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आठ सौ-हजार की ओपीडी कम, डॉक्टर व्यवहार सुधारें: डॉ. कादियान

जिला बहादुरगढ़ से ट्रांसफर और प्रोन्नत हुए सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र कादियान ने मंगलवार को पानीपत की कुर्सी संभाल ली। उन्होंने सिविल अस्पताल के डॉक्टरों की बैठक बुलाई और नसीहत दी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Feb 2019 06:16 AM (IST)Updated: Wed, 27 Feb 2019 06:16 AM (IST)
आठ सौ-हजार की ओपीडी कम, डॉक्टर व्यवहार सुधारें: डॉ. कादियान
आठ सौ-हजार की ओपीडी कम, डॉक्टर व्यवहार सुधारें: डॉ. कादियान

जागरण संवाददाता, पानीपत: जिला बहादुरगढ़ से ट्रांसफर और प्रोन्नत हुए सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र कादियान ने मंगलवार को पानीपत की कुर्सी संभाल ली। डीसी की बुलाई बैठक से लौटते ही उन्होंने सिविल अस्पताल के डॉक्टरों की बैठक बुलाई। अस्पताल की ओपीडी संख्या 800 से 1000 तक रहने पर उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को मंथन कर अपने व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा।

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अस्पताल की नई बि¨ल्डग स्थित मी¨टग हॉल में उन्होंने कहा कि जुलाई 2018 से अल्ट्रासाउंड मशीन खराब होने के मामले में डिप्टी एमएस और रेडियोलॉजिस्ट से रिपोर्ट तलब की है। नई मशीन मिलने में समय लगा तो निजी केंद्रों से टाइअप किया जाएगा। इतने लंबे समय से अस्पताल में अल्ट्रासाउंड सुविधा नहीं होने पर उन्होंने हैरत जताई।

अस्पताल की पुरानी-जर्जर बि¨ल्डग से लेबर रूम और एसएनसीयू को अस्थाई रूप से नई बि¨ल्डग में शिफ्ट करने में हो रही देरी पर उन्होंने कहा कि ऑपरेशन थियेटर तैयार नहीं हैं। संबंधित एजेंसी को चेतावनी दी जाएगी कि वह जल्द थियेटर तैयार करे। सिविल सर्जन ने डॉक्टरों को आश्वस्त किया किया सही कार्य में साथ दूंगा, गलत काम में संलिप्त मिले को रिपोर्ट बनाकर, कार्रवाई की संस्तुति कर दूंगा।

इस मौके पर डिप्टी सिविल सर्जन नवीन सुनेजा, डॉ. निशि ¨जदल, डॉ. शशि गर्ग, एमएस डॉ. आलोक जैन, डिप्टी एमएस डॉ. अमित पोडिया, डॉ. मनीष पासी और डॉ. श्यामलाल आदि मौजूद रहे। व्यवहार नहीं, डॉक्टरों की कमी

दो सौ बेड के अस्पताल में करीब 80 डॉक्टर होने चाहिए। वर्तमान की बात करें तो 21 डॉक्टर ऑन ड्यूटी हैं। बाकी पद रिक्त हैं या डॉक्टर लंबी छुट्टी पर हैं। करीब 14 लाख की आबादी पर बने इस अस्पताल में फिजिशियन तक नहीं है। ऑर्थोपेडिक, मनोचिकित्सक, स्किन विशेषज्ञ एक-एक हैं। ये छुट्टी पर रहें तो ओपीडी पर ताला लटक जाता है। बिजली वोल्टेज कम ज्यादा होते ही एक्स-रे मशीन बंद हो जाती है। इन चुनौतियों से निपटना होगा

-अस्पताल में ई-उपचार सुविधा शुरू कराना।

-अल्ट्रासाउंड मशीन मंगवाना, प्राइवेट केंद्रों से टाइअप करना।

-ऑडियोमीटर रूम शुरू कराना।

-प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र शुरू कराना।

-एसएनसीयू-लेबर रूम का नई बि¨ल्डग में शिफ्ट करना।

-एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल का सामना करना।

-बुजुर्ग और दिव्यांगों की दिक्कतें दूर करना।

-डायलिसिस सुविधा शुरू कराना।


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