Dhanteras 2021: धनतेरस पर बन रहा है त्रिपुष्कर योग, जानिए क्या है महत्व और पूजा विधि
Dhanteras 2021 इस बार धनतेरस को शुभ योग बन रहा है। इस योग में पूजा करने का खास महत्व है। धनतेरस या धनत्रयोदशी में त्रिपुष्कर योग बन रहा है। इस योग में तीन गुना ज्यादा फल मिलता है। जानिए धनतेरस की पूजा विधि।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। Dhanteras 2021: कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन धन के देव कुबेर, मां लक्ष्मी, धन्वंतरि और यमराज का पूजन किया जाता है और सोना, चांदी या बर्तन आदि खरीदना शुभ माना जाता है।
मिलता है तिगुना फल
गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक डा. रामराज कौशिक ने बताया कि इस धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है। ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि इस योग में जो भी कार्य करते हैं, उसका तिगुना फल प्राप्त होता है। इसलिए इस दिन कोई भी बुरा कार्य करने से बचना चाहिए। वहीं इस दिन यदि शुभ कार्य करते हैं तो उसका भी तीन गुना फल प्राप्त होगा। इसलिए इस दिन आप धन का निवेश करके लाभ कमा सकते हैं। शेयर बाजार में निवेश करके भी इस दौरान लाभ अर्जित कर पाएंगे। स्वर्ण और चांदी धातु में निवेश करना भी शुभ होगा।
धनतेरस पूजा मुहूर्त
धनतेरस पूजा मंगलवार, दो नवंबर
धनतेरस पूजा मुहूर्त – 06:16 सायं से 08:11 सायं
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ – 11:31 सुबह
त्रयोदशी तिथि समाप्त – 03 नवंबर को 09:02 सुबह
धनतेरस पूजन विधि
धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं। पूजा करते समय ओम कुबेराय नमः मंत्र का जाप करें। फिर धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करें्र और मिट्टी का दीपक जलाएं। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाएं और फूल चढ़ाएं।
कार्तिक नवंबर माह के व्रत व त्योहार
01 नवंबर: दिन: सोमवार: रमा एकादशी, द्वादशी
02 नवंबर: दिन: मंगलवार: धनतेरस, भौम प्रदोष
03 नवंबर: दिन: बुधवार: नरक चतुर्दशी, मासिक शिवरात्रि
04 नवंबर: दिन: वीरवार: दीपावली
05 नवंबर: दिन: शुक्रवार: गोवर्धन पूजा
06 नवंबर: दिन: शनिवार: भाईदूज
08 नवंबर: दिन: सोमवार: खरना (छठ पूजा), विनायक चतुर्थी
10 नंवबर: दिन: बुधवार: छठ पूजा
14 नवंबर: दिन: रविवार: देवुत्थान एकादशी
16 नवंबर: दिन: मंगलवार: भौम प्रदोष
18 नवंबर: दिन: वीरवार: कार्तिक पूर्णिमा