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ड्रैगन को पछाड़ विश्व के सबसे बड़े टेक्सटाइल फेयर का पानीपत ऐसे बना सरताज

जर्मनी में लगे विश्व के सबसे बड़े टेक्सटाइल फेयर में पानीपत के पोलिएस्टर के बने बाथ मैट, कारपेट पंसद काफी पसंद किए गए। इससे निर्यातकों में खुशी है।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 02:40 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 10:42 AM (IST)
ड्रैगन को पछाड़ विश्व के सबसे बड़े टेक्सटाइल फेयर का पानीपत ऐसे बना सरताज
ड्रैगन को पछाड़ विश्व के सबसे बड़े टेक्सटाइल फेयर का पानीपत ऐसे बना सरताज

पानीपत, [महावीर गोयल]। टेक्सटाइल सिटी ने एक बार फिर ड्रैगन यानी चीन को कारपेट इंडस्ट्री से मात दी है। इस बार पानीपत ने जर्मनी में अपने उद्योग की धाक जमाई। टेक्सटाइल फेयर में पानीपत का बाथ मैट और कारपेट काफी पसंद किया गया। इससे निर्यातकों को बेहतर बिजनेस मिलने की उम्मीद जगी है। जानिए ऐसा और क्या रहा खास...।

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जर्मनी में विश्व के सबसे बड़े टेक्सटाइल फेयर में तीन साल बाद पानीपत के निर्यातकों को अच्छे ऑर्डर मिले हैं। हेमटैक्स, डोमोटैक्स फेयर से लौटे निर्यातकों का कहना है कि इस बार अमेरिका और यूरोपियन मार्केट से अच्छा रेस्पांस मिला है। फेयर में साउथ अमेरिका चिल्ली, मैक्सिको, ब्राजील के काफी संख्या में व्यापारी पहुंचे। ट्रेड फेयर में भारतीय उत्पादों को पसंद किया गया। 

अमेरिका के व्यापारियों ने दिखाई रुचि
पानीपत से कॉटन की दरी, बाथमेट, बेड कवर, कारपेट अधिक निर्यात होते हैं। इस बार कॉटन के साथ-साथ  पोलिएस्टर के बने बाथ मैट, कारपेट में भी अमेरिका के व्यापारियों ने रुचि दिखाई है। अब तक चीन के बने पोलिएस्टर के उत्पादों को पसंद किया जाता था। अमेरिका चीन के ट्रेड वार का भी भारतीयों का फायदा मिलता दिख रहा है। 

सबसे बड़ा ट्रेड फेयर लगता है जर्मनी में
जर्मनी का ट्रेड फेयर में विश्व में सबसे बड़ा होता है। इसी पर पूरे साल भर का निर्यातक कारोबार निर्भर करता है। निर्यातकों ने बताया कि फेयर में पानीपत के उत्पादों के सैंपल अधिक पसंद किए गए हैं। चालू वित्त वर्ष में अच्छे आर्डर मिलने के साथ-साथ आर्डर रिपीट होने की संभावना बनी है। 

चीन में वेज महंगी होने का फायदा भारत को 
चीन में वेज महंगी हो गई। प्रदूषण के चलते अनेक उद्योग शिफ्ट किए जा रहे हैं। जिस कारण चीन से आने वाले माल भारतीय उत्पादों से महंगा पड़ रहा है। इसे देखते हुए पानीपत के टेक्सटाइल उद्योगों को अच्छे आर्डर मिलने जा रहे हैं। निर्यातक रमेश छाबड़ा ने बताया कि हाथ का बना कपड़ा भारत का पसंद किया जाता था। मशीन का बना हुआ माल चीन का पसंद होता था। इस बार पोलिएस्टर के बने भारतीय उत्पादों को अधिक रेस्पांस मिल रहा है। तीन साल बाद पानीपत के उद्योगों के लिए सकारात्मक माहौल बना है। 

10 हजार करोड़ का निर्यात 
पानीपत से 10 करोड़ रुपये का हैंडलूम उत्पाद दरी, मैट, टेपस्टरी, बेड कवर, कारपेट का सालाना निर्यात होता है। इस वर्ष निर्यात कारोबार बढ़ेगा। जिसका असर टेक्सटाइल से जुड़े अन्य उद्योगों पर भी पड़ेगा।


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