Shanishchari Amavasya 2021: शनैश्चरी अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने किया स्नान-दान, ब्रह्मसरोवर व सन्निहित पर जुटे श्रद्धालु
सूर्याेदया के साथ ही पवित्र ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर पर श्रद्धालु पहुंचे। कोरोना काल के बाद यह पहला मौका था जब ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर में श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंचे। जानिए क्या है शनैश्चरी अमावस्या का महत्व।
कुरुक्षेत्र, जेएनएन। शनैश्चरी अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवरों में स्नान-दान कर सुख-समृद्धि की कामना की। पवित्र ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर व पिहोवा के सरस्वती तीर्थ पर सूर्योदय के साथ ही स्नान आरंभ हो गया। ब्रह्मसरोवर पर भक्ति संगीत के बीच श्रद्धालुओं ने स्नान कर अपने पितरों के निमित पिंडदान किए और ब्राह्मणों को दान दिया। श्रद्धालुओं ने सरोवर किनारे बैठकर भजन संकीर्तन भी किया। वहीं मंदिरों में शनैश्चरी अमावस्या के उपलक्ष्य में सत्संग व भंडारों का आयोजन होगा। शनि मंदिरों में श्रद्धालुओं ने तिल, तेल व उड़द से शनिदेव का अभिषेक किया। शनि देव को काला कपड़ा व प्रसाद भेंट किया।
अमावस्या पर धर्मनगरी के पवित्र सरोवरों में देश भर के पवित्र सरोवरों व तालाबों का जल शामिल होता है, यहां स्नान करने का फल 13 दिन तक 13 गुणा फलता है। शनैश्चरी अमावस्या पर यहां स्नान-दान का विशेष महत्व है। शनैश्चरी अमावस्या पर पूजन करने से मनुष्य के पापों की मुक्ति होती है। दक्षिणमुखी प्राचीन हनुमान मंदिर के संचालक पंडित प्रेम कुमार शर्मा ने बताया कि अमावस्या पर स्नान-दान करने से पितरों की शांति होती है, जिस व्यक्ति के पितर शांत होते हैं, उसे जीवन में आपार समृद्धि मिलती है। अमावस्या पर दान का विशेष महत्व है। धर्मनगरी में किया गया दान मनुष्य के पापों को नष्ट करता है।
शनि मंदिरों में सुबह से आरंभ हुई श्रद्धालुओं की भीड़
शनैश्वरी अमावस्या के चलते शनि मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। शहर के स्थाणु तीर्थ स्थित श्री शनिशीला मंदिर, राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित श्री शनिधाम, लाडवा रोड स्थित शनि मंदिर, दुखभंजन शनिदेव मंदिर सहित अन्य शनि मंदिरों में श्रद्धालुओं ने शनिदेव का पूजन किया। श्रद्धालुओं ने शनि चालीसा व शनि आरती की। राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित श्री शनिधाम मंदिर के संचालक प्यारे लाल ने कहा कि श्री शनि देव न्याय प्रिय देव हैं। वे मनुष्य को उनके कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं। शनि देव का पूजन करने से मनुष्य अकाल मृत्यु का ग्रास नहीं बनता।