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प्रभु भक्ति से मन को मिलेगी शांति आनंद : सुभद्र मुनि

जैनाचार्य सुभद्र मुनि ने कहा कि गुरु जीवन का निर्माता है। उनके जीवन में संयम ध्यान समता योग का अलौकिक प्रकाश भटकते हुए व्यक्ति को सन्मार्ग दिखाता है। सुभद्र मुनि गांधी मंडी स्थित जैन स्थानक में एसएस जैन सभा द्वारा आयोजित धर्म सभा में गुरु श्री रामकृष्ण महाराज की जीवन गौरव कथा सुना रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 09:22 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 09:22 AM (IST)
प्रभु भक्ति से मन को मिलेगी शांति आनंद : सुभद्र मुनि
प्रभु भक्ति से मन को मिलेगी शांति आनंद : सुभद्र मुनि

जागरण संवाददाता, पानीपत : जैनाचार्य सुभद्र मुनि ने कहा कि गुरु जीवन का निर्माता है। उनके जीवन में संयम, ध्यान, समता, योग का अलौकिक प्रकाश भटकते हुए व्यक्ति को सन्मार्ग दिखाता है। सुभद्र मुनि गांधी मंडी स्थित जैन स्थानक में एसएस जैन सभा द्वारा आयोजित धर्म सभा में गुरु श्री रामकृष्ण महाराज की जीवन गौरव कथा सुना रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका व्यक्तित्व और कृतित्व को पढ़कर, सुनकर लगता है कि उनका जीवन सत्य की परिभाषा है। करुणा, अहिसा, का स्वरूप है।

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आचार्य ने कहा कि गुरुदेव ने अपने जीवन में अहिसा का प्रचार किया। आज भी उनके बताए मार्ग का जो भी अनुसरण करता है। उसका जीवन सफल हो जाता है। गुरु का मार्ग निर्देश जीवन में परम आवश्यक है। जीवन का प्रत्येक पल कीमती है। जो पल व्यतीत हो जाता है, लौटकर नहीं आता। धन दौलत अपार है पर पलों की कीमत उससे भी अनमोल है। कितनी बार व्यक्ति व्यर्थ में समय नष्ट कर लेता है। अमूल्यवान समय संसार की बातों में खो देता है।

उन्होंने बताया कि पूज्य गुरुदेव रामकृष्ण महाराज ने कहा था कि भजन-भोजन दोनों शरीर के लिए जरूरी है। शरीर के लिए भोजन और आत्म चितन, प्रभु भक्ति के लिए भक्ति, भजन है। भजन के लिए समय अवश्य निकालो। प्रभु भक्ति से मन को शांति, आनंद प्राप्त होता है। संसार की वस्तु, पदार्थ मन में शांति, जीवन में आनंद नहीं दे सकती। जितनी तृष्णा है मन उतना अशांत, अतृप्त रहता है।

उन्होंने कहा कि गुरुदेव रामकृष्ण ने जन-जन को शिक्षा, नैतिकता की दी। वह कहते थे नैतिक शिक्षा जीवन में होने से जीवन श्रेष्ठ बन जाता है। नैतिक संस्कार जीवन की अनमोल संपदा है।

आचार्य श्री ने अनेक संस्मरण प्रस्तुत किए, जिसमें मानवता की धरोहर है। सभा के प्रधान जगदीश जैन, महामंत्री डा. ईश्वर जैन ने आचार्य श्री मुनि संघ की प्रार्थना की। अभी यहां विराजमान रहकर हमें धर्म लाभ प्रदान करें।


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