मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने दान
श्रद्धालुओं ने स्नान-पूजन कर दान-पुण्य किया।
संवाद सहयोगी, सनौली
मौनी अमावस्या पर्व पर शुक्रवार को यमुना घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने स्नान-पूजन कर दान-पुण्य किया। सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं का स्नान को लेकर आने का सिलसिला शुरु हो गया था, जो दोपहर बाद तक जारी रहा। इस दौरान अनेक जगह पर भंडारे भी लगे। हालांकि पानीपत से हरिद्वार रोड पर वाहनों की भीड़ के चलते लगे जाम में श्रद्धालुओं को परेशानी भी उठानी पड़ी।
पंडित भगतराम शास्त्री ने बताया कि मौनी अमावस्या का यह दुर्लभ योग है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किसी भी तीर्थ पर स्नान करने और दान देने से अनेक यज्ञों के बराबर फल मिलता है। मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान और दान का विशेष महत्व है। उन्होंने बताया कि इस पर्व पर शंकर जी के रुद्राभिषेक का विधान है। अमावस्या के दिन सूर्य चंद्रमा का मिलन होता है। इस दिन सफेद वस्तुएं चीनी, चावल, दूध, दही आदि का दान करने से चंद्रमा अनुकूल होता है। अमावस्या पर 108 बार परिक्रमा करते हूए पीपल वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। पंडित ने बताया कि मौन रहने से आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है। शरीर में ऊर्जा संग्रहित होती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस व्रत को मौन धारण करके समापन करने वाले को मुनि पद प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि पुराणों में मौनी अमावस्या पर संगम स्नान की जो महिमा वर्णित है वह कालिदास के शब्दों में स्वर्ग तथा मोक्षदायिनी है। यमुना घाट पर लगे मेले में बच्चों ने खरीदारी की। वसूला दोगुना किराया
अमावस्या पर हजारों श्रद्धालु यमुना पर स्नान को लेकर पहुंचे। जिनमें कुछ अपने निजी वाहन से तो कुछ आटो आदि में सवार हो पहुंचे। लेकिन आटो सवारों ने दोगुना किराया वसूल जमकर चांदी कुटी। श्रद्धालुओं ने बताया कि पानीपत से यमुना तक के 20 रुपये लेते थे, लेकिन आज 30 रुपये तक लिए।