पानीपत में अजब-गजब शिकायत, बुजुर्ग ने लिखा, अफसरों व कर्मचारियों के हों अंग-भंग
पानीपत के 33 केवी सब स्टेशन मिनी सचिवालय के सभागार में सीजीआरएफ (उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच) का दरबार लगाया गया। इसमें एक बुजुर्ग ने चेयरमैन को थमाई चिट्ठी लिखा- सुनवाई न करने वाले अफसरों व कर्मचारियों के हों अंग-भंग।
पानीपत, जेएनएन। बिजली निगम द्वारा गलत बिजली बिल व रीडिंग भेजने से उपभोक्ताओं का चैन छीन गया है। समस्या के समाधान के लिए वे बार-बार निगम कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। एक उपभोक्ता न्यू हाउङ्क्षसग बोर्ड कालोनी के किशोर बत्रा (80) निगम की कार्यप्रणाली इतने व्यथित हो गए कि उन्होंने सीजीआरएफ (उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच) की ओर से लगे दरबार में चेयरमैन आरके शर्मा को बददुआ भरी चिट्ठी थमा दी। इसमें उन्होंने अधिकारियों व कर्मचारियों के अंग-भंग होने के साथ ही वृद्धावस्था में अपने द्वारा बनाए जाने वाले आश्रम में आश्रय व खाना देने की बात कही।
चिट्ठी पढ़कर चेयरमैन हैरान रह गए और बुजुर्ग की शिकायत के समाधान का आश्वासन दिया। साथ में नाराजगी भी जाहिर की आप अधिकारियों के बारे में ऐसा नहीं लिख सकते। बुजुर्ग ने भी एक शिकायत का समाधान होने पर धन्यवाद करते हुए कहा कि छह महीने से चक्कर काट रहा हूं। तकलीफ में ऐसी चिट्ठी लिखनी पड़ी।
बुधवार को 33 केवी सब स्टेशन मिनी सचिवालय के सभागार में लगे दो घंटे दरबार में 20 शिकायतें मिली। इनमें से 10 का मौके पर ही समाधान कर दिया गया। इस दौरान पर सब अर्बन सब डिवीजन के एसडीओ आदित्य दहिया और एसडीओ जतिन जांगड़ा मौजूद रहे।
डिफाल्टर कोई और था, कनेक्शन दूसरे का काट दिया
न्यू हाउसिंग बोर्ड कालोनी के किशोर बतरा ने बताया कि उन्होंने सनौली रोड पर एक बिल्डिंग खरीदी थी। उसमें चार मीटर लगे थे। दो मीटर डिफाल्टर लिस्ट में हैं। निगम के अधिकारियों ने कनेक्शन जोङ्क्षगद्र का काटना था और काट दिया इंद्र का। उन्होंने एक मीटर का 75 हजार रुपये का बिल भर नए कनेक्शन के लिए अप्लाई किया था। छह महीने से कनेक्शन नहीं दिया गया है। चक्कर लगाकर थक चुका हूं।
बिल ठीक कराने को दो साल से लगा रहा हूं चक्कर
तहसील कैंप रामनगर के ओमप्रकाश ने बताया कि पत्नी किरण के नाम से घर का बिजली मीटर है। दिसंबर 2018 में आई सरचार्ज माफी योजना का लाभ मिलने पर उनका 57 हजार रुपये का बिल 20 हजार 75 रुपये हुआ था। उन्होंने नौ हजार रुपये तभी भर दिए थे। बाकी 12 हजार रुपये 13 जून 2019 को भर दिए। फिर भी बार बार 57 हजार रुपये बिल में जुड़कर आ रहे हैं। इसे ठीक कराने के लिए वो दो बार एसडीओ, तीन बार कर्मचारियों के पास जाने के अलावा तीसरी बार दरबार में आया हूं। हर बार आश्वासन मिलता है, पर बिल ठीक होकर नहीं आता।
रीडिंग लेने व बिल बांटने कोई नहीं आता
अमर भवन चौक के मोहन बताते हैं कि मीटर की रीङ्क्षडग लेने से लेकर बिल तक बांटने के लिए कोई नहीं आता है। खुद ही निगम कार्यालय जाकर बिल निकलवाना पड़ता है। दिसंबर माह में बिल निकलवा 1849 रुपये भरे थे। अब कई दिन पहले निगम का 11 जनवरी तक 1 लाख 61 हजार 708 रुपये का बकाया बिल भरने का मोबाइल पर मैसेज आ गया। जिस पर वो हैरान हैं। शिकायत लेकर दरबार में पहुंचा।
लगातार गलत बिल भेज रहे
इंद्रा कालोनी ने सूरजभान पंवार ने कहा कि जून 2020 में उन्होंने 2958 से 3020 रीडिंग तक का बिल भरा था। फिर भी उक्त रीडिंग का बिल लगातार जोड़कर भेजा जा रहा हैं। 5 नवंबर को शिकायत भी की। जहां से बिल ठीक होने का आश्वासन मिला, पर आज तक बिल ठीक होकर नहीं आया। दरबार में भी चेयरमैन ने आश्वासन दिया है।
नहीं हटे लोहे के खंभे व नंगे तार
तहसील कैंप अशोक नगर के सुरेश नारंग ने बताया कि पटेल नगर में कई जगहों पर लोहे के खंभे व नंगे तार हैं। उनमें करंट आने पर गोवंश के साथ एक बच्चे सहित दो लोग भी जान गवां चुके हैं। वह खंभे व तार बदलवाने के लिए दो साल से कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, कोई सुध नहीं ले रहा। लगता है निगम अधिकारी बड़े हादसे के इंतजार में हैं।
एक साल से नहीं हो रही है सुनवाई
शिव नगर निवासी रविंद्र कुमार ने बताया कि मेरी करियाणा की दुकान है। साल भर पहले निगम ने 589 की जगह 951 यूनिट का बिल बनाकर भेज दिया। उस गलत बिल को ठीक कराने के लिए पिछले एक साल से बिजली निगम कार्यालय के चक्कर काट रहा हूं। एसडीओ तक से भी मिल चुका हूं। वो आश्वासन देते हैं, लेकिन अगले बिल में फिर गलत राशि जुड़कर आ जाती है। बिल को ठीक कराने के लिए दुकान बंद कर आना पड़ता है।
छत से गुजर रही हाईवोल्टेज लाइन को नहीं हटाया
गांधी नगर निवासी अशोक कुमार ने बताया कि उसने करीब पंद्रह साल पहले मकान बनाया था। दो साल बाद ही बिजली निगम ने मकान के ऊपर से 11 हजार केवी की लाइन निकाल दी। ऐसे में तारों के चलते वो मकान की छत तक पर नहीं जा पा रहे हैं। हर वक्त हादसा होने का डर बना रहता है। तारों को हटवाने के लिए निगम अधिकारियों से लेकर सीएम ङ्क्षवडो तक पर शिकायत दर्ज करा चुका हूं, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।
तीन महीने में 57 में से 33 शिकायतों का ही समाधान हुआ
उपभोक्ताओं की समस्या का दूर करने के लिए तीन महीने में सीजीआरएफ के तीन दरबार लगाए गए। नवंबर 2020 में लगे दरबार में 17 शिकायतों में से हुआ था 11 का समाधान हुआ। इसी तरह से दिसंबर में लगे दरबार में 20 में से 12 शिकायतों का निवारण किया गया। कुल 57 शिकायतों में से 33 का निदान हुआ है।