निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर रहे बिजली निगम के इंजीनियर और कर्मचारी
प्रधान जितेंद्र सैनी ने कहा कि सरकार विभाग का निजीकरण करने को उतारू है। जिसे कर्मचारी वर्ग किसी भी सूरत में सहन नहीं करेगा। बिजली बिल 2020 खामियों से भरा हुआ है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : बिजली निगम में निजीकरण के विरोध में बुधवार को बिजली निगम के इंजीनियर से लेकर कर्मचारियों ने एक दिन की सांकेतिक हड़ताल की। सुबह कार्यालय पर बिजली कर्मचारियों ने नारेबाजी कर रोष भी जताया। अध्यक्षता जितेंद्र सैनी और मंच का संचालन महासचिव प्रमोद शर्मा ने किया।
प्रधान जितेंद्र सैनी ने कहा कि सरकार विभाग का निजीकरण करने को उतारू है। जिसे कर्मचारी वर्ग किसी भी सूरत में सहन नहीं करेगा। बिजली बिल 2020 खामियों से भरा हुआ है। इससे बिजली का सारा काम निजी कंपनियों केहाथों में चला जाएगा। कंपनियां ही बिजली बिलों की दरें तय करेंगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जो कृषि कानून लागू किए हैं। किसान उनका विरोध कर आंदोलन कर रहे हैं। कर्मचारी किसानों का समर्थन कर सरकार से कानूनों को रद करने की मांग करते हैं। इस मौके पर सर्व कर्मचारी संघ से कश्मीर सिंह, बलवान सिंह, भले राम, शीशपाल मलिक, राजपाल मौजूद रहे।
इंजीनियर भी हड़ताल पर रहे
सरकार की निजीकरण नीतियों के खिलाफ अखिल भारतीय पावर इंजीनियर्स फेडरेशन व हरियाणा पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन से जुड़े बिजली इंजीनियरों ने भी हड़ताल में शामिल हुए। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निजी कंपनियों को बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया वापस लेने की मांग की।
खाली रही कुर्सियां, वापस लौटे उपभोक्ता
बिजली कर्मियों की एक दिन की सांकेतिक हड़ताल के चलते कार्यालयों में कुर्सियां खाली रही। दिन भर उपभोक्ता बिल ठीक कराने, मीटर लगवाने आदि समस्याओं के समाधान को लेकर कार्यालय पहुंचे, लेकिन कर्मचारियों के न होने पर उन्हें बिना काम हुए निराश होकर लौटना पड़ा। हालांकि बिल भरने को लेकर काउंटर खुले रहे।
ये हैं मुख्य मांगें
--तीनों कृषि कानून रद हों। एमएसपी का कानून बना सरकारी खरीद की गारंटी मिले।
--पराली जलाने पर सजा व जुर्माने का प्रावधान समाप्त कर पराली निपटान का वैकल्पिक समाधान करें।
--बिजली संशोधन बिल 2020 वापिस हो। निजीकरण बंद कर खाली पदों पर व नए विस्तारित ढांचे के अनुरूप नियमित भर्तियां करे।
--कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए।
--श्रम कानूनों में किए गए मजदूर कर्मचारी विरोधी बदलाव रद हों।
--बिजली के अधिकार को मानव अधिकार बनाया जाए।