पानीपत में ईंट भट्ठा उद्यमियों की सब्र का बांध टूटा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दरबार में पहुंचा मामला
पिछले एक साल से बंद ईंट भट्ठा उद्यमियों की सब्र का बांध टूट गया। भट्ठा चलाया। अब कानूनी कार्रवाई के फेर में फंसा। मामला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दरबार में भी पहुंच गया है। ईंट भट्ठा उद्यमियों का कहना है कि एक साल से उन्हें नुकसान हो रहा है।
पानीपत, जागरण संवाददाता। एनसीआर की आबोहवा खराब होने के कारण पिछले एक साल से बंद ईंट भट्ठा उद्यमियों के सब्र का बांध टूटने लगा है। भट्ठे नहीं चलने से उद्यमियों के परेशानी बढ़ी हुई है। उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। परेशानी मांडी गांव के उद्यमी ने जेपी भट्ठा चलाना शुरू कर दिया। अब मामला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दरबार में पहुंच गया। बोर्ड ने भट्ठे को क्लोजर करने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई करने फैसला लिया है। बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार उन्हें चार पांच भट्ठे और चलाने की जानकारी मिली है जिनकी जांच की जा चुकी है। ईंट भट्ठों के मामले में जब तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाइन नहीं मिलती भट्ठों पर प्रतिबंध जारी रहेगा।
30 भट्ठे चलाने पर सहमति नहीं
एनजीटी में उत्कृष कुमार के केस में यह कहा गया था कि एक साल में एक तिहाई भट्ठे चलाए जाएं। डीएफसी(जिला खाद्य आपूर्ति निंयत्रक) और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने ईंट भट्ठा एसोसिएशन से पहले साल में चलाए जाने वाले 30 ईंट भट्ठा का सूची मांग थी जो पहले साल चलने हैं, लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई। ईंट भट्ठा एसोसिएशन के कहना है कि ईंट बनाने के लिए मिट्टी किराये पर ली जाती है। मिट्टी जमीन मालिक तीन साल का किराया लेगा। साथ ही लेबर भी अगले दो साल की लेबर मांगती है। ऐसे में 90 में से 30 भट्ठे एक साल, अगले 30 भट्ठे दूसरे साल और बाकी 30 तीसरे साल कैसे चलाए जा सकते हैं। इस पर सहमति नहीं बन सकती। एसोसिएशन ने मामले सुप्रीम कोर्ट में डालने के साथ ही केंद्र में संबंधित मंत्री को भी अपनी बात से अवगत करवाया है।
क्षेत्रीय प्रबंधक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कमलजीत सिंह ने बताया कि प्रतिबंध के दौरान जो भट्ठे चलते मिलेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जो भट्ठा चलता मिला है। उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।