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करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी गुल हो जाती बिजली

जागरण संवाददाता समालखा बिजली उपभोक्ताओं की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। हल्की

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Jan 2022 11:45 PM (IST)Updated: Fri, 07 Jan 2022 11:45 PM (IST)
करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी गुल हो जाती बिजली
करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी गुल हो जाती बिजली

जागरण संवाददाता, समालखा : बिजली उपभोक्ताओं की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। हल्की बूंदाबांदी में भी लाइन ट्रिप या ब्रेकडाउन होने का सिलसिला पहले की तरह चल रहा है। फील्ड कर्मचारियों की कमी से फाल्ट को दूर करने में लंबा समय लगता है। उपभोक्ताओं को हर तरह की परेशानी झेलनी पड़ती है। उल्लेखनीय है कि चार साल पहले निगम ने प्रधानमंत्री एकीकृत पावर वितरण सिस्टम (पीएम आइपीडीएस) के तहत करीब सवा तीन करोड़ रुपये कस्बे की बिजली व्यवस्था पर खर्च किया था। तारों की जगह केबल लगाई गई थी। वार्डों में लोड के हिसाब से नए ट्रांसफार्मर लगाने के साथ पुराने की क्षमता बढ़ाई गई थी। डिस्क, इन्सुलेटर, जंपर, फ्यूज बदले गए थे। ट्रांसफार्मर के पास जियो स्वीच भी लगाया गया था। मेट्रोपोलिस की तरह उपभोक्ताओं को अनवरत सप्लाई चलने का भरोसा दिया गया था, लेकिन उससे केवल ट्रांसफार्मर जलने में कमी आई है। खास सुधार नहीं दिखाई दे रहा है। अभी सर्दी का मौसम होने से ट्रांसफार्मर अंडरलोड चल रहे हैं। फिर भी हल्की बारिश में लाइन ब्रेकडाउन और ट्रिप होने का सिलसिला जारी है।

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कर्मचारियों की कमी का रोना रोते अधिकारी

तकनीकी कर्मचारियों की ड्यूटी दफ्तर में लगाने से फील्ड में स्टाफ की कमी है। नियमित के साथ आउटसोर्सिंग के सहारे शिकायतों को निपटाया जाता है। तीन-चार की जगह दो कर्मचारियों की शिफ्टों में फाल्ट ठीक करने की केंद्र पर ड्यूटी लगाई जाती है। बारिश में एक साथ एक से अधिक फीडरों के बंद होने पर उपभोक्ताओं को घंटों इंतजार करना पड़ता है। उनके घरेलू और व्यवसायिक काम प्रभावित होते हैं। वहीं निगम का राजस्व का नुकसान होता है। बारिश के समय में हमेशा यही हाल रहता है।


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