Haryana Weather Update : हरियाणा में मानसून के रंग, मेवात, महेंद्रगढ़ व झज्जर में ज्यादा बारिश, इन जिलों में सूखे जैसे हालात
हरियाणा में दो दिन से हो रही बरसात ने किया प्रदेश में बरसात का कोटा लगभग पूरा। इस माह अब तक 86.8 एमएम बरसात। प्रदेश में मानसून सक्रिय होने के बावजूद तीन जिलों सिरसा अंबाला व पंचकूला में बने सूखे जैसे हालात।
करनाल, [प्रदीप शर्मा]। पूरे प्रदेश में मानसून की गतिविधियां जारी हैं। जिससे प्रदेश में एक से 19 जुलाई के बीच होने वाली बरसात का कोटा लगभग पूरा कर दिया है। प्रदेश में अब तक 91.5 मिलीमीटर बरसात होनी चाहिए थी, जोकि 86.8 एमएम हुई यानि महज पांच प्रतिशत कम बरसात रही है। मानसून की सक्रियता का सबसे अधिक प्रभाव तीन जिलों मेवात, महेंद्रगढ़ व झज्जर पर पड़ा है। यहां पर क्रमश: औसत से 446, 83 व 78 प्रतिशत अधिक बरसात दर्ज की गई है। इसके विपरित तीन जिलों सिरसा, अंबाला व पंचकुला में तो अब भी सूखे जैसे हालात बन गए हैं। यहां पर औसत से 89 प्रतिशत तक बरसात कम हुई है।
वहीं पांच जिलों यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद, भिवानी व रोहतक में भी उम्मीद के अनुरूप बरसात नहीं हुई है। इन जिलों में औसत से 28 प्रतिशत तक बरसात कम दर्ज की गई है। हरियाणा, दिल्ली व चंडीगढ़ की औसत बरसात पर गौर किया जाए तो इस माह में अब तक 92.7 एमएम होनी चाहिए थी, जबकि 88.5 हुई है। औसत बरसात लगभग कवर हो चुकी है।
इन जिलों में हुई है सामान्य से अधिक बरसात
जिले का नाम कितनी अधिक बरसात हुई
करनाल 39 प्रतिशत
कैथल 22 प्रतिशत
झज्जर 78 प्रतिशत
महेंद्रगढ़ 83 प्रतिशत
रेवाड़ी 49 प्रतिशत
गुरुग्राम 27 प्रतिशत
पलवल 35 प्रतिशत
मेवात 446 प्रतिशत
इन पांच जिलों में औसत हुई बरसात
जिले का नाम कितनी बरसात हुई
पानीपत 07 प्रतिशत
सोनीपत 04 प्रतिशत
हिसार -13 प्रतिशत
फरीदाबाद -15 प्रतिशत
इन जिलों में बने सूखे जैसे हालात
जिले का नाम कितनी बरसात की कमी
पंचकुला -89 प्रतिशत
सिरसा -79 प्रतिशत
अंबाला -68 प्रतिशत
इन जिलों में भी मानसून का उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं
जिले का नाम कितनी बरसात की कमी
यमुनानगर -23 प्रतिशत
कुरुक्षेत्र -24 प्रतिशत
फतेहाबाद -26 प्रतिशत
भिवानी -28 प्रतिशत
रोहतक -25 प्रतिशत
नोट : यह आंकड़े मौसम विभाग की ओर से जारी किए गए हैं और एक से 19 जुलाई तक के हैं।
इस समय मानसून की क्या है स्थिति
मानसून की एक टर्फ रेखा गंगानगर, नारनौल, ग्वालियर, गया, बेहरामपुर और फिर मणिपुर से होते हुए समुद्र तल से गुजर रही है। एक तटीय टर्फ रेखा महाराष्ट्र तट से कर्नाटक तट तक फैली हुई है। एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण गुजरात के ऊपर बना हुआ है। एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र असम और आसपास के क्षेत्र पर बना हुआ है। एक टर्फ रेखा उत्तर प्रदेश के मध्य भागों से पूर्वी मध्य प्रदेश और विदर्भ होते हुए तेलंगाना तक जा रही है। आने वाले 24 घंटे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब के कुछ हिस्सों, पश्चिम बंगाल, कोंकण और गोवा, तटीय कर्नाटक, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश संभव है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, बिहार, झारखंड, विदर्भ, मराठवाड़ा, पूर्वी राजस्थान और दक्षिण गुजरात में हल्की से मध्यम बरसात हो सकती है। हरियाणा के कुछ हिस्सों में भी बरसात की संभावना है।
कैथल के राजौंद ब्लाक के विभिन्न गांव के खेतों में जलभराव होने से किसान परेशान
सोमवार को हुई तेज बरसात के बाद मंगलवार को भी राजौंद ब्लाक के खेतों में जलभराव है।गुलियाणा निवासी संदीप, राजेश, रामकुमार, रणधीर, मनोज व राजा ने बताया कि बरसात ज्यादा हो गई है। इससे उनकी नरमा कपास की फसल डूब गई है अगर और बरसात हो गई तो कपास की फसल को नुकसान होने की संभावना है। वहीं बता दें कि मंगलवार सुबह से आसमान में बादल छाए हुए हैं। बीच- बीच में धूप निकल रही है। बरसात के बाद मौसम खुशनुमा हो गया है। मौसम में हुए बदलाव के कारण लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिली है। मौसम समन्वयक रमेश चंद्र का कहना है कि अभी एक दो दिन बरसात होने की संभावना है। बरसात के बाद लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी। धान की फसल के लिए बरसात फायदेमंद है। पिछेती धान की बिजाई बासमती की रोपाई का कार्य चल रहा है। इसमें भी तेजी आई है। खेतों में जलभराव होने से कपास, ज्वार व सब्जियों की फसल को नुकसान हो सकता है। किसान अपने खेत की पानी निकासी का उचित प्रबंध करें। कपास की फसल पानी खड़ा रहने से सूख जाने से गिर जाती है। पौधा सूख जाता है। कृषि उपनिदेशक कर्मचंद क कहना है कि फसलों में ज्यादा किसान जलभराव न होने दें। फसलों में थोड़ी सी शिकायत मिलने के बाद तुरंत कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क करें। पिछती किस्म की बासमती धान की रोपाई 25 जुलाई तक किसान कर सकते है।
कपास की फसल में यहां है ज्यादा पानी जमा-
राजौंद ब्लाक के रोहेडा, माजरा, किठाना, गुलियाना, तारागढ़, सौंगरी, खेड़ी, नरवल सहित कई गांव के खेतों ज्यादा बरसात होने से पानी जमा हो गया है। प्रशासन से भी इन गांवों के लोगों ने पानी निकासी का उचित प्रबंध करने की मांग की है। ताकि उनकी फसल को बचाया जा सकें।