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Omicron Variant : कोरोना ओमिक्रोन से घबराए नहीं, बच्‍चों की विल पावर ऐसे मजबूत करें

Omicron Variant of Covid 19 कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट की इस समय सबसे ज्‍यादा चर्चा। घर में तनाव का माहौल न रहने दें। बच्‍चों को मानसिक रूप से मजबूत करें। उन्‍हें बताएं कि ये रोग खतरनाक नहीं हैं। अपने काम पर फोकस रखें। रोजाना मेडिटेशन करें।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 02:48 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 02:48 PM (IST)
Omicron Variant : कोरोना ओमिक्रोन से घबराए नहीं, बच्‍चों की विल पावर ऐसे मजबूत करें
कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वैरिएंट को लेकर अलर्ट।

पानीपत, जागरण संवाददाता। दूसरी लहर खत्‍म होने लगी तो कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट का खतरा सामने आ गया है। हालांकि भारत में इसके केस नहीं मिल रहे। अहतियात के तौर पर विदेश से आने वाले नागरिकों की जांच हो रही है। दक्षिण अफ्रीका से आए इस वैरिएंट से संक्रामक लोगों की संख्‍या जल्‍दी बढ़ती है। इसके बावजूद डाक्‍टरों का कहना है कि यह वैरिएंट इतना घातक नहीं है। वैसे, पानीपत में कोविड से ठीक होने के बाद पोस्‍ट कोविड मरीजों के लिए उमंग सेंटर बनाया था। वहां पर ऐसे मरीज आने लगे थे, जिन्‍हें मनोरोग हो गया था। ओमिक्रोन की जिस तरह से खबरें चल रही हैं, आम लोगों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए अभी से तैयारी जरूरी है।

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मनोचिकित्‍सकों का कहना है कि हम मानसिक रूप से जितना मजबूत होंगे, उतना ही रोग का सामना कर सकेंगे। ओमिक्रोन वैरिएंट के बारे में अभी बातें हो रही हैं। घर-घर में यह चर्चा का विषय है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। सबसे जरूरी है, बच्‍चों का मनोबल बढ़ाया जाए। दरअसल, कोविड की पहली और दूसरी लहर में यह देखा गया था कि बच्‍चों के दिमाग पर इसका बहुत असर पड़ा था। बच्‍चे मानसिक रूप से परिपक्‍व नहीं होते। दहशत का माहौल देखते हैं या इसके बारे में ज्‍यादा सुनते हैं तो मानसिक रूप से बीमार हो जाते हैं।

बार-बार हाथ धोने का रोग हो गया था

पानीपत के सिविल अस्‍पताल में मनोचिकित्‍सक डा.मोना नागपाल ने जागरण से बातचीत में कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान बच्‍चे सबसे ज्‍यादा प्रभावित हुए थे। मानसिक रूप से उन्‍हें मजबूत किया जाना जरूरी है। बच्‍चों को बार-बार हाथ धोने की आदत पड़ गई। इसकी अति ज्‍यादा है। एक केस तो ऐसा भी आया कि एक व्‍यक्ति हर दस मिनट बाद नहाने चला जाता था। खुद से कहें कि सब ठीक होगा। जरूरत से ज्‍यादा सोचने पर रोग हावी हो जाता है।

काम पर फोकस करें

मनोचिकित्‍सक डा.मोना का कहना है कि अपने पर काम फोकस करें। बार-बार बीमारी पर चर्चा न करें। कोराना का कोई भी वैरिएंट हो, उससे फर्क नहीं पड़ता। सामान्‍य तौर पर योगासन, शारीरिक अभ्‍यास करते रहें। इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। इच्‍छा शक्ति मजबूत होगी तो कोई भी रोग हावी नहीं हो सकेगा।

ज्‍याद मेडिटेशन करें

पतंजिल योग समिति के तहसील मंडल के प्रभारी बलवान सिंह का कहना है कि हमें ध्‍यान लगाना चाहिए। रोजाना कुछ देर तक ध्‍यान में रहें। इससे मानसिक रूप से मजबूत होंगे। अपनी विल पावर को और बेहतर कर सकेंगे। ऐसा देखा गया है कि जो लोग मेडिटेशन करते हैं, वे मानसिक रूप से काफी स्‍वस्‍थ रहते हैं। उनके मन में निराशा के भाव नहीं आते।


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