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गली-मुहल्ले के कुत्तों ने दो दिन में 14 लोगों को काटा

बढ़ते तापमान के साथ गली-मुहल्ले के कुत्ते भी आक्रामक होने लगे हैं। अलग-अलग स्थानों पर दो दिनों में पांच बच्चों सहित 14 को काटकर घायल कर चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 08:39 AM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 08:39 AM (IST)
गली-मुहल्ले के कुत्तों ने दो दिन में 14 लोगों को काटा
गली-मुहल्ले के कुत्तों ने दो दिन में 14 लोगों को काटा

जागरण संवाददाता, पानीपत : बढ़ते तापमान के साथ गली-मुहल्ले के कुत्ते भी आक्रामक होने लगे हैं। अलग-अलग स्थानों पर दो दिनों में पांच बच्चों सहित 14 को काटकर घायल कर चुके हैं। बता दें कि हर साल आवारा कुत्ते सैकड़ों लोगों को काटते हैं। सांसद, विधायक और मेयर तीनों भाजपा के हैं। प्रदेश में सरकार भी इनकी है, इसके बावजूद आवारा जानवरों-पशुओं पर अंकुश नहीं लग सका है।

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इमरजेंसी वार्ड से मिली जानकारी के मुताबिक कुत्ते के काटने से घायल होने वालों में दो महिलाए प्रवीन और सुदेश ज्योति नगर की निवासी हैं। इनके अलावा डाहर वासी सुरेश पत्नी अनिल, छिडाना वासी प्रदीप, पुलिस लाइन वासी सचि पुत्री वीरेंद्र, सैनी कॉलोनी वासी कमलेश, इंसार चौक वासी प्रियांश (4 साल), तहसील कैंप से हर्षित (12 साल) और रविद्र, फैजान (4 साल) नूरवाला, वर्निका (14 माह) महादेव कॉलोनी, सतपाल उग्राखेड़ी, मानवी (6 साल) जाटल रोड और देशराज कॉलोनी से शिवराज ने अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाया है।

सिविल अस्पताल से मिले आंकड़ों के मुताबिक 1 फरवरी से 13 अप्रैल तक गली-मुहल्लों के आवारा और पागल कुत्ते 300 से अधिक पर हमला कर घायल कर चुके हैं। कुत्ता-बंदर के काटने पर घायल को पांच इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं और हर बार 100 रुपये शुल्क की रसीद कटवानी पड़ती है।

ऐसे करें पागल कुत्ते की पहचान

गर्मी में कुत्तों के पागल होने का मुख्य कारण हीट स्ट्रोक है। कुत्तों को छाया नहीं मिलने के कारण उनके शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इससे कुत्ते हीट स्ट्रोक की चपेट में आकर पागल हो जाते हैं। त्वचा की अत्यधिक एलर्जी भी कुत्ते को पागल बना देती है। पागल कुत्ता इधर-उधर दौड़ता है। लगातार भौंकता है और बाहर निकली जीभ से लार टपकती रहती है। कुत्ता जब काटता है तो लार के जरिए ही रेबीज वायरस मनुष्य के खून में शामिल हो जाता है। यह मौसम कुत्तों और बंदरों की ब्रीडिग का है। ऐसे में मेल आक्रामक और चिड़चिड़ा हो जाता है। जब भी पास से कोई गुजरता है तो कई बार वह हमला कर देता है। कोई उनके साथ शरारत करे तब भी वे आक्रामक हो जाते हैं। गर्मी में छांव न मिलना और भूख-प्यास भी कुत्तों-बंदरों को हिसक बनाती है। मेल की नसबंदी ही एकमात्र विकल्प है।

डॉ. सुरभि अरोड़ा, पैट सॉल्यूशन, मॉडल टाउन


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