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चावल निर्यातकों के करोड़ों का कर्ज बैंकों को लौटा रहा ईसीजीसी

प्रदेश के राइस मिलर्स की तरफ विभिन्न बैंकों के एक हजार करोड़ से भी अधिक बकाया है। इस इसे ईसीजीसी लौटा रहा। पूर्व में 140 करोड़ रुपये लौटाए जा चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Apr 2018 07:20 AM (IST)Updated: Tue, 10 Apr 2018 07:20 AM (IST)
चावल निर्यातकों के करोड़ों का कर्ज बैंकों को लौटा रहा ईसीजीसी
चावल निर्यातकों के करोड़ों का कर्ज बैंकों को लौटा रहा ईसीजीसी

महावीर गोयल, पानीपत

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प्रदेश के राइस मिलर्स की तरफ विभिन्न बैंकों के एक हजार करोड़ से भी अधिक बकाया हैं। इसके अलावा चावल निर्यातकों को करोड़ों रुपये आढ़तियों को भी चुकाने हैं। बैंकों के इस नुकसान की भरपाई भारतीय निर्यात क्रेडिट गारंटी निगम (ईसीजीसी) कर रहा है। पूर्व में बैंकों को 140 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।

2015-2016 में चावल निर्यात में आई मंदी के कारण कईं चावल निर्यातक फर्म फेल हो चुकी हैं। इनसे पैसा लेने के लिए मंडी आढ़ती मारे-मारे फिर रहे हैं। मंडियों में कई आढ़ती भी अपना कारोबार बंद करने पर मजबूर हो चुके हैं। बकाया न चुकाने के कारण चावल का व्यवसाय लड़खड़ा चुका है। बीते वर्ष चावल के दाम बढ़ने के कारण निर्यातकों को राहत तो मिली, लेकिन अभी भी 2015-16 की मंदी का शिकार बने चावल निर्यातक घाटे से उबर नहीं पाए हैं। मंदी के चलते दुनार फूड, वीटी फूड्स, रामदेव इंटरनेशनल, शक्ति बासमती बेस्ट फूड इंद्री, आरपी बासमती, नामधारी फूड इंटरनेशनल, सनस्टार ओवरसीज जैसी बड़ी फर्माें को नुकसान झेलना पड़ा।

इस नुकसान की भरपाई भारतीय निर्यात क्रेडिट गारंटी निगम (ईसीजीसी) कर रहा है। निगम अब तक बैंकों को 140 करोड़ रुपये दे चुका है। अगले वर्ष निगम 380 करोड़ रुपये बैंकों को क्लेम देना है।

ईसीजीसी देश में निर्यात उद्योग को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। विदेश में निर्यात करने से पहले निर्यातक ईसीजीसी का कवर लेते हैं। यह निगम निर्यातकों को विभिन्न देशों काम कर रहे व्यापारियों की क्रेडिट स्थिति की जानकारी देने का काम भी करता है।

हरियाणा व्यापार मंडल के प्रदेश युवा अध्यक्ष राकेश चुघ का कहना है कि हरियाण व्यापार मंडल ने सरकार से व्यापारी कल्याण कोष की स्थापना करने की मांग की थी। यदि व्यापारी कल्याण कोष गठित हो जाता तो निर्यातकों के नुकसान को आसानी से भरा जा सकता था।

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आढ़तियों का 400 करोड़ बकाया

राइस मिलर्स की तरफ प्रदेश के आढ़तियों का 2015 से 2017 तक का 400 करोड़ रुपये बकाया है। पानीपत मंडी के आढ़तियों को 20 करोड़, मतलौडा मंडी का 60 करोड़ बकाया है। गोहाना, नि¨सग, कैथल सहित टोहाना, करनाल के आढ़तियों के करोड़ों रुपये बकाया है। आढ़तियों के पैसे लौटाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। आढ़ती यह मामला कृषि मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक उठा चुके हैं। मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान धर्मवीर मलिक ने आढ़तियों का पैसे दिलाने की सरकार से मांग की है।

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