers Day 2021: इंजीनियरिंग छात्रों का कमाल, बनाया भार उठाने वाला ड्रोन, लागत भी काफी कम
बीटेक एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग के छात्रों ने ड्रोन बनाया।

जींद, जागरण संवाददाता। बीटेक एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग के पांच छात्रों ने भार उठाने वाला ड्रोन बनाया है। यह ड्रोन लगभग एक किलोग्राम भार को उठाकर लगभग एक घंटे तक उड़ान भर सकता है। इस ड्रोन को बनाने के पीछे उनका मुख्य मशक्कत चिकित्सा उपकरणों को इधर से उधर ले जाने के लिए हैं।

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सफीदों के वार्ड एक निवासी राहुल सैनी अलवर के स्कूल आफ एयरोनाटिक इंजीनियर कालेज में बीटेक एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष का छात्र है। ड्रोन बनाने की इस प्रोजेक्ट में राहुल सैनी के साथ वरुण वेद, हिमांशु शर्मा, आध्या गुप्ता और गर्व दीक्षित शामिल थे। राहुल सैनी ने बताया कि यह ड्रोन चालीस हजार रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ है। जिसका वहन सभी पांचों छात्रों ने मिलकर किया है। इस ड्रोन के माध्यम से मेडिकल इक्विपमेंट जैसे सेनेटाइजर की बोतल, मास्क और इमरजेंसी दवाइयां इसके अंदर रखकर पहुंचाई जा सकती हैं। यह ड्रोन एक किलोग्राम तक के भार को उठा सकता है और लगभग एक घंटे तक हवा में उड़ सकता है।

राहुल सैनी ने बताया कि इस ड्रोन के लिए सबसे पहले आटोकैड, कैटिया व एनसीस के माध्यम से एक साफ्टवेयर डिजाइन किया गया। उसके बाद इस ड्रोन के बाहरी डिज़ाइन पर काम किया गया। इस ड्रोन मे चार तरह के प्रोपेलर लगाए गए हैं। जिसमें दो प्रोपेलर आगे की तरफ लगे हैं और दो प्रोपेलर पीछे की तरफ लगे हैं। इसके साथ-साथ इसमें चार ब्रशलेस मोटर लगी है जो प्रोपेलर को घुमाने का काम करती है और उसकी स्पीड को बढ़ाती है। ड्रोन के अंदर की बाडी एल्यूमिनियम स्टील राड की मदद से बनाई गई है व बाहर का ढांचा कंपोजिट मटेरियल द्वारा तैयार किया गया है। इस ड्रोन को ट्रांसमीटर के द्वारा कंट्रोल किया जाता है जो कि ड्रोन तक सिग्नल पहुंचाता है ताकि ड्रोन उस सिग्नल से किसी निर्धारित दिशा में उड़ सके।

रडार की पकड़ से होगा बाहर

छात्र राहुल सैनी ने बताया कि अगर इस ड्रोन के अंदर थोड़ा सा बदलाव किया जाए तो यह ओर बेहतर बन सकता है। जिसके बाद यह रडार की पकड़ से भी बाहर हो जाएगा इसलिए वे ओर भी आधुनिक तकनीक के ड्रोन बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं। छात्रों ने बताया कि उन्होंने यह कार्य संस्थान के उपदेशक डा. बिपिन कुमार द्विवेदी, सिद्धार्थ सोंध और सुकुमार धनपतराय के मार्गदर्शन मे पूरा किया है।


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