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डाई उद्यमी कोयला और लकड़ी की बजाय जला रहे कूड़ा-कबाड़ा, एसोसिएशन बोली एनजीटी को करेंगे शिकायत

डायर्स सेक्टर-29-टू में ही दो दर्जन के करीब उद्यमी तोड़ रहे नियम छुट्टी के दिनों या फिर शाम होते ही मनमाना ईंधन जलाना शुरू कर देते हैं

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 10:07 AM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 10:07 AM (IST)
डाई उद्यमी कोयला और लकड़ी की बजाय जला रहे कूड़ा-कबाड़ा, एसोसिएशन बोली एनजीटी को करेंगे शिकायत
डाई उद्यमी कोयला और लकड़ी की बजाय जला रहे कूड़ा-कबाड़ा, एसोसिएशन बोली एनजीटी को करेंगे शिकायत

जगमहेंद्र सरोहा, पानीपत: एनजीटी की सख्त कार्रवाई के बाद भी शहर के कुछ डाई हाउस संचालक कोयला और लकड़ी की बजाय कूड़ा और कबाड़ा ईंधन के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। अब तक अवैध रूप से डाई हाउसों में ही इस तरह से पर्यावरण के नियमों को तोड़ा जा रहा था। अब डाई हाउस के लिए अलग से काटे गए सेक्टर में उद्यमी अपने फायदे के लिए मनमाना ईंधन प्रयोग करने लगे हैं। ऐसे उद्यमियों की संख्या फिलहाल दो दर्जन है। आरोप है कि हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। इन सबके चलते नियम तोड़ने वाले उद्यमियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

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सरकार ने वर्ष 2000 में डाई हाउस के लिए अलग से सेक्टर-29-टू रिजर्व किया था। इसमें करीब 614 प्लॉट हैं। इनमें से 350 में डाई हाउस चल रहे हैं। अधिकतर डाई हाउस हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास रजिस्टर्ड हैं। सरकार ने करीब डेढ़ साल पहले डाई हाउस में ईंधन के रूप में प्रयुक्त पैटकॉक बंद कर दिया था। उद्यमी लकड़ी या कोयले का प्रयोग कर सकते थे। अब सामने आया है कि कुछ डायर्स उद्यमी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नाक के नीचे ही कूड़ा और अन्य सामान जला रहे हैं। प्रॉफिट के चलते कर रहे ऐसा

डायर्स उद्यमियों की माने तो कोयला और लकड़ी के प्रयोग से उत्पाद महंगा हो गया है। जबकि कुछ डायर्स उद्यमी कूड़ा-कबाड़ा ईंधन में प्रयोग कर रहे हैं। वे कम रेट में उत्पाद मार्केट में ला देते हैं। ऐसे में नियमों पर काम करने वाले उद्यमी लागत से भी कम रेट में उत्पाद बेचने को मजबूर हैं। नियम तोड़कर चलने वाले उद्यमी कम खर्च कर अपेक्षा से अधिक बचा रहे हैं। इन सबके चलते उद्यमी एक-दूसरे को देखकर ईंधन में मनमाना सामान प्रयोग कर रहे हैं। एनजीटी ने 66 यूनिट बंद करा चुका है

एनजीटी गत कई सालों से पानीपत के उद्योगों पर लगातार कार्रवाई कर रहा है। अब तक नियमों को तोड़कर चलने वाली 66 इकाइयों को बंद करा चुका है। पिछले दिनों ही जल प्रदूषण फैलाने पर पानीपत रिफाइनरी को करीब 17 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके सेक्टर-29-टू में ही 44 फैक्ट्रियों से पानी के सैंपल लिए थे। वहीं हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी गत दिनों सेक्टर के डाई हाउसों से सैंपल लिए हैं। ऐसे डाई हाउसों की एनजीटी को करेंगे शिकायत

पानीपत डायर्स एसोसिएशन ने ही नियम तोड़कर चलने वाले डाई हाउस मालिकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा ने बताया कि सेक्टर में 20-25 डाई हाउसों में ईंधन में लकड़ी या कोयले की बजाय कबाड़ जलाया जा रहा है। शाम के वक्त सेक्टर में सांस ले पाना मुश्किल हो जाता है। वे इसकी शिकायत एनजीटी और हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को करेंगे। एसोसिएशन अपने स्तर पर ऐसे उद्यमियों को कई बार समझा चुकी है। वे उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहे।

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